ETV Bharat / bharat

डिंपल के खिलाफ कांग्रेस ने क्यों नहीं उतारा अपना उम्मीदवार, ये है इसकी वजह

author img

By

Published : Nov 16, 2022, 6:11 PM IST

उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी ने डिंपल यादव को उम्मीदवार बनाया है. डिंपल यादव, मुलायम सिंह यादव की बहू और अखिलेश यादव की पत्नी हैं. मुलायम सिंह के निधन के बाद यह सीट खाली हुई है. कांग्रेस इस सीट से किसी को भी उम्मीदवार नहीं बनाएगी. प्रियंका गांधी ने इसकी घोषणा कर दी है. कांग्रेस ने यह फैसला एक रणनीति के तहत लिया है. हालांकि, आधिकारिक तौर पर पार्टी ने कहा कि उसका फोकस संगठन को मजबूत करने पर है, इसलिए वह अपना फोकस चेंज करना नहीं चाहती है. पढ़िए एक विश्लेषण वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री का.

Dimple yadav, Priyanka Gandhi
डिंपल यादव, प्रियंका गांधी

नई दिल्ली : कांग्रेस मैनपुरी में अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं करेगी. इस सीट से समाजवादी पार्टी ने अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को टिकट दिया है. मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद यह सीट खाली हुई है. भाजपा ने यहां से रघुराज शाक्य को उम्मीदवार बनाया है. यूपी कांग्रेस की प्रभारी प्रियंका गांधी ने उम्मीदवार नहीं उतारने की घोषणा की है.

सूत्रों का कहना है कि इस फैसले से प्रियंका गांधी संदेश देना चाहती हैं. विगत में यूपीए सरकार को सपा ने सहयोग किया था, इसलिए वह मुलायम सिंह यादव के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त कर रहीं हैं. उनके निधन के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी की ओर से मल्लिकार्जुन खड़गे, कमलनाथ और भूपेश बघेल को मुलायम सिंह के पैतृक गांव सैफई भेजा था. इसके अलावा अशोक गहलोत और प्रमोद तिवारी भी उनकी अंत्येष्टि में व्यक्तिगत तौर पर शामिल हुए थे. सलमान खुर्शीद और सचिन पायलट जैसे नेता भी अखिलेश यादव से मिलकर उन्हें ढाढस बंधाने पहुंचे थे.

सपा ने डिंपल यादव को उम्मीदवार बनाया है ताकि उन्हें नेताजी के प्रति जनता की सहानुभूति का फायदा मिल सके. इसके पहले डिंपल मैनपुरी की बगल वाली कन्नौज लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. कांग्रेस ने हालांकि, आधिकारिक तौर पर यह नहीं कहा है कि वह सपा का फेवर कर रही है. यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष बृजलाल खबरी ने ईटीवी भारत से कहा, 'हम मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव नहीं लड़ रहे हैं. हमने राज्य में पार्टी को पुनरुज्जीवित करने की योजना बनाई है. और हमलोग इस पर गंभीरता से काम कर रहे हैं. इसलिए बीच में लोकसभा का उपचुनाव लड़कर हम अपना फोकस चेंज नहीं करना चाहते हैं. यह हमारे काम में बाधा उत्पन्न करेगा. हम अपने संगठन को मजबूत करने पर ध्यान दे रहे हैं. इस चुनाव से हमें कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है.'

खबरी ने यह भी कहा कि इससे बेहतर ये है कि हमारा ध्यान दिसंबर में होने वाले स्थानीय चुनाव पर हो और हमारी कोशिश जारी है. उन्होंने कहा कि हमारा ध्यान पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करना है और पंचायत चुनाव उसका सबसे बेहतर माध्यम है. प्रियंका गांधी ने जब खबरी को पार्टी की जिम्मेदारी सौंपी, तो उन्होंने पूरे प्रदेश को छह जोन में बांटकर उसे एक-एक नेता के जिम्मे सौंपने का भी फैसला किया.

उन्होंने कहा कि हमने सभी जोनों के प्रभारियों को अपने-अपने क्षेत्र में विस्तृत दौरा करने की सलाह दी है. उन्हें मतदाताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलने को कहा गया है. खबरी ने कहा कि वह स्वयं पूरे प्रदेश का दौरा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश राज्य में संगठन को मजबूती प्रदान करना है. खबरी ने यह भी बताया कि हमने विगत के वर्षों में क्या गलतियां की हैं, कार्यकर्ताओं से मिलकर एक फीड तैयार कर रहे हैं और उसके आधार पर हम बूथ और ब्लॉक लेवल पर नए कदम उठाएंगे.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यह एक बहुत कठिन कार्य है, क्योंकि पार्टी पिछले 30 सालों से लगातार हाशिए पर है. 2012 में कांग्रेस के पास 403 में से मात्र 28 विधायक थे. 2017 में यह संख्या घटकर 7 पर आ गई. 2022 में दो सीटें आईं. वैसे, 2009 लोकसभा चुनाव में पार्टी को 80 लोकसभा में से 21 संसदीय सीटें मिली थीं. उस चुनाव में राहुल गांधी ने काफी आक्रामक शैली में प्रचार का नेतृत्व किया था.

उस समय राहुल गांधी फिरोजाबाद सीट पर राज बब्बर के लिए प्रचार करने गए थे और तब वहां से डिंपल यादव सपा की उम्मीदवार थीं. डिंपल 80 हजार वोटों से चुनाव हार गईं थीं. टुंडला, फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, जसराणा विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की वजह से सपा को नुकसान पहुंचा था. पार्टी की इस जीत का सेहरा राहुल गांधी के विकासोन्मुखी प्रचार अभियान को दिया गया.

2016 में कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया. राहुल ने किसान रैली में हिस्सा लिया. लेकिन 2017 विधानसभा चुनाव में अचानक ही किसी न किसी कारणवश कांग्रेस और सपा का गठबंधन हो गया. यह चुनाव से ठीक पहले निर्णय लिया गया था. पर, यह गठबंधन जमीनी स्तर पर अपना असर नहीं दिखा सका. सपा 47 और कांग्रेस सात सीटों पर सिमट गई. 2022 में अखिलेश ने कांग्रेस के साथ गठबंधन बनाने से इनकार कर दिया. सपा को 112 सीटें मिलीं. कांग्रेस को दो सीटें मिलीं. 2014 में कांग्रेस को दो संसदीय सीट मिली थी, लेकिन 2019 में यह एक हो गई.

ये भी पढ़ें : Mainpuri By-Election 2022: सपा उम्मीदवार डिंपल यादव ने नामांकन कराया

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.