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Joshimath Sinking: जोशीमठ में लगे 'NTPC Go Back' के पोस्टर, लोगों ने ब्लास्टिंग को जिम्मेदार ठहराया

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Published : Jan 17, 2023, 10:14 PM IST

उत्तराखंड के जोशीमठ में जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति का धरना जारी है. संघर्ष समिति के धरने को 12 दिन हो गए हैं. आज भी उनका धरना प्रदर्शन जारी रहा. इस दौरान लोगों ने 'एनटीपीसी गो बैक' के नारे लगाए. इसके बाद जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष अतुल सती ने प्रेस वार्ता की. अतुल सती ने जोशीमठ के हालात के लिए एनटीपीसी को जिम्मेदार करार दिया और उस पर जुर्माना लगाने की मांग की.

People angry over blasting in Joshimath
जोशीमठ में लगे 'NTPC Go Back' के पोस्टर

जोशीमठ में लगे 'NTPC Go Back' के पोस्टर

चमोलीः जोशीमठ में दरार और भू-धंसाव लगातार बढ़ रहा है. जिससे सैकड़ों लोग बेघर हो गए हैं. इस हालात के लिए जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति से जुड़े लोग एनटीपीसी यानी नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन को कसूरवार ठहरा रहे हैं. उनका आरोप है कि एनटीपीसी की परियोजना की वजह से जोशीमठ में धंसाव हुआ है. इतना ही नहीं एनटीपीसी के विरोध में 'एनटीपीसी गो बैक' के पोस्टर से जोशीमठ पटा नजर आ रहा है.

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने आज एक दिवसीय धरना दिया. जिसमें पर्यावरण कार्यकर्ता और कई राजनीतिक दलों के नेता शामिल हुए. इस दौरान धरना स्थल पर 'एनटीपीसी गो बैक' के नारे लगते रहे. जबकि, लोगों ने प्रभावितों के लिए उचित मुआवजे और पुनर्वास की मांग की. वहीं, जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने ज्योतिर्मठ में प्रेस वार्ता आयोजित की गई.

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष अतुल सती ने बताया कि प्रशासन की ओर से यह कहा जा रहा है कि एनटीपीसी की टनल से जोशीमठ को कोई खतरा नहीं हैं. एनटीपीसी की ओर से यह भी कहा गया है कि संघर्ष समिति दल बनाकर टनल के तपोवन और सेलंग क्षेत्र से निरीक्षण करें. जिसको लेकर समिति की ओर से जल्द ही निरीक्षण किया जाएगा.

जोशीमठ के लोगों का आरोप है कि 520 मेगावाट की तपोवन विष्णुगाड़ जलविद्युत परियोजना के लिए 12 किलोमीटर लंबी टनल खोदा जा रहा है. टनल की वजह से क्षेत्र में धंसाव और गहरा गया है. होटल प्रबंधक सूरज कप्रवान ने बताया कि यहां पर एनटीपीसी काम कर रही है. जो काफी हद तक नुकसान के लिए जिम्मेदार है. वे यहां एक टनल बना रहे हैं, उनकी एक मशीन टनल में फंसी हुई है. जो काम 2012 तक पूरा हो जाना चाहिए था, वो उसी साल शुरू हुआ. जो अभी भी चल रहा है.
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टनल बनाने के लिए ब्लास्टिंग जिम्मेदारः जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति (जेबीएसएस) ने एनटीपीसी की ओर से निर्माणाधीन 520 मेगावाट तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना को रद्द करने की मांग की. एक्टिविस्ट अतुल सती का मानना है कि इस क्षेत्र को नाजुक बनाने के कई कारण हो सकते हैं. जोशीमठ के धंसने के पीछे भी परियोजना के लिए किए गए ब्लास्टिंग को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. अब जोशीमठ का अस्तित्व सवालों के घेरे में है.

जोशीमठ को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाएः अतुल सती ने कहा कि तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना के पीछे एनटीपीसी कंपनी है. एल एंड टी कंपनी शुरू में एनटीपीसी के लिए टनल का निर्माण कर रही थी, लेकिन निगम के काम करने के तरीके से संतुष्ट न होने के कारण उसे छोड़ना पड़ा. साथ ही कहा कि केंद्र सरकार को इस मामले को अपने हाथों में लेना चाहिए और जोशीमठ के धंसने को राष्ट्रीय आपदा घोषित करना चाहिए.

एनटीपीसी दे चुका है सफाईः वहीं, एनटीपीसी ने परियोजना और जोशीमठ के धंसने के बीच किसी भी संबंध से इनकार किया है. एनटीपीसी के मुताबिक, तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना से जुड़ी टनल जमीन से एक किलोमीटर से ज्यादा नीचे है. यह टनल जोशीमठ के नीचे भी नहीं है. इससे पहले जारी एक बयान में कहा था कि एनटीपीसी की ओर से बनाई गई टनल जोशीमठ के नीचे से नहीं गुजरती है. यह टनल एक टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) के जरिए खोदी गई है और वर्तमान में कोई विस्फोट नहीं किया जा रहा है.

क्या बोले चमोली डीएमः चमोली डीएम हिमांशु खुराना का कहना है कि एनटीपीसी संयंत्र पर काम अब बंद हो गया है. केंद्र और राज्य सरकारों ने इस संयंत्र के नुकसान के आरोपों का संज्ञान लिया है. कई सरकारी एजेंसियां और संस्थान जैसे कि भारतीय भौगोलिक सर्वेक्षण (जीएसआई), राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान और वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी इस मुद्दे का अध्ययन कर रहे हैं.

उम्मीद है कि वे एक समाधान के साथ आएंगे. विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.डीएम खुराना ने कहा कि विशेषज्ञों को मामले की स्वतंत्र रूप से जांच करने की आवश्यकता है. हम कारण जानना चाहते हैं, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके.
(इनपुट- PTI)

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