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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने फ्रांसीसी समकक्ष फ्लोरेंस पार्ली से की वार्ता, सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर हुई बात

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Published : Dec 17, 2021, 8:34 PM IST

Rajnath
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पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ भारत का सीमा विवाद (india's border dispute ), पाकिस्तान की ओर से सीमा पार आतंकवाद और अफगानिस्तान की स्थिति पर समान चिंताओं को वार्ता में प्रमुखता से रखा गया. सिंह के बातचीत से पहले, पार्ली (French Defense Minister Parly) ने कहा कि अगर भारत को जरूरत होगी तो फ्रांस उसे अतिरिक्त राफेल लड़ाकू विमान (Rafale fighter plane ) उपलब्ध कराने के लिए तैयार है और उनका देश 'मेक इन इंडिया' पहल का समर्थन करने और भारतीय निर्माताओं को अपनी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में और एकीकृत करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.

नयी दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath singh) और उनकी फ्रांसीसी समकक्ष फ्लोरेंस पार्ली (French Defense Minister Parly) ने शुक्रवार को व्यापक वार्ता की. इस बातचीत में अफगानिस्तान का घटनाक्रम, पाकिस्तान से सीमापार आतंकवाद, चीन के साथ भारत के सीमा विवाद के मुद्दे शामिल होने के साथ-साथ द्विपक्षीय रणनीतिक रिश्तों को आगे बढ़ाने पर मंथन किया गया. सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी.

सूत्रों ने बताया कि भारत-फ्रांस वार्षिक रक्षा वार्ता का एक अहम हिस्सा 'मेक इन इंडिया' (Make in India) पहल और कैसे फ्रांसीसी कंपनियां भारतीय कंपनियों के साथ सहयोग कर सकती हैं या देश में अपने दम पर उत्पादन कर सकती हैं, इस पर ‘गहन’ चर्चा रही.

चर्चा में जिन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया, उनमें एयरोस्पेस क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना शामिल रहा और दोनों पक्षों ने अपने साझा दृष्टिकोण के साथ सेना के विस्तार की जरूरतों को रेखांकित किया. पार्ली दो दिन की यात्रा पर बृहस्पतिवार शाम दिल्ली पहुंची. सिंह ने वार्ता को 'उत्कृष्ट' बताया.

सिंह ने कहा, 'भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी आज पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है. मेरी फ्रांसीसी समकक्ष फ्लोरेंस पार्ली के साथ उत्कृष्ट बैठक हुई. आज वार्षिक रक्षा वार्ता में द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और रक्षा औद्योगिक सहयोग के व्यापक मुद्दों पर चर्चा की.'

सूत्रों ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ भारत का सीमा विवाद, पाकिस्तान की ओर से सीमा पार आतंकवाद और अफगानिस्तान की स्थिति पर समान चिंताओं को वार्ता में प्रमुखता से रखा गया. सिंह के बातचीत से पहले, पार्ली ने कहा कि अगर भारत को जरूरत होगी तो फ्रांस उसे अतिरिक्त राफेल लड़ाकू विमान उपलब्ध कराने के लिए तैयार है और उनका देश 'मेक इन इंडिया' पहल का समर्थन करने और भारतीय निर्माताओं को अपनी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में और एकीकृत करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.

फ्रांस के साथ भारत का 59,000 करोड़ रुपये में 36 राफेल खरीदने के लिए अंतर-सरकारी समझौता सितंबर 2016 में हुआ था, जिसके तहत 33 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति की जा चुकी है. माना जाता है कि फ्रांसीसी पक्ष ने वार्ता के दौरान भारत को और अधिक राफेल विमानों की आपूर्ति करने की इच्छा व्यक्त की है.

भारत और फ्रांस के बीच पिछले कुछ वर्षों में रक्षा और सुरक्षा सहयोग में वृद्धि हुई है. भारत-फ्रांस की रणनीतिक साझेदारी के प्रमुख स्तंभ रक्षा और सुरक्षा, असैन्य परमाणु सहयोग तथा व्यापार और निवेश के क्षेत्र हैं.

इसके अलावा, भारत और फ्रांस सहयोग के नए क्षेत्रों को लेकर भी संवाद बढ़ा रहे हैं, जिनमें हिंद महासागर क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ प्रगति व विकास शामिल हैं. सिंह के साथ बैठक से पहले, पार्ली ने एक थिंक-टैंक में कहा कि वह यह बताने के लिए भारत आई हैं कि फ्रांस और भारत के बीच दोस्ती कितनी "अहम" है. उन्होंने भारत का जीवंत रंगों, प्रभावशाली परिदृश्यों और समृद्ध इतिहास वाली एक अनूठी भूमि के तौर पर उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि इस देश जैसा कोई और नहीं है.

पार्ली ने कहा कि भारत और फ्रांस दोनों बहुपक्षवाद और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बढ़ावा देते हैं. उन्होंने कहा कि जब दुनिया और क्षेत्र ने उथल-पुथल का सामना किया, तब ‘मजबूत सिंद्धातों’ का संदर्भ देना अच्छा है.

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इस संदर्भ में, पार्ली ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई सहित प्रमुख मुद्दों और वैश्विक चुनौतियों से निपटने में दोनों पक्षों के समान विचारों के बारे में बात की. उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि सशस्त्र बलों के पास जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में योगदान करने के लिए बहुत कुछ है. नवंबर में पेरिस पीस फोरम में हमने जो पहल की थी, उसका यही अर्थ है.'

फ्रांस की रक्षा मंत्री ने कहा, 'मुझे लगता है कि हमें भारत से बहुत कुछ सीखना है, जो पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए दृढ़ है और इस पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है.' ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका (ऑकस) द्वारा सितंबर में सुरक्षा साझेदारी के एलान के बाद यह फ्रांस से पहली उच्च स्तरीय भारत यात्रा है.

ऑकस के बारे में पूछे जाने पर पार्ली ने कहा कि यह फ्रांस के लिए निराशाजनक घटनाक्रम है. उन्होंने कहा, 'हमने ऑस्ट्रेलिया के साथ बहुत अच्छे संबंध विकसित किए हैं. फिर ऑस्ट्रेलिया ने अपना फैसला किया. मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगी. यह निश्चित रूप से हमारे लिए बहुत निराशाजनक है.'

(पीटीआई-भाषा)

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