ETV Bharat / bharat

काशी विश्वनाथ धाम के विकास का श्रेय पीएम मोदी को जाता है: शिवसेना

author img

By

Published : Dec 15, 2021, 11:48 AM IST

Saamana Editorial
काशी विश्वनाथ धाम के विकास का श्रेय पीएम मोदी को जाता है: शिवसेना

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण का श्रेय लेने के लिए पिछले दिनों होड़ मची थी. लेकिन भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोसने वाले शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में आज के संपादकीय में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण का श्रेय पीएम मोदी को दिया है. हालांकि लोकार्पण के अवसर पर आयोजित विशाल कार्यक्रम और इसके प्रचार प्रसार पर किये गये खर्च की आलोचना भी की है.

मुंबई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काशी यात्रा खूब सुर्खियों में है. इसलिए नहीं कि काशी मोदी का चुनाव क्षेत्र है, बल्कि मोदी काशी में जाकर जो धार्मिक, आध्यात्मिक प्रयोग करते रहते हैं उसकी चर्चा लंबे समय तक होती रहती है. मोदी बीच-बीच में केदारनाथ भी जाते रहते हैं. केदारनाथ की गुफा में ध्यान मुद्रा में बैठे प्रधानमंत्री की तस्वीरें तो पूरे विश्व में प्रसारित होती हैं. मोदी की तीर्थ यात्रा एक तरह से राजनीतिक समारोह ही साबित होती है. काशी यात्रा के दरमियान गंगा में डुबकी लगाने की उनकी तस्वीर पूरे विश्व में पहुंच गई है. वाराणसी में बनाई गई ‘काशी विश्वनाथ धाम’ परियोजना का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी ने किया. गंगा नदी और प्राचीन विश्वनाथ मंदिर को जोड़नेवाला ये कॉरिडोर है. यह मोदी का सपना था. 700 करोड़ रुपए खर्च करके मोदी का सपना पूरा हुआ है.

उद्घाटन समारोह और विज्ञापन खर्च की आलोचना

लेकिन कुछ करोड़ रुपए उद्घाटन समारोह और विज्ञापन पर उड़ाए गए हैं. मोदी ने वाराणसी अर्थात काशी नगरी का कायापलट करने का मन बनाया है. कायापलट करने के लिए कई पुराने मंदिरों और घरों को तोड़ा गया. संकरी सड़कों को चौड़ा किया गया. मंदिर परिसर को आकार दिया गया. मोदी ने काशी की भूमि से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का शंखनाद किया है. आलोचना की जा रही है कि उनकी यह काशी यात्रा प्रचार के लिए थी. देवताओं को भी पता चल गया होगा कि मौजूदा समय में सभी की धार्मिक यात्राएं राजनीतिक प्रचार का साधन मात्र बन कर रह गई हैं.

छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम लिये जाने की प्रशंसा

मोदी ने अपने भाषण में छत्रपति शिवाजी महाराज का उदाहरण दिया. औरंगजेब ने आक्रमण करके मंदिर तोड़े, लोगों का जबरन धर्मांतरण करवाया, तब छत्रपति शिवाजी महाराज की भवानी तलवार ने मुगलों का मुकाबला किया. जब-जब औरंगजेब आया तब-तब शिवाजी महाराज दृढ़ता के साथ खड़े रहे. यह याद प्रधानमंत्री मोदी ने दिलवाई. ये महत्वपूर्ण है कि मोदी ने छत्रपति शिवाजी महाराज का विशेष उल्लेख किया. देश के मंदिरों का विध्वंस मुगलों ने किया. काशी, मथुरा, अयोध्या धार्मिक स्थलों पर आक्रमण करके उसे नष्ट किया. सोमनाथ मंदिर भी तोड़ा. आजादी के बाद सरदार पटेल ने पहली बार सोमनाथ का जीर्णोद्धार किया. हिंदुस्तान के धार्मिक और तीर्थ स्थलों का कोई विकास कर रहा है तो उसकी प्रशंसा की जानी चाहिए. राजनीति बगल में रखकर इन विषयों को देखना चाहिए.

काशी विश्वनाथ धाम के विकास का श्रेय प्रधानमंत्री को जाता है

काशी में विश्वनाथ धाम का विकास किया गया इसका श्रेय काशी के सांसद प्रधानमंत्री को देना ही पड़ेगा. मोदी से पहले कई हिंदुत्व प्रेमी यहां के सांसद हुए हैं. उनके भी मन में काशी का विकास करने की इच्छा थी. लेकिन उन सभी के प्रधानमंत्री न होने के कारण काशी विश्वनाथ धाम वंचित रहा. इसके कारण काशी की गलियां, गली-कूचे, व्यापारी वर्ग का विकास बाधित हुआ. दुनियाभर से आए श्रद्धालु किसी तरह इन गलियों से होते हुए मंदिर पहुंच रहे थे. सड़कों की चौड़ाई नहीं बढ़ाई जा सकती थी. लेकिन मोदी के काशी का सांसद बनने के बाद कार्यों को गति मिली. कई अतिक्रमण हटाए गए. विरोध करनेवालों को चुप करा दिया गया. इसलिए काशी का मंदिर भव्य रूप में दुनिया के सामने आया. इस परियोजना की भव्यता को राजनीति और राजनीतिक विरोध का चश्मा उतारकर देखना चाहिए. देश के हर गौरवशाली धार्मिक प्रतीकों, ऐतिहासिक स्थलों का जीर्णोद्धार इसी तरह हो. प्रधानमंत्री ने मंदिर का जीर्णोद्धार करने का फैसला लिया, वही, भावना महात्मा गांधी की भी थी.

महंगाई, बेरोजगारी को दूर करने की नसीहत दी

हालांकि, शरीर पर राख लगाकर, भगवा वस्त्र पहनकर, माथे पर भस्म लगाकर राजनेता तो मंदिर बना सकते हैं लेकिन राष्ट्र का निर्माण नहीं कर सकते हैं. मंदिर अथवा धार्मिक स्थल अध्यात्म के ऊर्जा केंद्र हैं. ये सच्चाई है कि धर्म अफीम की गोली है. इसलिए केवल ‘अफीम’ बांटकर लोगों को मूल सवालों को भुलवाने की कोशिश न की जाए. जिस तत्परता से काशी का विकास हुआ उसी तरह तत्परता लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए भी दिखानी चाहिए. महंगाई, बेरोजगारी के सवालों का काशी का भव्य मंदिर हल नहीं है. मथुरा के मंदिर का आंदोलन शुरू करने से बेरोजगारी कम होगी, ऐसा किसी को लग रहा है तो वह भ्रम है. मंदिरों का जीर्णोद्धार यह अलग विषय है. गंगा के जिस घाट पर प्रधानमंत्री मोदी ने डुबकी लगाई उसी गंगा में कोरोना काल में हजारों लावारिस लाशें बहती हुई दुनिया ने देखी हैं. प्रधानमंत्री के तौर पर नहीं, बल्कि काशी का सांसद होने के कारण मोदी को उस समय भी वहां जाना चाहिए था. मोदी आज के जगमगाते वातावरण में वहां गए. लेकिन जब गंगा आक्रोश में थी तब काशी के सांसद वहां नहीं गए. हिंदुस्तान को मंगल, ज्ञान-विज्ञान, कला और अध्यात्म की महान विरासत मिली है.

ये भी पढ़ें- नोटिस पीरियड पूरा किए बिना नौकरी छोड़ने पर देना होगा 18 फीसदी जीएसटी, 'सामना' ने उठाए सवाल

सदियों से इस भूमि ने महान संस्कृति का प्रवाह जारी रखा है और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की संकल्पना से पूरे विश्व के कल्याण का संदेश दिया है. हमारी संस्कृति की जड़ें इतनी मजबूत हैं कि कई तूफान, हमले भी इन जड़ों को नष्ट नहीं कर पाए. इन जड़ों से हमारी संस्कृति का वृक्ष लहरा रहा है. देश में आज राजनीतिक वातावरण बिगड़ गया है. शासकों की मनमानी शुरू है. हंगामे की स्थिति है. महामारी ने लोगों को अशांत बना दिया है. ऐसे समय में धर्म और अध्यात्म ही जीने की शक्ति देते रहते हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने काशी में जाकर गंगा में स्नान किया. उस गंगा स्नान से उनके मन का मलाल दूर हो. विपक्षियों के प्रति कलुषित भावना नष्ट हो और काशी विश्वनाथ मंदिर की तरह लोकतंत्र के मंदिर का भी जीर्णोद्धार हो. मोदी प्रधानमंत्री हैं इसलिए उनका गंगा स्नान सुर्खियों में रहा. नहीं तो लाखों लोग हर दिन गंगा में डुबकियां लगाते ही रहते हैं. राहुल गांधी कहते हैं वह भी सही, इतने लोग गंगा में स्नान करते हैं लेकिन कैमरा केवल मोदी पर ही! यह कैमरा व्यक्ति पर नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री पर हैं. देखते हैं, काशी विश्वनाथ के मन में क्या है ?

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.