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पेगासस विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कहा- गोपनीय तथ्यों का खुलासा नहीं करे सरकार

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Published : Aug 17, 2021, 8:32 PM IST

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सुप्रीम कोर्ट

पेगासस विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह सरकार से ऐसी किसी चीज का खुलासा करने को नहीं कह रही है, जो देश की सुरक्षा और रक्षा से संबंधित हो तथा ये चीजें गोपनीय रखी जानी चाहिए.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कथित पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच कराने की मांग से संबंधित याचिकाओं पर मंगलवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया और यह स्पष्ट किया कि वह नहीं चाहता कि सरकार ऐसी किसी बात का खुलासा करे, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता हो.

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ ने यह टिप्पणी सरकार के यह कहने के बाद की कि हलफनामे में सूचना की जानकारी देने से राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा जुड़ा है.

पीठ ने केंद्र से पूछा कि अगर सक्षम प्राधिकार अदालत में हलफनामा दें तो इसमें क्या परेशानी है.

पीठ ने कहा कि वह सरकार से ऐसी किसी चीज का खुलासा करने को नहीं कह रही है, जो देश की सुरक्षा और रक्षा से संबंधित हो तथा ये चीजें गोपनीय रखी जानी चाहिए.

अदालत ने कहा कि वह हलफनामे में एक भी ऐसा शब्द नहीं चाहती, जिसमें देश की रक्षा या सुरक्षा से जुड़ी कोई बात हो.

पीठ ने कहा कि उसने सोचा था कि सरकार एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करेगी, लेकिन इस मामले में सिर्फ सीमित हलफनामा दाखिल किया गया.

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह 10 दिन बाद इस मामले को सुनेगी और देखेगी कि इसमें क्या प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए.

केंद्र का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि सरकार ने सोमवार को दाखिल हलफनामे में अपना पक्ष स्पष्ट कर दिया था.

मेहता ने पीठ से कहा, 'हमारी सुविचारित प्रतिक्रिया वही है, जो हमने सम्मानपूर्वक अपने पिछले हलफनामे में दी थी. कृपया इस मामले को हमारे नजरिये से देखें क्योंकि हमारा हलफनामा पर्याप्त है. भारत सरकार देश की सर्वोच्च अदालत के सामने है.'

उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था कि वह वह सभी पहलुओं के निरीक्षण के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन करेगी और यह समिति शीर्ष अदालत के समक्ष अपनी रिपोर्ट देगी.

उन्होंने कहा, 'छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है. और इस मामले से राष्ट्रीय सुरक्षा का पहलू जुड़ा है.'

मेहता ने कहा कि यह मामला सार्वजनिक बहस का मुद्दा नहीं हो सकता और विशेषज्ञों की समिति शीर्ष अदालत को रिपोर्ट देगी.

उन्होंने कहा कि यह एक संवेदनशील मामला है, जिसे संवेदनशीलता से निपटा जाना चाहिए और सरकार इस्तेमाल किए जा रहे सुरक्षा तंत्र के बारे में जानकारी सार्वजनिक तौर पर नहीं दे सकती है.

मेहता ने कहा कि वह यह नहीं कह रहे कि सरकार किसी को कुछ नहीं बताएगी और दलील यह है कि वह इसे सार्वजनिक तौर पर नहीं कहना चाहती.

पीठ ने कहा, 'अदालत के रूप में हम, सॉलिसिटर जनरल के रूप में आप तथा इस अदालत के अधिकारियों के रूप में सभी वकील, हममें से कोई भी राष्ट्र की सुरक्षा से समझौता नहीं करना चाहेगा.'

मामले में याचिका दायर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि वह नहीं चाहते कि केंद्र राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर डालने वाली किसी भी जानकारी का खुलासा करे.

पीठ ने कहा कि वह सरकार को नोटिस जारी कर रही है और 10 दिन बाद इस मामले को सुनेगी.

न्यायालय एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की याचिका सहित विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. याचिकाओं में सारे मामले की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की गई है.

ये याचिकाएं इजराइली कंपनी एनएसओ के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर सरकारी एजेंसियों द्वारा कथित तौर पर प्रमुख नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों की जासूसी कराए जाने से संबंधित है.

संबंधित मामले में एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठन ने कहा था कि 300 से अधिक भारतीय मोबाइल फोन नंबर पेगासस स्पाईवेयर का उपयोग कर निगरानी के लिए संभावित लक्ष्यों की सूची में थे.

केंद्र ने सोमवार को अपने संक्षिप्त हलफनामे में कहा था कि पेगासस जासूसी के आरोपों को लेकर स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाएं अटकलों, अनुमानों और मीडिया में आई अपुष्ट खबरों पर आधारित हैं.

हलफनामे में सरकार ने कहा है कि केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव पहले ही कथित पेगासस जासूसी मुद्दे पर संसद में उसका रुख स्पष्ट कर चुके हैं.

इसमें कहा गया है कि उपर्युक्त याचिका और संबंधित याचिकाओं के अवलोकन भर से यह स्पष्ट हो जाता है कि वे अटकलों, अनुमानों तथा अन्य अपुष्ट मीडिया खबरों तथा अपूर्ण या अप्रमाणिक सामग्री पर आधारित हैं.

हलफनामे में कहा गया कि कुछ निहित स्वार्थों द्वारा दिए गए किसी भी गलत विमर्श को दूर करने और उठाए गए मुद्दों की जांच करने के उद्देश्य से विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जाएगा.

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