नई दिल्ली: राज्यसभा से निलंबित होने के बाद राघव चड्ढा ने सोशल मीडिया पर अपना प्रोफ़ाइल बदल लिया है. पहले प्रोफाइल में मेंबर ऑफ पार्लियामेंट का ज़िक्र था, जबकि अब लिखा है "सस्पेंडेड मेंबर ऑफ पार्लियामेंट, इंडिया". शुक्रवार को आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था. राघव चड्ढा पर पांच राज्यसभा सांसदों ने सोमवार को विशेषाधिकार प्रस्ताव लाने की मांग की थी. सांसदों का आरोप है कि दिल्ली सेवा विधेयक पर प्रस्तावित चयन समिति में बिना सहमति के उनके शामिल किए गए हैं.
राज्यसभा से निलंबन पर राघव का कहना था कि, "मेरा राज्यसभा से निलंबन युवाओं के लिए भाजपा की ओर से आज एक सख्त संदेश है कि अगर आप सवाल पूछने की हिम्मत करेंगे, तो हम आपकी आवाज को कुचल देंगे. दिल्ली सेवा विधेयक पर संसद में मेरे भाषण के दौरान कड़े सवाल पूछने के कारण मुझे निलंबित कर दिया गया. क्योंकि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के पास मेरे सवालों का कोई जवाब नहीं था. मेरा अपराध सिर्फ दिल्ली के राज्य के दर्जे पर भाजपा के दोहरे मानदंडों को उजागर करना था. उन्हें "आडवाणी-वाद" और "वाजपेयी-वाद" का पालन करने के लिए कहना था. हकीकत यह है कि एक 34 वर्षीय सांसद ने उन्हें आईना दिखाया और उन्हें इसके लिए जवाबदेह ठहराया, इससे वे आहत हुए हैं."
राघव का कहना है कि संसद के एक युवा और प्रभावी सदस्य को झूठे आरोपों के आधार पर कार्रवाई कर सरकार द्वारा निलंबित करना स्पष्ट रूप से एक खतरनाक संकेत है. इस कार्रवाई में युवा विरोधी होने की बू आती है और निष्पक्ष प्रतिनिधित्व और लोकतांत्रिक मूल्यों की नींव को कमजोर करती है. आम आदमी पार्टी और अन्य भारतीय सांसदों का निलंबन संसद की चिंताजनक प्रवृत्ति को उजागर करता है जहां भाजपा विपक्ष को चुप कराने के लिए तथ्य और कल्पना के बीच की रेखाओं को धुंधला कर देती है.
संसद के मानसून सत्र पर भी सवाल
राघव चड्ढा का आरोप है कि मानसून सत्र सरकार की तरफ से सत्ता का अभूतपूर्व दुरुपयोग का गवाह बना. माइक्रोफ़ोन को जबरन बंद कर दिया गया और विपक्ष की आवाज़ को कुचल दिया गया. अकेले आम आदमी पार्टी के 3 सांसदों को निलंबित कर दिया गया. भाजपा ने अपनी दुर्जेय शक्ति का दुरुपयोग करते हुए, असहमति की आवाज़ों को दबाने के लिए किसी भी तरग के साधन को अपनाने की बेचैन इच्छा दिखाई है. वहां निलंबन जैसे हथियारबंद उपकरण हमें चुप कराने का प्रयास कर रहे हैं.
राघव को विशेषाधिकार समिति से दो नोटिस
राघव का कहना है कि सांसदों के निलंबन ने भाजपा की बढ़ती हताशा को उजागर कर दिया है. इस सप्ताह उन्हें विशेषाधिकार समिति से दो नोटिस प्राप्त हुए हैं, जो अभूतपूर्व है. उनका कहना है कि यह स्पष्ट है कि भाजपा कमजोर हो गई है और तेजी से राजनीतिक प्रतिशोध का सहारा ले रही है. उनके कार्यों का उद्देश्य हमारी आवाज को दबाना है, लेकिन वे अनिवार्य रूप से भारत के लोगों की आवाज को दबाने में विफल रहेंगे.
उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि सेलेक्ट कमेटी के लिए सांसदों के नाम सुझाने के लिए उनके हस्ताक्षर या लिखित सहमति की आवश्यकता नहीं है. जैसा कि मैंने बार-बार उल्लेख किया है. यह महज एक प्रस्ताव है, जिसमें कुछ सांसदों के नाम प्रस्तावित किए जाते हैं. यदि कोई अपना नाम वापस लेना चाहता है तो वह वापस ले सकता है.
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