देहरादून (उत्तराखंड): देहरादून में 9 नवंबर को हुई डकैती के मामले में अब तक पुलिस के हाथ खाली हैं, सिवाए उन 2 सबूतों के जो खुद डकैत छोड़ कर गए. जिसमे एक कार और दूसरा वो दो बाइकें शामिल है. ये बाइक और कार भी डकैती के लिए इस्तेमाल की गई है. घटना के पांच दिन बाद भी आरोपियों की लोकेशन, आरोपियों का स्क्रैच भी सामने नहीं आया है. माना जा रहा है कि बीतते समय के साथ ही आरोपियों की धरपकड़ की कोशिशें भी कमजोर होती जा रही है. अमूमन समय अधिक हो जाने के बाद ऐसे मामलों में करोड़ों का माल ठिकाने लग जाता है. ऐसे में पुलिस के लिए हर दिन और रात एक चुनौती खड़ा कर रहा है.
डकैती ने खड़े किए कई सवाल: राजधानी की पुलिस के लिए सिर दर्द बने ज्वैलरी शोरूम में डकैती के मामले में अब तक कई टीमें बनाई गई है. वैसे तो हर इस तरह की वारदात में पुलिस पर सवाल खड़े होने लगते है. लेकिन राजधानी में ये डकैती उस जगह हुई जहां से 20 कदम की दूरी पर पुलिस मुख्यालय और सचिवालय मौजूद है. इतना ही नहीं, राष्ट्रपति की देहरादून में दौरे के दौरान हुई इस डकैती की घटना ने कई सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. राजधानी में हुई इस डकैती को राज्य की सबसे बड़ी डकैती माना जा रहा है. इस घटना के बाद ना केवल देहरादून बल्कि राज्य के तमाम सराफा व्यापारी अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं.
सबसे बड़े सुरक्षा घेरे के बिच डकैती: देहरादून ज्वैलरी डकैती को लेकर सवाल इस लिए भी खड़े हो रहे हैं क्योंकि राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए राजधानी देहरादून में न केवल देहरादून पुलिस बल्कि हरिद्वार, चमोली, टिहरी गढ़वाल और रुद्रप्रयाग जिलों से भी फोर्स और आईपीएस अधिकारी बुलाए गए थे. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शहर में होने के दौरान चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात रहती है. साथ ही सुरक्षा एजेंसियां और इंटेलिजेंस भी एक्टिव रहता है. ऐसे में पांच डकैत शहर में ना केवल खुलेआम घूम रहे थे बल्कि दिनदहाड़े डकैती को अंजाम देकर शहर से फरार भी हो गए. इस तरह की घटना शायद ही किसी अन्य राज्य में इतने बड़े वीआईपी प्रोटोकॉल के बीच घटी होगी. लिहाजा इस पूरे मामले को लेकर देहरादून पुलिस की अलग-अलग टीम अलग-अलग राज्यों में दौड़ रही है. बताया तो ये भी जा रहा है कि महाराष्ट्र के एक गिरोह के सरगना से उत्तराखंड पुलिस पूछताछ करेगी. सरगना जेल में बंद है.
एसएसपी अजय सिंह पर दबाव: देहरादून में पुलिस की कमान संभाल रहे आईपीएस अजय सिंह को राज्य में तेज तर्रार अधिकारी के रूप में जाना जाता है. यही कारण है कि उन्हें हरिद्वार जैसे बड़े जिले के बाद राजधानी देहरादून की कमान सौंपी गई. पेपर लिक मामले से लेकर कई बड़े मामलों का खुलासा करने में अहम भूमिका निभाने वाले अजय सिंह पर डकैती मामले का खुलासा करने का दबाव बना हुआ है. ये दबाव ना केवल डीजीपी की तरफ से है बल्कि सीएम धामी ने भी इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाने के निर्देश दिए हैं.
क्या कहते हैं पुलिस कप्तान: पुलिस और सरकार के लिए न केवल डकैत मुसीबत बन गए हैं. बल्कि इस मामले को विपक्ष ने भी उठाना शुरू कर दिया है. कांग्रेस इस मामले को लेकर लगातार आवाज उठा रही है, जिसके बाद पुलिस की टेंशन और बढ़ गई है. देहरादून एसएसपी अजय सिंह इस मामले पर कहते हैं,
"देखिये उत्तराखंड पुलिस की दक्षता किसी भी गैंग को पकड़ने में हासिल है, प्रकरण में राजनीति ना होकर फिलहाल पुलिस का हौसला बढ़ाया जाना जरूरी है. जब गैंग सुनियोजित तरीके से वारदात को अंजाम दे रहा तो उनकी गिरफ्तारी में थोड़ा समय लगेगा. पर उत्तराखंड पुलिस सभी चुनौती को स्वीकार कर शीघ्र पर्दाफाश करेगी".