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विश्व धरोहर में शामिल हुआ बारां का रामगढ़ क्रेटर, 200वें क्रेटर के रूप में मिली मान्यता

अंतरराष्ट्रीय संस्था अर्थ इम्पैक्ट डाटा बेस सोसायटी ऑफ कनाडा ने राजस्थान के बारां के रामगढ़ क्रेटर को विश्व के 200वें क्रेटर के रूप में मान्यता प्रदान कर दी है. इससे बारां जिला विश्व के मानचित्र पर उभर आया है. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

रामगढ़ क्रेटर
रामगढ़ क्रेटर
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Published : Feb 19, 2021, 8:20 PM IST

बारां : दुनियाभर के क्रेटरों को मान्यता देनी वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था अर्थ इम्पैक्ट डाटा बेस सोसायटी ऑफ कनाडा ने रामगढ़ की रिंग आकार वाली पहाड़ी संरचना को अपनी खोज के करीब 200 वर्ष बाद विश्व के 200वें क्रेटर के रूप में संवैधानिक मान्यता प्रदान कर दी है. इससे बारां जिला विश्व के मानचित्र पर उभर आया है.

वहीं, जीएसआई ने इसे इको टयूरिज्म की वेबसाइट में स्थान दिया गया है. इस सोसायटी के साइंस जर्नल में इस क्रेटर को अगस्त 2020 में विश्व के संवैधानिक मान्यता प्राप्त क्रेटर के रूप में स्वीकार कर लिया गया. ये भारत के संवैधानिक मान्यता प्राप्त क्रेटरों में तीसरे क्रेटर एवं राजस्थान का पहला संवैधानिक मान्यता प्राप्त क्रेटर घोषित हो गया है. 3.2 किलोमीटर व्यास और 200 मीटर ऊंचाई की अंगूठी के आकार की ये संरचना रामगढ़ में स्थित है.

1869 में पहली बार आया सामने
नासा और इसरो के जियोग्राफिक अध्ययन के अनुसार यह खगोल मंडलीय घटना लगभग 600 करोड़ वर्ष पहले हुई. इस क्रेटर की खोज भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के समय एक अंग्रेज वैज्ञानिक डॉ. मलेट ने 1869 में की थी. उनकी खोज के बाद लगातार देश के कई वैज्ञानिकों ने रामगढ़ आकर रिसर्च की और इंटरनेशनल सोसायटी में अपने रिसर्च में प्रस्तुत किए, लेकिन, पर्याप्त प्रमाण नहीं मिलने पर इसे संवैधानिक मान्यता नहीं दी गई.

वर्ष 2018 में हुई थी रिसर्च
इंटेक बारां चैप्टर के संयोजक जितेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि सितंबर 2013 में उन्होंने इस पर एक सर्वे कर रिपोर्ट जीएसआई के वेस्ट जोन के डायरेक्टर एस तिरूवेण्दगम को सौंपी थी. साल 2018 में इंटेक केंद्रीय कार्यालय के सीनियर जियोलोजिस्ट व जीएसआई के अधिकारियों ने बारां चेप्टर के आह्वान पर रामगढ़ क्रेटर पर दो दिन तक रिसर्च की. इसमें कोबाल्ट, निकल, निकल कोबाल्ट और लोहा जैसी धातुएं प्रमाणिक साक्ष्य बारां चैप्टर को उपलब्ध कराए.

रिसर्च टीम को पांच सदस्यीय टीम ने अपने प्रमाणिक रिपोर्ट रिसर्च के बाद बारां चैप्टर को सौंपी, जिसे चैप्टर ने जीएसआई वेस्टर्न जोन ( केंद्रीय कार्यालय-नई दिल्ली) इंटेक को भेजा.

इस रिपोर्ट के आधार पर जियोलॉजिस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के केंद्रीय कार्यालय ने इसको भारत सरकार के संबंधित मंत्रालय से मान्यता दिलाए जाने के प्रयास किए. इस रिपोर्ट के आधार पर एक ब्रिटिश साइंटिस्ट केक मॉन्टी तथा अन्य वैज्ञानिक वुल्फ जी ने अपना शोध पत्र इन्टरनेशनल सोसायटी में प्रस्तुत किया.

इसमें इंटेक बारां चैप्टर की सर्वे रिपोर्ट को आधार बनाया तथा संवैधानिक मान्यता के लिए आवश्यक साक्ष्य प्रस्तुत किए.

क्या होता है क्रेटर
धरती पर गोल या गोल आकार के गड्ढे को क्रेटर कहते हैं. क्रेटर मतलब ऐसा गड्ढा जो किसी विस्फोटक ढंग से बना हो. चाहे वह ज्वालामुखी के फटने से बना हो या अंतरिक्ष से गिरे उल्कापिंड के प्रहार से बना हो. क्रेटर जमीन के अंदर प्राकृतिक या कृत्रिम रूप से विस्फोट से भी बन जाता है.

बारां : दुनियाभर के क्रेटरों को मान्यता देनी वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था अर्थ इम्पैक्ट डाटा बेस सोसायटी ऑफ कनाडा ने रामगढ़ की रिंग आकार वाली पहाड़ी संरचना को अपनी खोज के करीब 200 वर्ष बाद विश्व के 200वें क्रेटर के रूप में संवैधानिक मान्यता प्रदान कर दी है. इससे बारां जिला विश्व के मानचित्र पर उभर आया है.

वहीं, जीएसआई ने इसे इको टयूरिज्म की वेबसाइट में स्थान दिया गया है. इस सोसायटी के साइंस जर्नल में इस क्रेटर को अगस्त 2020 में विश्व के संवैधानिक मान्यता प्राप्त क्रेटर के रूप में स्वीकार कर लिया गया. ये भारत के संवैधानिक मान्यता प्राप्त क्रेटरों में तीसरे क्रेटर एवं राजस्थान का पहला संवैधानिक मान्यता प्राप्त क्रेटर घोषित हो गया है. 3.2 किलोमीटर व्यास और 200 मीटर ऊंचाई की अंगूठी के आकार की ये संरचना रामगढ़ में स्थित है.

1869 में पहली बार आया सामने
नासा और इसरो के जियोग्राफिक अध्ययन के अनुसार यह खगोल मंडलीय घटना लगभग 600 करोड़ वर्ष पहले हुई. इस क्रेटर की खोज भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के समय एक अंग्रेज वैज्ञानिक डॉ. मलेट ने 1869 में की थी. उनकी खोज के बाद लगातार देश के कई वैज्ञानिकों ने रामगढ़ आकर रिसर्च की और इंटरनेशनल सोसायटी में अपने रिसर्च में प्रस्तुत किए, लेकिन, पर्याप्त प्रमाण नहीं मिलने पर इसे संवैधानिक मान्यता नहीं दी गई.

वर्ष 2018 में हुई थी रिसर्च
इंटेक बारां चैप्टर के संयोजक जितेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि सितंबर 2013 में उन्होंने इस पर एक सर्वे कर रिपोर्ट जीएसआई के वेस्ट जोन के डायरेक्टर एस तिरूवेण्दगम को सौंपी थी. साल 2018 में इंटेक केंद्रीय कार्यालय के सीनियर जियोलोजिस्ट व जीएसआई के अधिकारियों ने बारां चेप्टर के आह्वान पर रामगढ़ क्रेटर पर दो दिन तक रिसर्च की. इसमें कोबाल्ट, निकल, निकल कोबाल्ट और लोहा जैसी धातुएं प्रमाणिक साक्ष्य बारां चैप्टर को उपलब्ध कराए.

रिसर्च टीम को पांच सदस्यीय टीम ने अपने प्रमाणिक रिपोर्ट रिसर्च के बाद बारां चैप्टर को सौंपी, जिसे चैप्टर ने जीएसआई वेस्टर्न जोन ( केंद्रीय कार्यालय-नई दिल्ली) इंटेक को भेजा.

इस रिपोर्ट के आधार पर जियोलॉजिस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के केंद्रीय कार्यालय ने इसको भारत सरकार के संबंधित मंत्रालय से मान्यता दिलाए जाने के प्रयास किए. इस रिपोर्ट के आधार पर एक ब्रिटिश साइंटिस्ट केक मॉन्टी तथा अन्य वैज्ञानिक वुल्फ जी ने अपना शोध पत्र इन्टरनेशनल सोसायटी में प्रस्तुत किया.

इसमें इंटेक बारां चैप्टर की सर्वे रिपोर्ट को आधार बनाया तथा संवैधानिक मान्यता के लिए आवश्यक साक्ष्य प्रस्तुत किए.

क्या होता है क्रेटर
धरती पर गोल या गोल आकार के गड्ढे को क्रेटर कहते हैं. क्रेटर मतलब ऐसा गड्ढा जो किसी विस्फोटक ढंग से बना हो. चाहे वह ज्वालामुखी के फटने से बना हो या अंतरिक्ष से गिरे उल्कापिंड के प्रहार से बना हो. क्रेटर जमीन के अंदर प्राकृतिक या कृत्रिम रूप से विस्फोट से भी बन जाता है.

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