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पीएम नरेंद्र मोदी ने की निर्माणाधीन पतरातू पॉवर प्लांट की समीक्षा, प्रधानमंत्री ने दिए कई निर्देश

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Published : May 25, 2022, 10:08 PM IST

बुधवार को झारखंड सरकार और एनटीपीसी के अफसरों के साथ पीएम नरेंद्र मोदी ने निर्माणाधीन पतरातू पॉवर प्लांट की समीक्षा की. इस दौरान अफसरों को कई निर्देश दिए.

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पीएम मोदी (फाइल फोटो)

रांचीः बुधवार को झारखंड सरकार और एनटीपीसी के अफसरों के साथ होने वाली पीएम नरेंद्र मोदी की निर्माणाधीन पतरातू पॉवर प्लांट पर समीक्षा की. बैठक में पीएमओ के अफसर, झारखंड के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, ऊर्जा सचिव और एनटीपीसी के अफसर शामिल हुए. बैठक में पीएम मोदी ने निर्माण कार्य की स्थिति और उसकी अड़चनों की जानकारी ली और उसे दूर करने के निर्देश दिए.

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बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्माण कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए. इसके अलावा फॉरेस्ट क्लीयरेंस और जमीन अधिग्रहण को लेकर हो रही परेशानी पर भी चर्चा की. पीएम ने प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए समन्वय पर जोर दिया. साथ ही नार्थ करणपुरा पावर प्लांट से जुड़े विस्थापन और एनजीटी क्लियरेंस से जुड़े मामलों की भी समीक्षा की.

गौरतलब है कि रामगढ़ में पतरातू सुपर थर्मल पॉवर परियोजना की कुल क्षमता 4000 मेगावाट है, जिसे दो चरणों में पूरा किया जाना है. 25 मई 2018 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सिंदरी में एक कार्यक्रम में पतरातू सुपर थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट के पहले चरण की नींव रखी थी.


दिसंबर 2023 में पहले यूनिट से शुरू होना है उत्पादनः पतरातू थर्मल पॉवर प्लांट केन्द्र सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है, जिसका निर्माण कार्य एनटीपीसी कर रही है. पूरी तरह से तैयार हो जाने के बाद करीब 4000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा. दिसंबर 2023 में पहली यूनिट शुरू करने का लक्ष्य है. इसके चालू होने से राज्य सरकार को बिजली समस्या से बड़ी राहत होगी.

पांच चरणों में इस थर्मल प्लांट को तैयार करने की योजना है जिसे 2025 तक पूरे कर लेने का लक्ष्य है.यदि पूरी तरह यह तैयार हो जाता है और 4000 मेगावाट बिजली पतरातू थर्मल पावर से होने लगती है तो ना केवल झारखंड बल्कि राज्य के बाहर भी यहां से बिजली दी जा सकती है.


जेबीवीएनएल व एनटीपीसी के बीच 2015 में हुआ था करारः 2015 में झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड और एनटीपीसी के बीच ज्वाइंट वेंचर कंपनी पतरातू विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड यानी पीवीयूएनएल बनी, जिसके बाद वर्ष 2016 में कंपनी को एनटीपीसी के हवाले किया गया. करार के अनुसार एनटीपीसी 74 व जेबीवीयूएनल 26 प्रतिशत की शेयरधारक है. जेबीवीयूएनएल पैसा नहीं लगाएगी. कंपनी जमीन, कोयला व पानी देगी. पैसा एनटीपीसी लगाएगी. एनटीपीसी बैंक से लोन लेकर पैसा लगाएगी और झारखंड सरकार का ऊर्जा विभाग इसका मॉनिटरिंग करेगा.

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