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मुंबई में NCB कार्यालयों को बंद कर अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दें : सामना

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Published : Nov 22, 2021, 10:13 AM IST

सामना
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शिवसेना का मुखपत्र सामना में प्रकाशित संपादकीय में केंद्रीय जांच एजेंसियों के बहाने केंद्र में भाजपा की सरकार पर निशाना साधा गया है. लखीमपुर खीरी, नोटबंदी जैसे मुद्दों को उठाया गया वहीं, मुंबई में केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगाया गया है. एनसीबी के कार्यालयों को बंद करके अधिकारियों को अवकाश पर भेजने तक की बात कही गयी है.

मुंबई : केंद्रीय जांच एजेंसियां जो खेल महाराष्ट्र में खेल रही हैं, उसकी पोल-खोल प्रतिदिन हो रही है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने निरीक्षण में पाया है कि स्टारपुत्र आर्यन खान के विरोध में नशीला पदार्थ रखने या सेवन करने का कोई सबूत नहीं मिला है. हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि क्रूज पार्टी मामले में आर्यन खान के मोबाइल चैट में भी साजिश का कोई सबूत नहीं मिला है.

इसका मतलब यह हुआ कि एनसीबी की टोली ने यह सब ताने-बाने बुने और आर्यन खान सहित अन्य बच्चों को अनुचित रूप से 20 से 25 दिनों तक जेल में रखा हुआ था. आर्यन के खिलाफ एनसीबी के आरोपों में तथ्य नहीं है. यदि बॉम्बे हाईकोर्ट का निरीक्षण ऐसा है तो इन बच्चों को उलझाकर फिरौती वसूलने का प्रयास करनेवाले सभी अधिकारियों की गिरफ्तारी होनी ही चाहिए. एनसीबी की विवादित झूठी कार्रवाइयों के नए सबूत रोज सामने आ रहे हैं और इसके कारण केंद्रीय जांच एजेंसी की प्रतिष्ठा तथा आदर धूमिल हो गया है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो महाराष्ट्र में झूठे अपराध दर्ज करके फिरौती, गाड़ी-घोड़ा वसूलनेवाली टोली बन गया था.

भारतीय जनता पार्टी के लोग इस टोली द्वारा की जा रही फिरौती का समर्थन कर रहे थे. एनसीबी की टोली के कारनामों को सबूत के साथ सामने लाकर मंत्री नवाब मलिक ने अच्छा काम किया और महाराष्ट्र पर बहुत बड़ा उपकार हुआ. खुद मलिक के दामाद पर इसी गिरोह ने झूठे अपराध दर्ज करके फिरौती वसूलने का प्रयास किया. फिल्मस्टार, उनके बच्चों, व्यापारी, राजनीतिज्ञों के सगे-संबंधियों को ऐसे मामले में फंसाकर फिरौती वसूलनेवाली केंद्रीय एजेंसी के खिलाफ महाराष्ट्र में आक्रोश निर्माण हो गया है.

शरद पवार ने अपनी तीव्र भावना व्यक्त की है. श्री पवार ने यह कहते हुए फटकार लगाई है कि पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के जेल में रहने की हर दिन की कीमत चुकानी पड़ेगी. आरोप लगानेवाले मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह फरार हो गए. उनके ठिकाने का पता किसी को नहीं है. सर्वोच्च न्यायालय ने खुद पूछा है कि परमबीर सिंह कहां हैं? उस ‘फरार’ अधिकारी के आरोपों पर अनिल देशमुख जेल में हैं.

लखीमपुर खीरी के आंदोलनकारी किसानों को कुचलकर मारनेवाले मंत्रीपुत्र के विरुद्ध भारी रोष है. केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के इस्तीफे की मांग जोर पकड़ रही है. लेकिन अजय मिश्रा का इस्तीफा न लेकर प्रधानमंत्री मोदी उन मंत्रियों को गोद में बैठा रहे हैं. यह कैसा न्याय? कानून और नियमों का बंधन केवल राजनीतिक विरोधियों के लिए और दूसरों के लिए खुला मैदान है! आर्यन मामले में ‘एनसीबी’ की इतनी दुर्दशा हुई है कि मुंबई का एनसीबी कार्यालय बंद करके इस टोली को अवकाश पर भेज देना चाहिए. पिछले कुछ दिनों में महाराष्ट्र पुलिस ने बड़े पैमाने पर नशीले पदार्थों का जखीरा जब्त किया, लेकिन पाव ग्राम, आधा ग्राम चरस पकड़नेवाली नेशनल एंटी नारकोटिक्स एजेंसी की टोली को यह छोटा काम शोभा नहीं देता.

कल ये लोग मुंबई-महाराष्ट्र की पान की दुकान और पान की टपरियों पर छापा मारकर तंबाकू, सुपारी, सौंफ जैसी वस्तुओं को चरस-गांजा बताकर मुक्त हो जाएंगे. नवाब मलिक ने झूठ पर हमला किया है. किसान आंदोलन, महंगाई के विरोध में रोष जैसे मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए ‘क्रूज शिप ड्रग्स’ मामले में आर्यन खान को फंसाया गया. उसमें 25 करोड़ रुपए की फिरौती का मामला हैरान करनेवाला है.

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एनसीबी के अधिकारी पाव-दो ग्राम चरस पकड़कर बड़ा रौब दिखा रहे थे. लेकिन कई मामलों में उनके पाखंड की कलई नवाब मलिक ने खोली है. इसके बाद से भारतीय जनता पार्टी की बोलती बंद है. ईडी द्वारा मुंबई में की गई कार्रवाई और धर-पकड़ ‘एनसीबी छाप’ ही है. 700 किसानों की बलि लेकर बाद में माफी मांगनेवाले देश के शासक हैं. नोटबंदी करके देश की अर्थव्यवस्था को डांवांडोल करनेवाले देश के सूत्रधार हैं. नोटबंदी ही एक बड़ा आर्थिक घोटाला था.

रिजर्व बैंक से लेकर सामान्य लोगों तक सभी को फंसाने का काम इसमें हुआ. ईडी को इस नोटबंदी घोटाले की जांच क्यों नहीं करनी चाहिए? लेकिन महाराष्ट्र जैसे राज्य में डेरा डालकर केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा चलाए जा रहे उद्योग में बड़ी साजिश नजर आ रही है. इस षड्यंत्र की कीमत चुकानी पड़ेगी. ऐसा शरद पवार जैसे वरिष्ठ नेता कहते हैं. उसके पीछे जो गुस्सा है यही जनभावना है. आर्यन खान मामले में एक केंद्रीय जांच एजेंसी का चेहरा बेनकाब हो गया है. अन्य का भी शीघ्र ऐसा ही होगा. बुढ़िया के मरने का दुख नहीं, लेकिन शोक में समय बर्बाद नहीं होना चाहिए ?

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