ETV Bharat / bharat

संयुक्त किसान मोर्चा का 'मिशन यूपी' फेल, 14 मार्च को होगा आत्म-मंथन

author img

By

Published : Mar 10, 2022, 10:15 PM IST

जब चुनाव लड़ने के पक्ष वाली जत्थेबंदियों ने संयुक्त किसान मोर्चा की बात नहीं मानी और पार्टी बनाने का निर्णय किया, तब संयुक्त किसान मोर्चा ने उन संगठनों को मोर्चा से अलग कर दिया था. अब 14 मार्च को होने वाली बैठक के बाद ही आगे की रणनीति तय की जाएगी. उन्होंने कहा कि चुनाव नतीजों से मिली निराशा के बावजूद वे अपनी मांगों को लेकर किसान आंदोलन जारी रखेंगे. चुनाव के नतीजों का उनकी मुहिम पर कोई असर नहीं होगा.

संयुक्त किसान मोर्चा
संयुक्त किसान मोर्चा

नई दिल्ली : पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों ने यह साबित कर दिया कि किसानों का भाजपा के खिलाफ आंदोलन बेअसर हो गया है. किसान संगठनों के साझा मंच संयुक्त किसान मोर्चा ने उत्तर प्रदेश में भाजपा को हराने के लिए 'मिशन यूपी' चलाया और पूरे राज्य में किसान नेताओं ने लोगों से भाजपा को वोट न करने की अपील की. लेकिन गुरुवार को चार राज्यों के आए नतीजों में भाजपा की जीत देखी गई. अब संयुक्त किसान मोर्चा ने 14 मार्च को दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है. जिसमें तमाम किसान नेता इस पर मंथन करेंगे.

ऐसा माना जा रहा था कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन का व्यापक प्रभाव है. भाजपा को सबसे ज्यादा नुक्सान इसी क्षेत्र में हो सकता था. लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 97 सीटों में से 70 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है. लखीमपुर-खीरी घटना का असर भी वोटिंग पर नहीं दिखा और इस लोकसभा क्षेत्र की सभी आठ सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की.

यदि पंजाब की बात करें तो राज्य में 22 किसान जत्थेबंदियों ने अपनी राजनीतिक पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा, लेकिन किसान आंदोलन में मिला लोगों का समर्थन वोट में तब्दील नहीं हो पाया. किसान संगठनों की राजनीतिक पार्टी संयुक्त समाज मोर्चा ने पंजाब की सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी किसान नेता चुनाव नहीं जीत सके.

किसान नेता हन्नान मोल्ला से ईटीवी भारत की बातचीत

ईटीवी भारत ने इस विषय पर किसान नेता हन्नान मोल्ला से विशेष बातचीत की. किसान नेता हन्नान मोल्ला का मानना है कि नतीजे उनके उम्मीद के मुताबिक नहीं हैं. हालांकि किसान नेता अब भी यह दावा कर रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में किसानों ने भाजपा के विरोध में वोट किया, लेकिन वह नतीजों में तब्दील होने के लिए काफी नहीं थे. ग्रामीण क्षेत्र में समाजवादी पार्टी को 11.8 प्रतिशत वोट पड़े हैं. वहीं, अर्ध-शहरी क्षेत्र में समाजवादी पार्टी को 9.1 प्रतिशत वोट पड़े हैं. यदि भाजपा की बात करें, तो ग्रामीण क्षेत्र में पार्टी को 3.6 प्रतिशत वोट मिले हैं. जबकि अर्ध-शहरी क्षेत्र में 3.1 प्रतिशत वोट ही पड़े हैं.

हन्नान मोल्ला ने कहा कि ग्रमीण क्षेत्र में किसानों ने भाजपा के खिलाफ वोट दिया था, लेकिन यह पार्टी को हराने में नाकाम रहे. किसान आंदोलन के दौरान किसानों के अलावा आम जनता ने जिस तरह का समर्थन उनके आंदोलन को दिया था, वह चुनाव के समय किसानों को नहीं मिला. उन्होंने कहा कि ये गैर किसान मतदाताओं का ही वोट है, जिससे भाजपा को जीत हासिल हुई है.

पंजाब में किसान नेताओं द्वारा चुनाव लड़े जाने पर संयुक्त किसान मोर्चा ने पहले भी अपनी आपत्ति जताई थी. इस पर किसान नेता मोल्ला ने कहा कि इस बात की चर्चा पहले भी हुई थी कि यदि किसान नेता चुनाव में जाएंगे तो लोग उनको वोट नहीं करेंगे. उन्होंने पहले ही मना किया था और नेताओं को शिकस्त का सामना करने से आगाह किया था.

उन्होंने बताया कि जब चुनाव लड़ने के पक्ष वाली जत्थेबंदियों ने संयुक्त किसान मोर्चा की बात नहीं मानी और पार्टी बनाने का निर्णय किया, तब संयुक्त किसान मोर्चा ने उन संगठनों को मोर्चा से अलग कर दिया था. अब 14 मार्च को होने वाली बैठक के बाद ही आगे की रणनीति तय की जाएगी. उन्होंने कहा कि चुनाव नतीजों से मिली निराशा के बावजूद वे अपनी मांगों को लेकर आंदोलन जारी रखेंगे. चुनाव के नतीजों का उनकी मुहिम पर कोई असर नहीं होगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.