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Sachin Pilot Interview : सचिन पायलट ने गहलोत के आरोप पर फिर किया पलटवार, कहा- मैं भी कह सकता हूं 10 हजार करोड़ कोई खा गया

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Published : May 16, 2023, 10:49 AM IST

Updated : May 16, 2023, 10:56 AM IST

राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने एक बार फिर अशोक गहलोत पर निशाना साधा. उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान प्रदेश के सियासी सरगर्मी और कई मुद्दों पर खुलकर बात की.

Rajasthan Congress Ex President Sachin PIlot interview
Rajasthan Congress Ex President Sachin PIlot interview

पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट का इंटरव्यू देखिए

जयपुर. राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट अपनी ही सरकार को अल्टीमेटम दे चुके हैं. उन्होंने कहा कि अगर उनकी तीन मांगों पर 15 दिनों में कार्रवाई नहीं होती है, तो वह आंदोलन का रास्ता पकड़ेंगे और भ्रष्टाचार के मामले में प्रदेश की जनता को साथ लेकर सड़कों पर उतरेंगे. पायलट ने साफ कहा कि जिस भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार को हम पानी पी पीकर कोसते थे और जिन आरोपों के आधार पर हम सरकार में आए, उन आरोपों की जांच सरकार को करवानी होगी. सभी मुद्दों पर सचिन पायलट ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. चलिए जानते हैं कि पायलट ने और क्या कुछ कहा.

सवाल: 5 दिन की यात्रा में सचिन पायलट ने क्या खोया क्या पाया ?

जवाब : 11 मई को हमने इस यात्रा की शुरुआत की, ये निर्णय मैंने यात्रा से एक दिन पहले 9 मई को लिया था. अजमेर को इसलिए चुना, क्योंकि अजमेर शिक्षा का सेंटर है, वहां माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और आरपीएससी है. अजमेर शिक्षा, परीक्षा , नौकरी के केंद्र में रहता है. वहां पर युवाओं में रोष था की पारदर्शिता से काम हो नहीं पा रहा, लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे थे अभी आरपीएससी सदस्य कटारा को अरेस्ट भी किया, लेकिन सब का मूल कारण करप्शन है और करप्शन को लेकर वसुंधरा राजे के कार्यकाल में हमने अपनी बातें रखी थी. इतिहास गवाह है कि चाहे अशोक गहलोत हो या मैं हूं पानी पी पीकर दोबारा बोलता हूं पानी पी पीकर हमने वसुंधरा सरकार को कटघरे में खड़ा किया. 5 साल तक हम यह बात कहते रहे और अब सरकार के साढ़े 4 साल सरकार के हो गए. मुख्यमंत्री जो गृह मंत्री भी है, वित्त मंत्री भी है. इतना समय बीतने के बाद मुझे लगा की कार्रवाई होनी चाहिए थी, क्योंकि हमें जनता के बीच 6 महीने में चुनाव में जाना है तो जनता हमसे पहुंचेगी कि क्या हुआ उन आरोपों का. इसी मुद्दे को लेकर 1 दिन का अनशन भी किया. मेरा अनशन भी वसुंधरा राजे के करप्शन के खिलाफ था. जन संघर्ष यात्रा भी किसी के विरोध में नहीं है यह केवल करप्शन के विरोध में है जो दीमक की तरह नौजवानों के भविष्य को खा रहा है, खासकर राजस्थान में, इसलिए इसका जड़ से निराकरण करना जरूरी है. जन संघर्ष यात्रा में पब्लिक का समर्थन मुझे नहीं बल्कि उन मुद्दों को मिला है जिन मुद्दों को हमने उठाया है. इसलिए यह कहना गलत होगा कि क्या खोया क्या पाया? राजनीति में पद, पोस्ट, सत्ता, विपक्ष आता जाता रहता है, लेकिन राजनीति में हमने जिन बातों को कहा हमारी जुबान का इकबाल होना चाहिए, लोगों को विश्वास होना चाहिए कि जो यह बोल रहे हैं वह होगा.

सवाल : आप भी करप्शन के आरोप लगा रहे हैं और मुख्यमंत्री भी करप्शन के आरोप लगा रहे हैं?

जवाब : मैंने मुख्यमंत्री का स्टेटमेंट देखा, अब वह कह रहे हैं कि वह कही सुनी बातें थी. मुझे पता नहीं, इसके बाद तो मुझे लगता है कि गंभीर राजनीति में बहुत से लोग चुगली करने आते होंगे. मेरे किसी विरोधी या प्रतिद्वंदी के खिलाफ मैं भी बहुत से आरोप लगा सकता हूं कि 2 हजार करोड़ खा गया, 10,000 करोड़ा कोई खा गया. राजनीति में आरोपों का कोई मतलब नहीं है. अपनी कथनी और करनी में फर्क नहीं है ये आपको जनता को बताना होगा और एक्शन की वजह से आपको लोग जानते हैं. वसुंधरा राजे की सरकार पर जो आरोप लगे जैसे खान घोटाला, बजरी घोटाला, भू माफिया, खान माफिया. यह तमाम आरोप हम सब ने लगाए, लेकिन कार्रवाई कुछ नहीं हई और आज यह कह देना कि उसमें कुछ लिटिगेशन है, हमने तो केवल पारदर्शी जांच की मांग की, मैं यह नहीं कह रहा कि किसी को दोषी करार दे दो, लेकिन आप जांच भी नहीं करो तो क्या चुनाव में जनता हमसे पूछेगी नहीं कि आपने क्या किया? कर्नाटक में हमने क्या किया बोम्मई सरकार को 40 प्रतिशत कमीशन की सरकार बोलकर कटघरे में खड़ा किया. जनता ने इसे स्वीकार किया और इसी बात का हमें भारी बहुमत मिला है, अब कर्नाटक में हमारी सरकार बनेगी और हम अगर कर्नाटक में बोम्मई सरकार पर एक्शन नहीं लेंगे तो फिर अगली बार किस मुंह से जनता के बीच जाएंगे, ऐसा ही मुद्दा मैं भी राजस्थान में उठा रहा हूं, मुझे लगता है कि लोग मेरी बात स्वीकार करें और सरकार को भी इस बात को स्वीकार करना चाहिए.

सवाल : रंधावा पहले रिपोर्ट सौंपने को कह रहे थे, अब आपको छोटा भाई बता साथ चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं?

जवाब : रंधावा जी प्रभारी हैं, कुछ महीने पहले ही प्रभारी बने हैं मेरे उनसे बड़े अच्छे संबंध है, वह नेक इंसान हैं पंजाब के वह दमदार नेता है. लेकिन यह व्यक्तिगत संबंधों की बात नहीं है. यह यात्रा मैं किसी के विरोध में नहीं कर रहा, ना मैं किसी पर आरोप लगा रहा हूं. बल्कि जब मैं करप्शन का मुद्दा उठाता हूं तो मुझ पर ही आरोप लग जाते हैं और हर तरह के आरोप लगते हैं. मुझ पर, मेरे साथियों, मेरे सहयोगियों के ऊपर, अगर इसके भी निचले स्तर के आरोप होंगे तो मैं उन्हें झेलने को तैयार हूं, लेकिन हमें पब्लिक के बीच जाने से पहले अपने आप को सिद्ध करना होगा कि जो हम कहते हैं वह करके दिखाते हैं विश्वसनीयता राजनीति में बहुत महत्वपूर्ण है.

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सवाल: क्या एआईसीसी से इस मामले पर बात हुई?

जवाब : जो कार्रवाई करनी है वह तो वह पार्टी को नहीं करनी है वह तो सरकार को करनी है. इसमें एआईसीसी क्या कर सकती है? ऑर्डर सरकार जारी करती है, जांच सरकार बैठती है. डिपार्टमेंट, विभाग, इंटेलिजेंस, विजिलेंस सरकार के हाथ में होता है. माकन जब हमारे प्रभारी थे मैं उन्हें सारी जानकारी देता था, सबको पता है. लेकिन कार्रवाई तो सरकार को करनी है. इसलिए मेरा आग्रह मुख्यमंत्री से है, क्योंकि वही गृह मंत्री और वित्त मंत्री है और वह यह आरोप जो मैं लगा रहा हूं उन्होंने ने भी लगाए थे. उन्होंने सदन के अंदर कहा था कि करोड़ों का लेनदेन होता है प्रतिमाह, प्रतिवर्ष नहीं, प्रतिमाह, तो उस पर हमने कहा जांच बैठाई अब तक उस पर क्या हुआ? अगर मैं नहीं पूछूंगा तो क्या जब हम वोट मांगने जाएंगे पब्लिक नहीं पूछेगी. 7 साल राजस्थान कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष रहा तो सबको हाथ जोड़कर साथ रखा, क्योंकि मेरी जिम्मेदारी थी ताकि हम सरकार बना सके. जब सरकार में हम होते हैं तो प्रदेश का मुखिया मुख्यमंत्री होता है, अब वसुंधरा राजे की सरकार हारी तो दोष परनामी को मिला या वसुंधरा राजे को, क्योंकि चेहरा मुख्यमंत्री होता है. हर बार हमारी सरकार बनती है हम अच्छा काम करते हैं, घोषणा करते हैं, बजट लाते हैं, स्कीम लाते हैं लेकिन परिणाम आता है कि 200 में से 50 पर आ गए, 20 पर आ गए. वोट तो हमें नहीं मिल रहा.

सवाल : अनशन की, यात्रा निकाली, अब आगे क्या पायलट नया रास्ता चुनेंगे?

जवाब: मैं अपने के लिए कुछ कर रहा हूं, ना मैंने अपने लिए कुछ मांगा है, ना ऐसा सोच रहा हूं. जिन सिद्धांत और नैतिक मूल्यों पर हम राजनीति कर रहे हैं, जिन बातों को हमने पब्लिक डोमेन में कहा उन पर खरा उतरना चाहिए. पद, पोस्ट, पक्ष-विपक्ष, हार-जीत, यह चलता रहेगा. इसका-राजनीति में कोई अंत नहीं है. पब्लिक के अंदर हमारी जो विचारधारा है उसको बनाए रखना, विश्वसनीयता कायम रखने के लिए जो एक्शन लेने है वो लेने पड़ेंगे. मैं फिर कहता हूं मेरा उद्देश्य बदला या प्रतिशोध नहीं है, लेकिन जांच तो हो दूध का दूध पानी का पानी हो और जो लोग सफाई देने का काम कर रहे हैं जरूरत क्या है? मैंने सिर्फ 10 बार बात की या 15 बार बात की, यह बताने की आवश्यकता क्या है? मैंने तो कभी मिलीभगत का शब्द इस्तेमाल ही नहीं किया, मैं तो चाह रहा हूं कि आप जांच करो जो सरकार को करनी चाहिए. अभी कहा जा रहा है कि कोई पुरुष है, कोई महिला है जो प्रदेश का मुखिया होता है वह कभी जाति, धर्म या लिंग का नहीं होता, वह संस्था है उसको निष्पक्षता से काम करना पड़ेगा, राजधर्म निभाना होगा. यह कह देना कि मुझ पर आरोप लगा रहे हैं क्यों लगा रहे हैं यह बचाव का जो बहाना है उसमें कोई दम नहीं है.

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सवाल : शांति धारीवाल लगातार आरोप लगा रहे है?

जवाब : राजनीति, संगठन पार्टी में हमेशा कुछ ना कुछ ऊपर नीचे होता रहता है. राजस्थान के लोगों को कुछ कहकर हम सत्ता में आए थे, उन बातों को पूरा नहीं होने से सरकार का इकबाल खत्म हो रहा है. जहां तक धारीवाल की बात है वह अनुभवी और दशकों से राजनीति कर रहे हैं. नवल जी के भी करीब रहे, जोशी जी के भी करीब रहे, मेरे भी करीब रहकर उन्होंने काम किया, उनके उस सियासी संकट के समय हमने उनकी मदद की जब वो दबाव में थे. धारीवाल अनुभवी नेता हैं अच्छे वक्ता भी हैं, लेकिन 98 की बात कर वह जिनके लिए कहा रहे है, ये वो लोग थे जिन लोगों ने उस समय नई पीढ़ी के लिए जगह दी, यह तो उस समय के नेताओं का बड़प्पन था चाहे वह मिर्धा परिवार हो, मदेरणा परिवार हो या नवल किशोर शर्मा, उस समय जब उन्होंने सोनिया गांधी की बात को माना और नई पीढ़ी के 47 साल के अशोक गहलोत को जगह दी, उस समय आलाकमान का एक लाइन का प्रस्ताव सबको अच्छा लगता था, लेकिन उस समय के नेताओं को आज यह बातें कहना. वह तो उनका बड़प्पन था अगर वह अड़ जाते तो क्या गहलोत मुख्यमंत्री बन पाते. उस समय उन नेताओं ने जो किया वह पार्टी का डिसिप्लिन था, वैसे भी जो दुनिया में नहीं है उनको इस तरीके से बेइज्जत करना ठीक नहीं है. उन्होंने अपना क्लेम अशोक गहलोत के लिए छोड़ा, लेकिन 25 सितंबर को वहीं सोनिया गांधी, वहीं कांग्रेस अध्यक्ष, उसी एक लाइन के प्रस्ताव के लिए मीटिंग बुलाती हैं और वह मीटिंग नहीं हो पाती है विद्रोह होता है. सोनिया गांधी की, कांग्रेस आलाकमान की बेइज्जती होती है. आज तक कांग्रेस के इतिहास में सवा सौ साल में ऐसा नहीं हुआ. वह लोग जो लाइन लंबी करने की बात करते हैं, गुटबाजी की बात करते हैं, अनुशासन की बात करते हैं, मान मर्यादा की बात करते हैं उनको सोचना चाहिए कि दो मापदंड नहीं हो सकते. अनुशासन के विचारधारा के दो मापदंड नहीं, जब आपको सूट करता है तो आपके मापदंड ऐसे हैं नहीं तो वैसे हैं यह सोचना चाहिए.

सवाल : सरकार रिपीट का फार्मूला क्या है?

जवाब : भाजपा-कांग्रेस का ये जो 25 साल से क्रम है. इसकी नींव पर अटैक करना होगा कि ऐसा होता क्यों है? मैंने अपने सुझाव दिए हैं वह मेरे और मेरे पार्टी के बीच में है, लेकिन जो कमेटी बनी, तीन सदस्यों की, उसमें पूरा रोडमैप तैयार हुआ, एग्रीमेंट समझौता हुआ. उस पर हम लोगों ने दो ढाई साल काम किया. लेकिन अब जब उस पर अमल करने की बात आती है तो द्विपक्षीय अमल होता है, हर चीज पर वह होना चाहिए, ताकि हम यह क्रम तोड़ पाए, जैसा मैंने पहले कहा कि भाजपा का तो कोई मुद्दा ही नहीं है. वह तो केवल इस सोच के साथ में घूम रहे हैं कि सरकार बन जाएगी जैसे कर्नाटक में बीजेपी हारी वैसे यहां भी हारेगी.

Last Updated : May 16, 2023, 10:56 AM IST
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