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फिरोजपुर से लौटे पीएम मोदी, क्या 'सुरक्षा में चूक' के मुद्दे पर पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगाने की कवायद हो रही ?

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Published : Jan 7, 2022, 10:33 PM IST

kovind ferozepur flyover
राष्ट्रपति कोविंद फिरोजपुर फ्लाईओवर

पंजाब के फिरोजपुर में फ्लाईओवर पर फंसा पीएम मोदी (pm modi ferozepur punjab) का काफिला चुनावी मुद्दा बनता दिख रहा है. भाजपा-कांग्रेस के बीच जुबानी जंग हो रही है. 'पीएम की सुरक्षा में चूक' को प्रदेश की कानून व्यवस्था से भी जोड़ा जा रहा है. इस बीच पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की आशंका को भांपते हुए कांग्रेस पहले से ही विरोध करना शुरू कर चुकी है. क्या केंद्र सरकार पंजाब में चुनावी माहौल बना रही है या पंजाब सचमुच राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ रहा है ? आइए जानते हैं वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की इस रिपोर्ट में.

नई दिल्ली : पंजाब में प्रधानमंत्री की 'सुरक्षा में हुई चूक' के बाद बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग शुरू कर दी है. केंद्रीय मंत्रियों की तरफ से भी पंजाब की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. राष्ट्रपति शासन लागू करने या गृह मंत्रालय की ओर से बड़ी करवाई करने की मांग जोर पकड़ रही है. प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति कोविंद की मुलाकात के बाद राष्ट्रपति की तरफ से जताई गई चिंता के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि कानून-व्यवस्था को आधार पर पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है.

पंजाब के फिरोजपुर में फ्लाईओवर पर काफिला फंसने की घटना के बाद पीएम मोदी ने जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर पूरा घटनाक्रम बताया तो उसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी चिंता जताई. उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने पीएम मोदी को फोन कर इस मामले से जुड़े तमाम अपडेट्स लिए. दरअसल, प्रधानमंत्री का काफिला फ्लाईओवर पर 15 से 20 मिनट तक फंसा रहा. घटना की जो वीडियो सामने आई है, उनमें देखा जा सकता है कि काफिले से चंद मीटर दूर पर प्रदर्शनकारी नारेबाजी कर रहे हैं.

इस मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया. इसके बाद बीजेपी शासित प्रदेशों के सभी मुख्यमंत्रियों की तरफ से एक-एक करके बयान आने लगे. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर दी.

पंजाब में राष्ट्रपति शासन की मांग

शुक्रवार को ही गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने भी राज्य के गवर्नर से मिलकर पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर डाली. उधर त्रिपुरा के मुख्यमंत्री विप्लव देव ,मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बोम्मई भी पीछे नहीं रहे. मामला प्रधानमंत्री का था, इसलिए केंद्रीय मंत्रियों, गिरिराज सिंह, गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी पंजाब में पीएम की 'सुरक्षा में चूक' की जम कर भर्त्सना की.

सूत्र बताते हैं कि गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में भी तमाम केंद्रीय मंत्रियों ने इस घटना पर चिंता जताते हुए पंजाब में राष्ट्रपति शासन की जरूरत बता डाली.

गांधी परिवार को भी सुरक्षा मिली हुई है, शायद इसीलिए बिना किसी तंज के, सोनिया गांधी ने भी पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी को फोन कर जांच कराने की बात कही. लेकिन पंजाब में राष्ट्रपति शासन का खतरा भांपते हुए कांग्रेस नेता मलिकार्जुन खड़गे ने स्पष्ट आशंका जाहिर कर डाली.

किसी बड़े एक्शन की जरूरत

पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांगों के बीच कुल मिला कर केंद्र सरकार और बीजेपी लगातार यह माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि पंजाब की कानून व्यवस्था पूरी तरह से लचर है और पाकिस्तान के बॉर्डर से सटे इस राज्य में किसी बड़े एक्शन की जरूरत है.

विशेषज्ञ की राय

पंजाब के फिरोजपुर में पीएम मोदी के प्रकरण पर ईटीवी भारत ने राजनीतिक विश्लेषक देश रतन निगम से बातचीत की. निगम का कहना है कि यह बहुत ही गंभीर मसला है. इसमें इस दृष्टिकोण से भी देखना चाहिए कि क्या यह सुनियोजित है ? क्या इसमें अंतरराष्ट्रीय साजिश है ? क्या इसमें राजनीतिक लोग भी शामिल हैं ? क्या विदेशी शक्तियां भी इसमें शामिल थीं ? निगम का कहना है कि फिरोजपुर की घटना पाकिस्तान बॉर्डर से कुछ ही दूरी पर हुई है, ऐसे में इन बिंदुओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

इस सवाल पर कि क्या पंजाब में सरकार को राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए ? निगम का कहना है ऐसा लगता है कि जैसे सब कुछ सुनियोजित था. इसमें राज्य सरकार का जो रोल रहा है वह बहुत ही संदेहास्पद है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि ब्रेकडाउन ऑफ कॉन्स्टिट्यूशन मशीनरी तो हुई है. उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री को यह कहना पड़ा कि वह जिंदा वापस लौट कर जा रहे हैं. यह साफ तौर पर इंगित करता है कि फिरोजपुर में हमारी वैधानिक व्यवस्था टूटी है, जो खतरनाक है.

गृह मंत्रालय की रिपोर्ट का इंतजार

बहरहाल, पंजाब सरकार की रिपोर्ट के अलावा सरकार को उस जांच टीम की रिपोर्ट का भी इंतज़ार हो रहा है जो गृह मंत्रालय ने शुक्रवार की सुबह घटनास्थल पर भेजी थी.

सूत्र बताते हैं कि जरूरत पड़ी तो आगे जा कर इस जांच में एनआईए को भी शामिल किया जा सकता है. इन सारी जांचों के जरिये ये जानने की कोशिश होगी कि पांच जनवरी के दिन जब फिरोजपुर में पीएम का काफिला फंसा तो उस वक्त प्रधानमंत्री को क्या खतरे हो सकते थे ?

जानकार मानते हैं कि मामला चूंकि प्रधानमंत्री का है, इसलिए संवैधानिक व्यवस्था में लापरवाही बरती गई, ये एंगल तलाशने की पूरी कोशिश की जाएगी. सरकार ये मैसेज देने की कोशिश जरूर करेगी कि ये घटना कोई मामूली नहीं है.

कठघरे में पंजाब सरकार

अब जबकि पिछले 48 घंटे में सीरीज ऑफ इंवेंट्स हुए हैं, तो अब इंतजार है पंजाब सरकार की उस रिपोर्ट का जो गृह मंत्रालय ने मांगी है. उस रिपोर्ट के बाद ही केंद्र सरकार कोई फैसला करेगी. फिरोजपुर में पीएम की 'सुरक्षा में चूक' पर एआईएमआईएम, आम आदमी पार्टी और बीएसपी जैसे दल बीजेपी के साथ खड़े दिख रहे हैं. कठघरे में पंजाब की कांग्रेस सरकार है. जन भावनाओं को देखते हुए तमाम राजनीतिक पार्टियों की हमदर्दी भी प्रधानमंत्री के साथ दिख रही है.

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बड़ी बात ये कि दो-तीन दिन के अंदर ही पांच राज्यों के चुनाव की तारीखों की घोषणा होने की संभावना है, लेकिन जिस सरगर्मी से प्रधानमंत्री कार्यालय और गृह मंत्रालय में बैठकों का दौर चल रहा है उससे राजनीतिक हलकों में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या सचमुच केंद्र सरकार 'पंजाब में राष्ट्रपति शासन' जैसा कोई बड़ा एक्शन लेने जा रही है

अनुच्छेद 356 का प्रयोग

बता दें कि संविधान का अनुच्छेद 356 केंद्र सरकार को किसी राज्य सरकार को बर्खास्त करने और राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुमति देता है. हालांकि, यह अनुमति केवल उस अवस्था के लिए है जब राज्य का संवैधानिक तंत्र पूरी तरह विफल हो गया हो. यह भी दिलचस्प है कि आजादी के 75 वर्षों बाद की तमाम केंद्र सरकारें ने 100 से भी ज्यादा बार अनुच्छेद 356 का उपयोग कर चुकी हैं.

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