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Pachmatha Temple Shahdol: एक ही रात में पांडवों ने किया था निर्माण! शिव का है ये अद्भुत मंदिर

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Published : Jun 1, 2022, 9:51 PM IST

Updated : Jun 1, 2022, 10:15 PM IST

शहडोल के सिंहपुर गांव में प्रसिद्ध भगवान शिव का पचमठा मंदिर है, मान्यता है कि इसे पांडवों ने एक ही रात में निर्मित किया था. आइए जानते हैं इस अद्भुत मंदिर की कहानी. (Shahdol Pachmatha Temple)

Shahdol Pachmatha Temple
शिव को समर्पित है देवी का ये अद्भुत पचमठा मंदिर

शहडोल। मध्यप्रदेश का शहडोल जिला प्राकृतिक सुंदरता के लिए तो जाना ही जाता है, साथ ही जिले में कई ऐसी अद्भुत और ऐतिहासिक मंदिर भी हैं जो हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच ही लेते हैं. शहडोल जिले के विराट मंदिर को तो हर कोई जानता है लेकिन जिला मुख्यालय से महज 15 से 20 किलोमीटर दूर सिंहपुर गांव में स्थित है पचमठा मंदिर, जो पूरी तरह से शिव को समर्पित है. यह मंदिर अद्भुत है, कहा जाता है की इस विशाल मंदिर को बड़े-बड़े शिलाओं से एक ही रात में बनवाया गया था. (Shahdol Pachmatha Temple)

शिव को समर्पित है देवी का ये अद्भुत पचमठा मंदिर

अद्भुत है शिव को समर्पित पचमठा मंदिर : शहडोल जिला मुख्यालय से महज 15 से 20 किलोमीटर दूर हाईवे से लगा हुआ है सिंहपुर गांव का प्रसिद्ध देवी मंदिर और इसी मंदिर परिसर में स्थित है पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व का अद्भुत शिव को समर्पित मंदिर जिसे लोग पचमठा के नाम से जानते हैं. इस मंदिर को देखने के बाद अनायास ही लोगों का आकर्षण उसके बारे में जानने के लिए बढ़ जाता है और लोग उस मंदिर को बड़े करीब से देखने लगते हैं.

अद्भुत है शिव को समर्पित पचमठा मंदिर: शहडोल जिला मुख्यालय से महज 15 से 20 किलोमीटर दूर हाईवे से लगा हुआ है सिंहपुर गांव का प्रसिद्ध देवी मंदिर, और इसी मंदिर परिसर में स्थित है पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व का अद्भुत शिव को समर्पित मंदिर जिसे लोग पचमठा के नाम से जानते हैं. इस मंदिर को देखने के बाद अनायास ही लोगों का आकर्षण उसके बारे में जानने के लिए बढ़ जाता है, और लोग उस मंदिर को बड़े करीब से देखने लगते हैं.

एक रात में तैयार हुआ था मंदिर: सिंहपुर गांव के रहने वाले रुद्रदत्त पांडे इस पचमठा मंदिर के बारे में बताते हैं कि "पचमठा मंदिर को लेकर ऐसी जनश्रुति है कि ये विराट कालीन है, जिस समय पांडव अपने अज्ञातवास में थे तब इस विराट मंदिर का निर्माण हुआ था." रुद्रदत्त पांडे बताते हैं कि जो उन्होंने बड़े बुजुर्गों और अपने पूर्वजों से सुना है कि "पांडवों ने इस मंदिर को एक रात में ही तैयार किया था, लोग जब सुबह उठे थे तो उन्हें मंदिर का निर्माण किया हुआ मिला. मंदिर में विशाल पत्थर लगे हुए हैं, जिनमें कई कलाकृतियां हैं. पचमठा मंदिर में जो पांच शिव जी की प्रतिमाएं स्थापित थीं, वर्तमान में सभी प्रतिमाएं विलुप्त हो चुकी हैं. उसमें कुछ मूर्तियां चोरी चली गई हैं, लेकिन आज भी वह पचमठा मंदिर अपने भव्य स्वरूप में खड़ा हुआ है."

दूर-दूर से मंदिर देखने आते हैं लोग: पचमठा मंदिर लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, दूर-दूर से लोग उसे देखने आते हैं. रुद्रदत्त पांडे ने कहा कि, "हमारे यहां काली मंदिर है, राम मंदिर है, उसके दर्शन के लिए जब लोग आते हैं और वहीं पर जब पचमठा मंदिर (Pachmatha Temple singhpur Shahdol) देखते हैं तो उसे देखते ही रह जाते हैं. लोगों का कहना रहता है कि हिंदुस्तान में जो नए मंदिर मिले हैं, उस तरह के देखने को तो कहीं भी मिल जाएंगे लेकिन पचमठा मंदिर जैसे प्राचीन मंदिर बहुत कम देखने को मिलता है." रुद्रदत्त पांडे का कहना है कि "पुरातत्व वाले भले कहते हों कि यह कलचुरी कालीन है, गौड़वंश कालीन है लेकिन इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है की ये पांडव कालीन है."

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पचमठा मंदिर की कहानी एक्सपर्ट की जुबानी: पुरातत्वविद रामनाथ सिंह परमार बताते हैं कि पचमठा मंदिर जो दो मंजिला है, इसे 17वीं-18वीं सदी ईस्वी में गौंड राजाओं के शासनकाल में निर्मित किया गया था. इसके निर्माण में पतली ईंटें, अनगढ़े पत्थर, गढ़ी प्रस्तर शिलाएं और आसपास के प्राचीन मंदिरों के अवशेष ग्राम अंतरा के ध्वंशावशेशों से उठाकर लाए गए हैं, जो इस मंदिर में इस्तेमाल किए गए हैं. मंदिर में प्राचीन मंदिरों के कई अलंकृत स्तंभ, विष्णु मंदिर का सुंदर अलंकृत, पूर्ण द्वार-तोरण और पुरातत्वीय महत्व की अनेक प्रतिमाएं यथा विष्णु की दो स्थानक प्रतिमाएं, जैन देवी की बैठी हुई अभिलिखित पाद पीठ लेख युक्त प्रतिमा, अंबिका देवी, द्विभुजी सपक्ष, गरुड़ की दोनों हाथ जोड़कर बैठी हुई अंजलिबद्ध मुद्रा में प्रतिमा इस मंदिर की दीवार में लगाई गईं हैं.

पर्यटन का बड़ा केंद्र बन सकता है: सिंहपुर का यह मंदिर परिसर पर्यटन का बहुत बड़ा केंद्र बन सकता है, क्योंकि जिला मुख्यालय से हाईवे लगा हुआ है. इतना ही नहीं अगर आप इस ऐतिहासिक अद्भुत पचमठा मंदिर के इस धरोहर को देखने पहुंचते हैं, तो यहां सिर्फ पचमठा मंदिर (Pachmatha Temple singhpur Shahdol) ही देखने को नहीं मिलेगा, साथ में आपको यहां पर कलचुरी कालीन महिषासुर मर्दिनी अवतार में काली माता के दर्शन होंगे, साथ ही कलचुरी कालीन गणेश भगवान के भी दर्शन होंगे. इसके अलावा यहां राम-जानकी मंदिर भी बनाया गया है, जो पर्यटन के लिए अच्छी जगह है.

Last Updated : Jun 1, 2022, 10:15 PM IST
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