मुंबई : एक विशेष अदालत ने 7,000 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) धोखाधड़ी मामले (PNB Scam) में मंगलवार को भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी के सहयोगी सुभाष शंकर परब को 26 अप्रैल तक केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की हिरासत में (Subhash Shankar Parab sent to CBI custody) भेज दिया. CBI के अधिकारियों के अनुसार, इससे पहले परब को मिस्र के काहिरा से भारत लाया गया. वह नीरव मोदी से जुड़ी एक फर्म फायरस्टार डायमंड में उप महाप्रबंधक (वित्त) था. परब को एक वांछित आरोपी के रूप में दिखाया गया, क्योंकि वह कथित धोखाधड़ी के सामने आने से ठीक पहले देश छोड़कर चला गया था.
मंगलवार सुबह भारत पहुंचने के बाद, परब को विशेष CBI न्यायाधीश वी सी बर्दे के समक्ष पेश (Parab produced before CBI special court) किया गया. केंद्रीय जांच एजेंसी का प्रतिनिधित्व कर रहे विशेष अभियोजक ए लिमोसिन ने 14 दिनों के लिए उसकी हिरासत देने का अनुरोध किया. CBI ने अदालत को बताया कि परब अप्रैल 2015 से फायरस्टार में उप महाप्रबंधक था और तीन आरोपी कंपनियों, डायमंड्स आर यूएस, स्टेलर डायमंड और सोलर एक्सपोर्ट्स की बैंकिंग से संबंधित गतिविधियों को देखता था.
CBI ने कहा कि उसने बैंकिंग संचालन विभाग का नेतृत्व किया, जिसने उनके निर्देश पर सहायक दस्तावेजों के साथ लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LOU) के लिए आवेदन तैयार किए. परब को पता था कि इन तीन कंपनियों के पास पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के साथ कोई क्रेडिट सुविधा नहीं है और वे LOU जारी करने के लिए 100 प्रतिशत नकद मार्जिन प्रदान नहीं करने वाले.
केंद्रीय जांच एजेंसी ने यह भी दावा किया कि परब नीरव मोदी द्वारा बनाई गई हांगकांग की छह और दुबई की 13 छद्म कंपनियों के वित्तीय मामलों को संभालने में सहायक था. CBI ने कहा कि फर्जी LOU जारी करने और जाली कंपनियों के माध्यम से लेनदेन के कारण PNB को 6,498.20 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. परब की ओर से पेश वकील रेशमा मुथा ने दलील दी कि वह केवल नीरव मोदी की कंपनी का कर्मचारी था, LOU पर हस्ताक्षर करने के लिए अधिकृत नहीं था. उसकी भूमिका केवल परिचालन दस्तावेज तैयार करने और उन्हें बैंक को देने की थी. अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आरोपी को 26 अप्रैल तक सीबीआई की हिरासत में भेज दिया.
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बता दें कि नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी पर मुंबई में PNB की ब्रैडी हाउस शाखा में इसके अधिकारियों को रिश्वत देकर लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LOU) और विदेशी लेटर ऑफ क्रेडिट (FLC) का उपयोग करके बैंक को 13,000 करोड़ रुपये का चूना लगाने का आरोप है. अधिकारियों ने बताया कि CBI की एक टीम 50 वर्षीय परब को वापस लाने के लिए मिस्र की राजधानी गई थी, जिसे कथित तौर पर भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव ने काहिरा के एक उपनगर में अवैध रूप से बंधक बनाकर रखा था.
अधिकारियों ने कहा कि परब को PNB को 7,000 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी करने के लिए सौंपे गए 'लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग' का एक प्रमुख गवाह माना जाता है. उन्होंने कहा कि भारत ने परब पर नजर रखने और उसे वापस लाने के लिए उसके खिलाफ 'इंटरपोल रेड नोटिस' जारी करवाया था. अधिकारियों ने कहा कि भारतीय प्राधिकारों को सूचना मिली थी कि नीरव मोदी के लोग परब को दुबई से मिस्र ले गए थे और भारत ने उसकी सुरक्षा के लिए चिंता व्यक्त की थी. लंबी कूटनीतिक और कानूनी प्रक्रिया के बाद CBI उसका प्रत्यर्पण कराने में कामयाब हुई.