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PM Modi का ड्रीम प्रोजेक्ट: आधे-अधूरे पाखरौ टाइगर सफारी के उद्घाटन की तैयारी

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Published : Dec 13, 2021, 2:25 PM IST

ड्रीम प्रोजेक्ट
ड्रीम प्रोजेक्ट

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बन रहे पाखरौ टाइगर सफारी प्रोजेक्ट का निर्माण अभी तक पूरा नहीं हो पाया है. पीएम नरेंद्र मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को नवंबर में ही बनकर तैयार होना था लेकिन नहीं हो पाया. पांच बाघों के लिए बनाए जा रहे तीन बाड़ों में से सिर्फ एक बाड़े का ही निर्माण हो पाया है. ऐसे में धामी सरकार आगामी चुनाव में इसका फायदा लेने के लिए एक ही बाड़े का शुभारंभ करने की तैयारी में है.

देहरादून : उत्तराखंड में स्थित कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (Corbett Tiger Reserve) के कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग (Kalagarh Tiger Reserve Forest Division) में बन रहे पाखरौ टाइगर सफारी प्रोजेक्ट (Pakhro Tiger Safari Project) अधूरी रह गई है. वहीं, विधानसभा चुनाव (uttarakhand assembly election 2022) नजदीक है. ऐसे में धामी सरकार अब आधे-अधूरे प्रोजेक्ट के ही उद्घाटन की तैयारी में है. वाइल्ड लाइफ टूरिज्म के लिहाज इस प्रोजेक्ट को उत्तराखंड का बड़ा प्रोजेक्ट माना जा रहा है, जो कॉर्बेट पर पर्यटकों के दबाव को कम करने में मददगार साबित होगा.

100 करोड़ में बनना है प्रोजेक्ट: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरौ में बन रहे इस टाइगर सफारी को अपने निश्चित समय में कॉर्बेट प्रशासन पूरा नहीं कर पाया है. स्थिति यह है कि टाइगर सफारी में बनने वाले 3 बाड़ों में से अभी केवल एक ही बाड़ा बनकर तैयार हुआ है, जबकि दूसरे पर काम चल रहा है. तीसरे बाड़े को लेकर तो अभी काफी इंतजार करना होगा. करीब 100 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट का दिसंबर 2019 में वन मंत्री हरक सिंह रावत ने शिलान्यास किया था.

अधूरे पाखरौ टाइगर सफारी के शुभारंभ की तैयारी.

प्रोजक्ट के तहत बनने हैं तीन बाड़े: पाखरौ टाइगर सफारी को करीब 106 हेक्टेयर क्षेत्र में बनाया जा रहा है. इसमें तीन बाड़े होंगे. इन 3 बाड़ों में 5 बाघों को रखा जाएगा, जिसमें 3 बाघिन और दो बाघ होंगे. जिस बाड़े को तैयार किया गया है, उसमें एक बाघ और एक बाघिन रखी जाएगी.

एक बाड़े को शुरू करने के लिए आवेदन: कोटद्वार से करीब 25 किलोमीटर दूर कालागढ़ और रामनगर मार्ग पर स्थित पाखरौ टाइगर सफारी के बनने के बाद कॉर्बेट पर पर्यटकों के दबाव के कम होने की बात कही जा रही है. फिलहाल, नेशनल जू अथॉरिटी (National Zoo Authority) से टाइगर सफारी के एक बाड़े को शुरू करने के लिए आवेदन किया गया है, जिसकी जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद है.

पीएम मोदी को बुलाने की तैयारी थी: इस प्रोजेक्ट के शुभारंभ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को बुलावा भेजने की तैयारी थी लेकिन प्रोजेक्ट अधूरा है. इसलिए धामी सरकार आचार संहिता लगने से पहले इस प्रोजेक्ट को शुरू करने का मन बना रही है. इसके लिए सरकार ने सीटीआर निदेशक को भी दिल्ली जाकर अनुमति लेने के निर्देश दिए हैं.

पाखरौ टाइगर सफारी के शुरू होने से होंगे ये लाभ: पाखरौ टाइगर सफारी के बनने से सबसे बड़ा फायदा कॉर्बेट में बढ़ रहे पर्यटकों के दबाव को कम करने के रूप में होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फरवरी 2019 में जब कॉर्बेट आए थे, उसके बाद इस प्रोजेक्ट को लेकर एक विचार बना था.

पर्यटन से होती है सालाना 10 करोड़ की कमाई: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पर्यटकों का बेहद दबाव है. कॉर्बेट के विभिन्न जोन में 3 लाख से ज्यादा पर्यटक सालाना आते हैं. इससे पार्क प्रशासन को ही करीब 10 करोड़ तक की आमदनी हो जाती है. यही नहीं, कॉर्बेट क्षेत्र के आसपास के 250 से ज्यादा छोटे-बड़े होटल व्यवसायियों को भी इससे रोजगार मिलता है. साथ ही परिवहन विभाग और बाकी छोटे व्यापारियों की भी इससे रोजी-रोटी चलती है. इस तरह देखा जाए तो हजारों लोग कॉर्बेट की बदौलत रोजगार पा रहे हैं.

बाघों के घनत्व के लिए जाना जाता है कॉर्बेट: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व दुनिया भर में बाघों के सबसे अधिक घनत्व के लिए मशहूर है. बाघों की कम जगह में बेहद ज्यादा मौजूदगी के कारण पर्यटक यहां आना पसंद करते हैं. कॉर्बेट की इसी खासियत के कारण देश और दुनिया भर में कॉर्बेट में सबसे ज्यादा मौके बाघों को देखने के होते हैं. वाइल्ड लाइफ टूरिज्म के रूप में कॉर्बेट का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है.

रेवेन्यू का बड़ा जरिया कॉर्बेट टाइगर रिजर्व: उत्तराखंड सरकार के लिए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व रेवेन्यू का भी एक बड़ा जरिया है. जानकारी के अनुसार कॉर्बेट नेशनल पार्क में व्यवस्थाएं और सुरक्षात्मक कार्यों के लिए करीब ₹14 करोड़ का सालान बजट एनटीसीए (National Tiger Conservation Authority) की तरफ से कॉर्बेट प्रशासन को दिया जाता है. टाइगर सफारी बनने की स्थिति में पर्यटक बाघों को देखने यहां भी आएंगे, जिससे ज्यादा दबाव झेल रहे कॉर्बेट के क्षेत्र में पर्यटकों को लेकर कुछ राहत मिलेगी. उत्तराखंड सरकार को राजस्व भी मिलेगा.

कॉर्बेट की समस्या: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के लिए एक बड़ी समस्या बाघों के घनत्व की भी है, जिस कारण बाघों के आपसी संघर्ष की भी संभावनाएं बेहद ज्यादा रहती हैं. माना जाता है कि बाघ अपना निश्चित क्षेत्र तय करता है, जिसका क्षेत्रफल 10 से 20 किलोमीटर तक हो सकता है. लेकिन कॉर्बेट में 250 से भी ज्यादा बाघ हैं, जो कि देश में सबसे ज्यादा बाघों की संख्या वाले राष्ट्रीय पार्कों में शामिल है. ऐसे में टाइगर सफारी बनने के बाद जो 5 बाघ बाड़ों में रखे जाएंगे उससे यहां बाघों की मौजूदगी बढ़ेगी. इससे कॉर्बेट में बाघों की संख्या के लिहाज से भी राहत मिलेगी.

प्रोजेक्ट बनने के बाद लोगों को मिलेगा रोजगार: पाखरौ टाइगर सफारी बनने के बाद वाइल्ड लाइफ पर्यटकों को भी एक नया स्थान मिल जाएगा. रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे. माना जा रहा है कि इससे क्षेत्र के आसपास सैकड़ों लोगों को रोजगार मिल सकेगा.

टाइगर सफारी का काम समय से पूरा ना होने की वजह: उत्तराखंड में पाखरौ टाइगर सफारी सरकार के लिए बेहद अहम प्रोजेक्ट है. सरकार ने पहले इस प्रोजेक्ट को नवंबर में पूरा करने का लक्ष्य रखा था लेकिन यह लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया. अब इसे आधे-अधूरे में ही शुभारंभ करने की तैयारी की जा रही. इस प्रोजेक्ट के पूरा ना होने के पीछे अधिकारियों का ढुलमुल रवैया माना जा रहा है.

मंजूरी में छूटे सरकार के पसीने: टाइगर सफारी के लिए केंद्र से तमाम अनापत्ति की मंजूरी में देरी हुई थी. इसके अलावा समय से बजट अलॉट नहीं हो पाने से भी कुछ हद तक काम में बाधा आई. कॉर्बेट में टाइगर सफारी बनाने को लेकर कोर्ट में विभिन्न मामलों को लेकर याचिका से भी परेशानियां बढ़ीं.

यहां बाघों को शिफ्ट करने से लेकर टाइगर सफारी बनाने के लिए पेड़ों को काटने तक के लिए सरकार को खासी मशक्कत करनी पड़ी है. इसकी मंजूरी लेने में सरकार के पसीने छूट गए लेकिन इस बीच कॉर्बेट में अवैध निर्माण और मंजूरी से ज्यादा पेड़ काटने के मामले ने इस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया. इसमें सीधे तौर पर कॉर्बेट के निदेशक, क्षेत्रीय डीएफओ की सीधी जिम्मेदारी दिखाई दी.

कई बड़े अधिकारियों ने कुर्सी गंवाई: यही नहीं, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन रहे अधिकारी की तरफ से भी हीलाहवाली के कारण प्रोजेक्ट को समय से पूरा नहीं किया जा सका. अभी इस मामले में कोर्ट में विचार चल रहा है. खास बात यह है कि यहां हुए अवैध निर्माण और पेड़ कटान के चलते कई बड़े अधिकारियों को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी है.

चुनाव में फायदा लेने से भी चूकी सरकार: प्रदेश में पाखरौ टाइगर सफारी के रूप में धामी सरकार के पास जनता के सामने एक बड़े प्रोजेक्ट को रखने का मौका था. इसका चुनावी रूप से भी फायदा लिया जा सकता था. लेकिन धामी सरकार इसमें चूकती हुई नजर आ रही है. हालांकि, उत्तराखंड सरकार इसका क्षेत्रीय स्तर पर फायदा लेने के लिए आधे-अधूरे प्रोजेक्ट को ही शुरू करके इसका श्रेय लेना चाहती है. यहां पर बड़ा सवाल ये उठता है कि जब उत्तराखंड सरकार पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को तय समय में पूरा नहीं कर पाई तो राज्य की अन्य योजनाओं की क्या स्थिति होगी ये आसानी से समझा जा सकता है.

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