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अफगानिस्तान में बदल रहे सत्ता समीकरण भारत के लिए चुनौती : राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि अफगानिस्तान में बदल रहे सत्ता समीकरण के कारण भारत को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ा. पाकिस्तान को लेकर उन्होंने कहा कि दो युद्ध हारने के बाद भी हमारे पड़ोसी देशों में से एक ने छद्म युद्ध का सहारा लिया और आतंकवाद उस देश की नीति का अभिन्न अंग बन गया.

राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह
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Published : Aug 29, 2021, 9:17 PM IST

चेन्नई : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि अफगानिस्तान में बदल रहे सत्ता समीकरण भारत के लिए चुनौती है, जिसे लेकर उसे अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ा और क्वाड पहल ने इसे रेखांकित किया है.

तमिलनाडु के ऊटी में वेलिंगटन के पास 'डिफेंस सर्विसेज एंड स्टाफ कॉलेज' में अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय एकीकृत युद्ध समूहों (आईबीजी) के गठन पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रहा है क्योंकि युद्ध के दौरान तत्काल निर्णय लेना एक महत्वपूर्ण पहलू है.

उन्होंने कहा, अफगानिस्तान में सत्ता समीकरण में बदलाव हमारे लिए चुनौती है…इन हालातों ने हमारे देश को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने को मजबूर कर दिया है. हम अपनी रणनीति बदल रहे हैं और क्वाड का गठन इस रणनीति को रेखांकित करता है.

क्वाड (चतुर्भुजीय सुरक्षा वार्ता) समूह है, जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं.

आईबीजी पर मंत्री ने कहा कि ये समूह न सिर्फ त्वरित निर्णय लेने में सहायक होंगे बल्कि एकीकृत युद्धक इकाइयों को भी बढ़ाएंगे. वहीं, 'टूर ऑफ ड्यूटी' के बारे में रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार इस पर विचार कर रही है और यह बड़ा सुधार लाने वाला होगा.

'टूर ऑफ ड्यूटी' सेना की वह पहल है जिसके तहत आम लोगों को भी तीन साल की अवधि के लिये सेना में सेवा देना का अवसर मिल सकता है. इस पर रक्षा मंत्रालय विचार कर रहा है.

'पाकिस्तान ने छद्म युद्ध का सहारा लिया'
पाकिस्तान का नाम लिए बिना सिंह ने कहा, दो युद्ध हारने के बाद भी हमारे पड़ोसी देशों में से एक ने छद्म युद्ध का सहारा लिया और आतंकवाद उस देश की नीति का अभिन्न अंग बन गया.

उन्होंने कहा, अगर संघर्षविराम (भारत और पाकिस्तान के बीच) आज सफल है तो यह हमारी ताकत के कारण है. 2016 में सीमा पार के हमलों ने हमारी प्रतिक्रियावादी मानसिकता को एक सक्रिय मानसिकता में बदल दिया, जिसे 2019 में देखा गया. और इसके बाद बालकोट हवाई हमले ने इसे और मजबूत किया.

भारत-चीन सीमा गतिरोध पर रक्षा मंत्री ने होशियारीपूर्वक व्यवहार करने के लिए भारतीय सेना की तारीफ की. उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों ने एक बार फिर दिखलाया कि देश दुश्मन से किसी भी समय किसी भी स्थिति से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी कीमत पर देश की रक्षा के लिए तैयार हैं.

सिंह ने कहा कि सीमा पर यथास्थिति को बदलने के लिए पिछले साल एकतरफा कोशिश हुई. उन्होंने कहा, वहां भी हमने एक नई गतिशीलता के साथ विरोधी का सामना किया. उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण के इस दौर में दुनिया भर में हो रहे इन बदलावों से कोई भी देश अछूता नहीं है. ऐसे में देश की रक्षा तैयारियों को इन बदलावों के अनुपात में या इनसे एक कदम आगे रखने की जरूरत है.

यह भी पढ़ें- अफगानिस्तान के हालात मुश्किल, चुनौतियां बहुत हैं : पीएम मोदी

उन्होंने कहा, जब से हमारा देश आजाद हुआ है, दुश्मन ताकतों का प्रयास रहा है कि देश के भीतर किसी न किसी माध्यम से अस्थिरता का माहौल पैदा किया जाए. पिछले 75 साल का इतिहास देखें तो हमें चुनौतियां विरासत में मिली हैं.

(पीटीआई-भाषा)

चेन्नई : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि अफगानिस्तान में बदल रहे सत्ता समीकरण भारत के लिए चुनौती है, जिसे लेकर उसे अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ा और क्वाड पहल ने इसे रेखांकित किया है.

तमिलनाडु के ऊटी में वेलिंगटन के पास 'डिफेंस सर्विसेज एंड स्टाफ कॉलेज' में अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय एकीकृत युद्ध समूहों (आईबीजी) के गठन पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रहा है क्योंकि युद्ध के दौरान तत्काल निर्णय लेना एक महत्वपूर्ण पहलू है.

उन्होंने कहा, अफगानिस्तान में सत्ता समीकरण में बदलाव हमारे लिए चुनौती है…इन हालातों ने हमारे देश को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने को मजबूर कर दिया है. हम अपनी रणनीति बदल रहे हैं और क्वाड का गठन इस रणनीति को रेखांकित करता है.

क्वाड (चतुर्भुजीय सुरक्षा वार्ता) समूह है, जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं.

आईबीजी पर मंत्री ने कहा कि ये समूह न सिर्फ त्वरित निर्णय लेने में सहायक होंगे बल्कि एकीकृत युद्धक इकाइयों को भी बढ़ाएंगे. वहीं, 'टूर ऑफ ड्यूटी' के बारे में रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार इस पर विचार कर रही है और यह बड़ा सुधार लाने वाला होगा.

'टूर ऑफ ड्यूटी' सेना की वह पहल है जिसके तहत आम लोगों को भी तीन साल की अवधि के लिये सेना में सेवा देना का अवसर मिल सकता है. इस पर रक्षा मंत्रालय विचार कर रहा है.

'पाकिस्तान ने छद्म युद्ध का सहारा लिया'
पाकिस्तान का नाम लिए बिना सिंह ने कहा, दो युद्ध हारने के बाद भी हमारे पड़ोसी देशों में से एक ने छद्म युद्ध का सहारा लिया और आतंकवाद उस देश की नीति का अभिन्न अंग बन गया.

उन्होंने कहा, अगर संघर्षविराम (भारत और पाकिस्तान के बीच) आज सफल है तो यह हमारी ताकत के कारण है. 2016 में सीमा पार के हमलों ने हमारी प्रतिक्रियावादी मानसिकता को एक सक्रिय मानसिकता में बदल दिया, जिसे 2019 में देखा गया. और इसके बाद बालकोट हवाई हमले ने इसे और मजबूत किया.

भारत-चीन सीमा गतिरोध पर रक्षा मंत्री ने होशियारीपूर्वक व्यवहार करने के लिए भारतीय सेना की तारीफ की. उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों ने एक बार फिर दिखलाया कि देश दुश्मन से किसी भी समय किसी भी स्थिति से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी कीमत पर देश की रक्षा के लिए तैयार हैं.

सिंह ने कहा कि सीमा पर यथास्थिति को बदलने के लिए पिछले साल एकतरफा कोशिश हुई. उन्होंने कहा, वहां भी हमने एक नई गतिशीलता के साथ विरोधी का सामना किया. उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण के इस दौर में दुनिया भर में हो रहे इन बदलावों से कोई भी देश अछूता नहीं है. ऐसे में देश की रक्षा तैयारियों को इन बदलावों के अनुपात में या इनसे एक कदम आगे रखने की जरूरत है.

यह भी पढ़ें- अफगानिस्तान के हालात मुश्किल, चुनौतियां बहुत हैं : पीएम मोदी

उन्होंने कहा, जब से हमारा देश आजाद हुआ है, दुश्मन ताकतों का प्रयास रहा है कि देश के भीतर किसी न किसी माध्यम से अस्थिरता का माहौल पैदा किया जाए. पिछले 75 साल का इतिहास देखें तो हमें चुनौतियां विरासत में मिली हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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