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संविधान दिवस पर पीएम मोदी बोले- वन नेशन वन इलेक्शन देश की जरूरत

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Published : Nov 26, 2020, 4:37 PM IST

अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के समापन सत्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने वन नेशन-वन इलेक्शन की महत्ता पर जोर दिया. पढ़ें पूरी खूबर...

पीएम बोले- वन नेशन वन इलेक्शन पर मंथन जरूरी
पीएम बोले- वन नेशन वन इलेक्शन पर मंथन जरूरी

नई दिल्ली : संविधान दिवस के अवसर पर पीएम मोदी ने 80वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के समापन सत्र को संबोधित किया. इस दौरान पीएम ने 26/11 के आतंकी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की. पीएम ने सत्र को संबोधित करते हुए वन नेशन-वन इलेक्शन को जरूरी बताया. उन्होंने कहा कि देश में कहीं न कहीं चुनाव होते ही रहते हैं. ऐसे में हमें वन नेशन-वन इलेक्शन पर मंथन जरूर करना चाहिए.

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह गांधी जी की प्रेरणा और सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिबद्धता को याद करने का दिन है. उन्होंने 2008 में आज ही के दिन हुए मुंबई आतंकवादी हमले के पीड़ितों को भी याद किया. उन्होंने सुरक्षा बलों के शहीदों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि आज भारत नए तरीके से आतंकवाद से लड़ रहा है और सुरक्षा बलों के प्रति सम्मान व्यक्त कर रहा है.

आपातकाल का उल्लेख करते हुए, मोदी ने कहा कि 1970 में सत्ता के पृथक्करण की गरिमा के विरुद्ध प्रयास किया गया था, लेकिन इसका उत्तर संविधान से ही आया, क्योंकि संविधान में ही सत्ता की सजावट और अलगाव का वर्णन किया गया है.

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आपातकाल के बाद, विधानमंडल, कार्यकारी और न्यायपालिका के रूप में चेक्स और बैलेंस की प्रणाली मजबूत बनी रही और इस प्रकरण से आगे की सीख मिली.

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि यह विश्वास सरकार के तीन शाखाओं में 130 करोड़ भारतीयों के विश्वास के कारण संभव हुआ और समय के साथ यह आत्मविश्वास मजबूत हुआ.

संसद सदस्यों की प्रशंसा
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे संविधान की ताकत हमें कठिनाइयों के समय में मदद करती है. भारतीय चुनावी प्रणाली का लचीलापन और कोरोना महामारी की प्रतिक्रिया ने यह साबित कर दिया है. उन्होंने हाल के दिनों में अधिक उत्पादन देने और कोरोना के खिलाफ लड़ाई में मदद के लिए वेतन में कटौती के लिए संसद सदस्यों की प्रशंसा की.

प्रधानमंत्री ने परियोजनाओं को लंबित रखने की प्रवृत्ति के खिलाफ आगाह किया. उन्होंने सरदार सरोवर का एक उदाहरण दिया, जो वर्षों से अटका हुआ था.

मोदी ने कर्तव्यों के महत्व पर बल दिया और कहा कि कर्तव्यों को अधिकारों, गरिमा और आत्मविश्वास के स्रोत के रूप में माना जाना चाहिए.

हमारे संविधान में कई विशेषताएं हैं, लेकिन एक बहुत ही विशिष्ट विशेषता कर्तव्यों को दिया गया महत्व है. महात्मा गांधी इसे लेकर बहुत उत्सुक थे. उन्होंने अधिकारों और कर्तव्यों के बीच घनिष्ठ संबंध देखा. उन्होंने महसूस किया कि एक बार जब हम अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं, तो अधिकार स्वतः ही सुरक्षित हो जाएंगे.

प्रधानमंत्री ने संविधान के मूल्यों को फैलाने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि केवाईसी-नो योर कस्टमर डिजिटल सुरक्षा का प्रमुख पहलू है. केवाईसी- नो योर कंस्टीट्यूशन सेफ्टी शील्ड के लिए आपका संविधान एक बड़ा सुरक्षा कवच हो सकता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारे कानूनों की भाषा आम लोगों के लिए सरल और सुलभ होनी चाहिए, ताकि वे हर कानून के साथ सीधा संबंध महसूस करें.

प्रधानमंत्री ने एक राष्ट्र-एक चुनाव के लिए भी चर्चा की. उन्होंने हर स्तर पर एक साथ चुनाव की बात की. फिर चाहे वह लोक सभा, विधानसभा या स्थानीय पंचायत स्तर पर हो. इसके लिए कॉमन वोटर लिस्ट का इस्तेमाल किया जा सकता है.

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