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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पसंद हैं पंतनगर के फत्तू सिंह के समोसे! जिक्र करते ही पंडाल में गूंजी तालियों की गड़गड़ाहट

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 7, 2023, 8:57 PM IST

Updated : Nov 10, 2023, 11:38 AM IST

Fattu samosas
फत्तू से समोसे

President Draupadi Murmu mentioned Fattu's samosas कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर के 35वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में पंतनगर के आलू के पराठे और फत्तू के समोसों का जिक्र किया तो पंडाल में तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी. राष्ट्रपति द्वारा फत्तू के समोसों का जिक्र सुनकर उनके बेटे संजय भी गदगद हो गए हैं.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पसंद हैं पंतनगर के फत्तू सिंह के समोसे!

रुद्रपुर (उत्तराखंड): उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के उधमसिंह नगर में स्थित पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के 35वें दीक्षांत समारोह में पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में आलू के पराठे और फत्तू के समोसे का जिक्र किया तो फतेह सिंह बिष्ट उर्फ फत्तू के बेटे संजय खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह उनके लिए गर्व की बात है.

मंगलवार को पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के 35वें दीक्षांत समारोह के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संबोधन में विश्वविद्यालय के स्थापना के दिनों से मशहूर आलू के पराठे और फत्तू के सामोसों का जिक्र किया. उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहा कि उन्हें मालूम है कि यहां के आलू के पराठे और फत्तू सिंह के समोसे खाने आप जरूर आएंगे. बता दें कि बड़ी मार्केट में 1970 से संचालित दुकान में फतेह सिंह (फत्तू सिंह) के समोसे काफी प्रसिद्ध हैं. 2015 में उनकी मृत्यु के बाद उनका बेटा संजय दुकान चलाते हैं. वहीं, राष्ट्रपति के संबोधन में पिता फतेह सिंह का नाम सुनकर संजय गदगद हैं.

53 साल से बना रहे समोसे: संजय बताते हैं कि वह मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल के रहने वाले हैं. 1960 में विश्वविद्यालय की स्थापना के दौरान उनके पिता फतेह सिंह उर्फ फत्तू पंतनगर पहुंचे और समोसे बनाने का काम शुरू किया. 1970 में विश्वविद्यालय द्वारा बड़ी मार्केट का निर्माण किया गया तो उन्हें भी एक दुकान आवंटित हुई. इसके बाद फतेह सिंह ने रेस्टोरेंट खोला और समोसे बनाकर बेचने का काम शुरू किया. विश्वविद्यालय के छात्र-छाताओं को समोसे काफी पसंद आने लगे. संजय बताते हैं कि शुरू में उसके पिता 10 पैसे का एक समोसा बेचा करते थे जो अब धीरे-धीरे बढ़कर 10 रुपए का हो गया है. संजय बताते हैं कि जब से उन्होंने होश संभाला है. तब से वे दुकान में पिता के साथ काम करने लगे.
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कभी बिकते थे दिनभर में हजार समोसे: संजय आगे बताते हैं कि आज भी विश्वविद्यालय के कई पूर्व छात्र-छात्राएं उनके समोसों का स्वाद लेने दूर-दूर से आते हैं. वह बताते हैं, 1995 में उनके पिता एक दिन में लगभग एक हजार समोसों की बिक्री किया करते थे. लेकिन अब बाजार में कई तरह के फास्ट फूड आने से समोसों की खरीद कम हो गई है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 में उनके पिता फतेह सिंह की मौत हो गई. तब से वे और उनके दोनों भाई रेस्टोरेंट चलाते हैं.

उन्होंने बताया कि आज भी विश्वविद्यालय से जा चुके छात्र सिर्फ उनके समोसा खाने के लिए आते हैं. उन्होंने कहा कि आज राष्ट्रपति के संबोधन में फत्तू के समोसे का जिक्र होना, उनके लिए गौरव की बात है.

Last Updated :Nov 10, 2023, 11:38 AM IST
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