जम्मू : जम्मू की एक विशेष अदालत ने बुधवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से कहा कि वह पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण के सिलसिले में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) प्रमुख यासीन मलिक को 20 अक्टूबर को उसके समक्ष पेश करे. विशेष अदालत ने मामले में गवाहों से जिरह के लिए सीबीआई को पेशी वारंट जारी किया.
सीबीआई की स्थायी वकील मोनिका कोहली (CBI lawyer Monika Kohli) ने कहा कि एजेंसी की इस आधार पर आपत्ति के बावजूद अदालत ने पेशी वारंट जारी किया कि उच्च न्यायालय के विशिष्ट निर्देश हैं कि सभी आरोपियों को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ही पेश किया जाए. रुबिया सईद सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद थीं और उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी इस भयावह घटना की ओर मुड़कर नहीं देखा, क्योंकि उन्होंने एक सामान्य जीवन जीने की कोशिश की थी. जेकेएलएफ प्रमुख मलिक तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अदालत के सामने पेश हुआ और एक बार फिर जिरह करने के लिए शारीरिक तौर पर पेश करने को लेकर जोर दिया.
कोहली ने कहा, 'अदालत ने खुली अदालत में उसे (मलिक को) सुनवाई की अगली तारीख पर व्यक्तिगत तौर पर पेश करने का आदेश दिया है... तदनुसार पेशी वारंट जारी किया गया है.' इस रिपोर्ट पर कि रुबिया ने अदालत को बताया कि वह अदालत में मौजूद किसी भी आरोपी को पहचान नहीं पा रही हैं, सीबीआई के वकील ने कहा, 'उन्होंने (रूबिया ने) जिरह के दौरान तस्वीरों में मलिक की फिर से पहचान की थी. उनसे कुछ सवाल पूछे गए थे और वह उन सवालों के जवाब देने में सक्षम हैं.'
कोहली ने कहा कि रूबिया 20 अक्टूबर को खुद अदालत में पेश होंगी, क्योंकि मलिक को उनसे जिरह करनी है. जब मीडियाकर्मियों ने कोहली से पूछा कि क्या उन्हें लगता है कि एक अपराधी गवाहों से जिरह के लिए व्यक्तिगत तौर पर पेश होने पर जोर देकर ब्लैकमेल कर रहा है, उन्होंने कहा, 'मैं इसे इस तरह से नहीं लेती.' उन्होंने कहा, 'आपराधिक न्यायशास्त्र या कानून में हर किसी को अधिकार है. उन्होंने अदालत के सामने अपना पक्ष रखा है और कहा है कि वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये गवाह से जिरह संभव नहीं है.'
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