जयपुर. अंधता निवारण के लिए राज्य सरकार की ओर से राइट टू साइट विजन पॉलिसी लागू कर दी गई है. इससे राज्य के 3 लाख लोगों को नई रोशनी मिल सकेगी. इसके साथ ही अंधता निवारण के लिए पॉलिसी लागू करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश के बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा शुक्रवार को अंधता निवारण के लिए राइट टू साइट विजन पॉलिसी लागू कर दी गई है. जिसके बाद प्रदेश में 3 लाख से अधिक लोगों को नई रोशनी मिल सकेगी. पॉलिसी डॉक्यूमेंट के तहत सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अनिवार्य रूप से केराटोप्लास्टी प्लास्टिक सेंटर और आई बैंक संचालित किए जाएंगे और कार्नियल ट्रांसप्लांट सेंटर, नेत्र बैंकों की स्थापना के साथ ही स्वास्थ्य कार्मिकों के लिए विशेष स्किल डेवलपमेंट प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
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अंधता नियंत्रण के क्षेत्र में कार्यरत स्वयंसेवी संस्थाओं, ट्रस्ट, चेरिटेबल अस्पतालों एवं अन्य चैरिटेबल संस्थाओं के साथ मिलकर कार्य किया जाएगा. पॉलिसी डाक्यूमेंट के तहत वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले निजी संगठनों और गैर सरकारी संगठनों द्वारा एकत्रित कॉर्निया को पहली प्राथमिकता के तौर पर राजस्थान के सरकारी संस्थानों को उपलब्ध करवाना होगा. राजस्थान नेत्रदान के मामले में आज सबसे आगे है. इससे पहले सिर्फ अंगदान में ही राजस्थान को अग्रणी माना जाता था, लेकिन पिछले कुछ सालों में यहां 11 हजार से अधिक लोगों को नेत्रदान के जरिए नई रोशनी मिली है.
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आई बैंक सोसाइटी ऑफ राजस्थान की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक नेत्रदान के माध्यम से कॉर्निया डोनेट करने वाले लोगों की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में इजाफा हुआ है. हर साल अधिक से अधिक लोग कॉर्निया डोनेट कर रहे हैं. जिसके बाद राजस्थान ही नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के जरूरतमंदों को भी नई रोशनी दी जा रही है.