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US Impact On Indian Share Market : क्या अमेरिका और इजराइल ने भारतीय शेयर बाजार को नीचे गिरा दिया ?

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 25, 2023, 1:38 PM IST

Updated : Oct 25, 2023, 5:36 PM IST

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शेयर मार्केट

भारतीय शेयर बाजार पर अमेरिका और इजराइल का सीधा असर पड़ रहा है. इजराइल और हमास के बीच चल रहे युद्ध की वजह से पूरे मध्य पूर्व में तनाव है. कच्चे तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. वहीं दूसरी ओर अमेरिकी सरकारी बॉन्ड की दर बढ़ने से एफआईआई भारतीय शेयर बाजार से लगातार पैसे निकाल रहे हैं.

नई दिल्ली : भारतीय शेयर बाजार पिछले कुछ दिनों से लगातार दबाव में है. 11 सितंबर को एनएसई ने 20 हजार अंकों का रिकॉर्ड बनाया था, लेकिन उसके बाद से बाजार संभल नहीं रहा है. निवेशकों को हर रोज झटके लग रहे हैं. शेयर भाव के गिरने के पीछे वैश्विक कारण बताए जा रहे हैं. उनमें से दो प्रमुख कारण हैं. पहला कारण है - अमेरिकी बॉन्ड बाजार में ब्याज दर का बढ़ना और दूसरा है- मध्य पूर्व में तनाव.

आइए पहले यह समझते हैं अमेरिकी बॉन्ड बाजार किस तरह से भारतीय शेयर बाजार पर दबाव डाल रहा है. आपको बता दें कि पिछले कुछ दिनों से अमेरिकी बॉन्ड की चर्चा सबसे ज्यादा हो रही है. अमेरिकी बॉन्ड यील्ड बढ़ने की वजह से निवेशक भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकाल रहे हैं और उसे अमेरिकी बॉन्ड मार्केट में निवेशित कर रहे हैं. लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है.

अमेरिकी बॉन्ड यील्ड 5.02 फीसदी तक चला गया है. पिछले 16 सालों में यह सबसे ऊंची दर है. यानी 2007 के बाद यह दर सबसे अधिक है. इसे 10 साल वाला सरकारी बॉन्ड भी कहा जाता है. अमेरिकी बाजार में इसे बेंचमार्क के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. यानि बाजार में इससे भी अधिक दर पर बॉन्ड यील्ड मिल सकता है.

बॉन्ड यानी कोई भी सरकार अपना खर्च चलाने के लिए आम निवेशकों से पैसे जुटा सकती है. उसके बदले में सरकार एक निश्चित ब्याज दर देने की घोषणा करती है. उस बॉन्ड का भुगतान जिस दर पर सरकार करती है, उसे यील्ड कहा जाता है. इसे बॉन्ड इन्वेस्टमेंट के रूप में भी जाना जाता है. कुछ लोग इसे डेट इंस्ट्रूमेंट भी कहते हैं. डेट का मतलब - कर्ज होता है.

जिस समय बॉन्ड इश्यू किया जाता है, उस समय निवेशक को इंटेरेस्ट के तौर पर कुछ पैसे दिए जाते हैं. इसके बाद जब बॉन्ड मैच्योर हो जाता है, तब पूरी राशि लौटा दी जाती है. बॉन्ड की अवधि पूरी होने तक मूलधन में कोई बदलाव नहीं होता है, जबकि ब्याज दर समय-समय पर बदल सकते हैं. बॉन्ड में निश्चिंतता का भाव होता है. आप एक बार निवेश करते हैं, तो आपका पैसा सुरक्षित हो जाता है. दरअसल, जब भी बाजार में अनिश्चिंतता का माहौल रहता है, तो निवेशक बॉन्ड को प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि बॉन्ड के जरिए निवेशकों को पैसा मिलने की पूरी गारंटी होती है.

  • Wednesday - Worries that things could break. Commercial real estate, high yield bonds, and small banks are in cross-hairs of surging US bond yield worries, but balanced by being already well known, with markets resilient to high uncertainty, and central bank 'puts' returning.… pic.twitter.com/wH5BfonCaH

    — Ben Laidler (@laidler_ben) October 25, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

भारतीय शेयर मार्केट पर क्यों पड़ रहा है असर - भारत में सरकारी बॉन्ड की यील्ड दर 7.38 फीसदी है. 2020 में इसकी दर 5.76 फीसदी थी. यानि पिछले तीन सालों में 1.62 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है. लेकिन अमेरिकी बॉन्ड से तुलना करेंगे, तो वहां पर इसी अवधि के दौरान चार फीसदी से भी अधिक ब्याज की बढ़ोतरी हुई है, लिहाजा निवेशक भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालकर अमेरिका में निवेश कर रहे हैं. इसमें मुख्य रूप से एफआईआई हैं. यानी विदेशी संस्थागत निवेशक.

बॉन्ड में निवेश करने से निवेशक सुरक्षित होते हैं. उन्हें एक निर्धारित राशि मिलती है. लेकिन इसका असर शेयर मार्केट पर पड़ता है. निवेशक शेयर मार्केट से पैसा निकालकर बॉन्ड मार्केट में चले जाते हैं. सरकार के लिए कर्ज महंगा हो जाता है. सरकार को अधिक पैसे खर्च करने पड़ते हैं या फिर सरकार को खर्च में कटौती करनी पड़ती है. इसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ता है, क्योंकि सरकार कल्याणकारी योजनाओं के लिए पैसे काट सकती है. सरकार द्वारा जारी विकास के कार्यों के भी प्रभावित होने की आशंका प्रबल हो जाती है.

सोमवार को शेयर बाजार, एनएसई, में 260 अंकों की गिरावट और सेंसेक्स में 825 अंकों की गिरावट दर्ज की गई थी. मंगलवार को शेयर बाजार बंद रहा. बुधवार को फिर से बाजार दबाव में है. सोमवार को एनएसई टॉप 50 कंपनियों में से 48 कंपनियों के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई थी.

शेयर बाजार में गिरावट की दूसरी बड़ी वजह मध्य पूर्व में आया तनाव है. अभी इजराइल और हमास के बीच युद्ध जारी है. ईरान भी युद्ध में कूदने की धमकी दे चुका है. ऐसे में तेल उत्पादक देशों पर भी दबाव बढ़ रहा है. बाजार में कच्चे तेल के भाव लगाता बढ़ रहे हैं. इसका सीधा असर इनपुट कॉस्ट पर पड़ता है. कच्चे तेल के मामले में भारत 80 फीसदी तक आयात पर निर्भर है. भारत का एक्सपोर्ट भी प्रभावित हो सकता है. कई देशों से मिलने वाले ऑर्डर भी कुछ समय के लिए रूक जाते हैं. ऐसे में निवेशक एक ऐसा बाजार खोजते हैं, जहां पर उन्हें सुरक्षित रिटर्न की गारंटी प्रदान की जाती है.

वैसे विशेषज्ञ मानते हैं कि भारतीय शेयर बाजार में घरेलू निवेशकों ने बहुत हद तक तरलता बनाए रखी है. यानी घरेलू निवेशक लगातार बाजार में निवेश कर रहे हैं. इसके साथ ही मुच्युअल फंड के जरिए भी भारी मात्रा में बाजार में निवेश हो रहा है. फिर भी बाजार बहुत हद तक सेंटीमेंट पर चलता है और एक भी निगेटिव खबरें आती हैं, तो पूरा शेयर बाजार धड़ाम हो जाता है. यह बाजार की प्रकृति होती है.

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Last Updated :Oct 25, 2023, 5:36 PM IST
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