नई दिल्ली : रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Russia foreign minister Sergey Lavrov) कच्चे तेल की पेशकश, रुपये-रूबल भुगतान और हथियारों के सौदे पर भारतीय समकक्ष एस. जयशंकर (external affairs minister S Jaishankar) के साथ बातचीत करने के लिए गुरुवार शाम नई दिल्ली पहुंचे. यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद भारत में किसी शीर्ष रूसी राजनेता की यह पहली उच्च स्तरीय यात्रा है.
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव शाम छह बजे दिल्ली पहुंचे. लावरोव शुक्रवार दोपहर जयशंकर से मुलाकात करेंगे और शाम 5.50 बजे मॉस्को के लिए उड़ान भरेंगे. लावरोव अमेरिका के नेतृत्व वाले प्रतिबंधों और कुछ रूसी बैंकों को स्विफ्ट मैसेजिंग सिस्टम से हटाए जाने के अलावा कच्चे तेल के लिए रुपये-रूबल मूल्यवर्ग के भुगतान के तरीके पर विचार करेंगे, जो रूस ने भारत को दिया है. हालांकि नई दिल्ली रूसी तेल को रियायती दर पर खरीदने के खिलाफ नहीं है.
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Welcoming the Foreign Minister of the Russian Federation Sergey Lavrov as he arrives in New Delhi for an official visit. pic.twitter.com/eHHCRgF30y
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यह भी कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारी रुपये-रूबल भुगतान पर चर्चा करने के लिए अपने रूसी समकक्षों से मिलने वाले हैं. युद्ध की शुरुआत के बाद से, भारत पर पश्चिम और उसके सहयोगियों के दबाव में रूस के खिलाफ एक मजबूत रुख अपनाने का दबाव रहा है. चूंकि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध से भारत की सैन्य क्षमताओं को भारी कीमत चुकानी पड़ी, क्योंकि परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों, ग्रिगोरोविच क्लास फ्रिगेट्स, फाइटर जेट्स, ट्रायम्फ एस-400, एके 203 असॉल्ट राइफल और अन्य जैसे कई प्लेटफार्मों की डिलीवरी में देरी होने की उम्मीद है. भारतीय नेता इस मुद्दे पर भी लावरोव के साथ चर्चा करेंगे.
भारत ने अपने सैन्य बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करने का फैसला किया है. क्योंकि जुलाई 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ चीन के साथ भारत विवाद में उलझा हुआ है और दोनों देशों की सेना अग्रिम स्थानों पर लंबे समय से आमने-सामने रही हैं. वहीं चीन और पाकिस्तान से दो-मोर्चो पर युद्ध के खतरे ने भारत को बड़े पैमाने पर इस दिशा में कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया है. हथियारों के सौदे को लेकर रूस अभी भी भारत के सबसे बड़े हथियार आपूर्तिकर्ताओं में से एक है.
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भारत के रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में रूस के साथ मौजूदा सौदों की स्थिति और युद्ध की सैन्य क्षमताओं को कैसे प्रभावित करने जा रहा है, इसकी समीक्षा की है. बता दें कि दिसंबर 2021 में, भारत और रूस ने विभिन्न क्षेत्रों में दो दर्जन से अधिक सौदों पर हस्ताक्षर करने के साथ ही 10 साल के रक्षा सहयोग समझौते पर भी हस्ताक्षर किए थे. भारत यह सुनिश्चित करेगा कि रूस और यूक्रेन में चल रहे युद्ध के कारण ये सौदे अधर में न अटकें या इनमें देरी हो.
(आईएएनएस)