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राजस्थान में पशुपालकों के लिए अनोखी स्कीम, पशुबाड़े संग मिलेगा टू बीएचके फ्लैट

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Published : Mar 23, 2022, 8:56 PM IST

राजस्थान के कोटा शहर को कैटल फ्री बनाने के लिए पशुपालक हाउसिंग स्कीम बनकर (Pashupalak housing scheme) तैयार है. इसका कार्य अंतिम चरण में चल रहा है. इस पशुपालक हाउसिंग स्कीम में पशुओं से लेकर पशुपालकों के लिए बेहतर सुविधाएं विकसित की गई हैं.

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कोटा: राजस्थान में शिक्षा नगरी कोटा को कैटल फ्री बनाने के लिए देवनारायण पशुपालक आवासीय योजना के तहत कार्य अंतिम चरण में चल रहा है. यहां पर पशुबाड़े पूरी तरह से बनकर (Pashupalak housing scheme) तैयार हैं. इसके अलावा यहां पर पूरी तरह से सुविधाएं जुटा दी गई है. अब केवल फीता कटने का इंतजार है. उसके बाद शहर भर से पशु बाड़ों को यहां शिफ्ट कर दिया जाएगा.

इससे शहर साफ-सुथरा रहेगा और सड़कों पर आवारा पशुओं के घूमने से लोगों को भी समास्या नहीं होगी. करीब 1227 पशु बाड़े यहां पर बनाने थे, इनमें से 738 का निर्माण हो गया है. वहीं दूसरे चरण में 400 से ज्यादा पशु बाड़े और बनाए जाएंगे. वर्तमान में 738 पशु बाड़े तैयार हैं. जिनका एलॉटमेंट भी यूआईटी ने किया था. इसमें 500 का आवंटन हो गया है. बाकी के आवंटन की प्रक्रिया जारी है. हालांकि यहां पर पशुपालक शिफ्ट होंगे या नहीं इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता. लेकिन यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने सख्त निर्देश पहले ही दिए थे कि जितने भी पशुपालक शहर के हैं, उन्हें यहां पर शिफ्ट होना ही पड़ेगा.

पशुपालक हाउसिंग स्कीम बनकर तैयार

देश में अकेली व अनूठी योजना
यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल का कहना है कि यह अनूठी योजना देश भर में अकेली है. जहां पर इस तरह से व्यवस्थाएं पशुपालकों के लिए जुटाई गई हैं. इसमें पशुपालकों को केंद्रित रखकर ही व्यवस्थाएं बनाई गई हैं. जिससे पशुपालकों को रहने में कोई असुविधा नहीं हो, बिजली पानी से लेकर सड़कें और उनके गोबर को भी उठाने की पर्याप्त सुविधा दी गई है. यहां पर गोबर गैस का एक प्लांट भी स्थापित कर दिया गया है. जिसकी क्षमता 150 टन गोबर खपत की है. इसके अलावा सड़कें, स्कूल, वेटनरी अस्पताल, डिस्पेंसरी, पुलिस चौकी, प्रशासनिक भवन और एक कृत्रिम तालाब भी स्थापित किया गया है. ताकि दिन भर पानी में बैठने वाले पशुओं को सुविधा मिल सके.

शहर होगा एक्सीडेंट फ्री
कोटा शहर से 15 किलोमीटर दूर बंधा धर्मपुरा में देवनारायण पशुपालक आवास योजना स्थापित की गई है. इस पशुपालन योजना का फायदा शहरवासियों को मिलेगा. जो पशु बाड़े शहर में अलग-अलग जगह पर संचालित किए जा रहे हैं. उन्हें यहां पर शिफ्ट कर दिया जाएगा. जिससे कि शहर में पशुओं के चलते हो रही समस्याएं और दुर्घटनाओं से कोटा शहर को निजात मिलेगी. कोटा शहर में नगर विकास न्यास और नगर निगम ने सर्वे किया था, जिसमें करीब 1000 पशु बाड़े शहर भर में संचालित मिले थे. ऐसे में उन्हीं को शिफ्ट करने के लक्ष्य से इसे तैयार की गई है. करीब 20,000 पशु शहर में अलग-अलग जगह पर पशुपालकों के पास हैं.

पशु मेला और रंगमंच भी हुआ तैयार
कोटा दशहरे मेले के समय पशु मेला भी आयोजित किया जाता है. ऐसे में अब पशु मेला देवनारायण आवासीय योजना में करवाने की योजना है. यहां पर रंगमंच भी बनाया गया है. इसके साथ ही पशु मेला स्थल भी तैयार किया गया है. एक बड़ी दूध मंडी और हाट बाजार भी यहां पर लगाया गया है. जहां सब्जी से लेकर सभी जरूरी सामानों की दुकानें उपलब्ध रहेंगी. इसके अलावा पशु आहार से लेकर पशुओं के जरूरी जितने भी उपकरण और जरूरत की सामग्री है, उनकी भी दुकानें यहां पर स्थापित करवाई जाएंगी. पशुपालक आवासीय योजना में करीब 2000 से ज्यादा लोग रह सकेंगे, ऐसे में इन लोगों की सुविधा के लिए एक सामुदायिक भवन का निर्माण भी करवा दिया गया है.

पशुबाड़े के साथ टू बीएचके फ्लैट
यह योजना 105 एकड़ हेक्टेयर में बनाई गई है. जिसमें करीब 300 करोड़ रुपए का खर्चा नगर विकास न्यास ने किया है. योजना में दो तरह के पशु बाड़े बनाए गए हैं. इसमें पहला 35x70 और दूसरा 35x90 का है. छोटा बाड़ा पशुपालकों को सवा 14 लाख रुपए में और बड़ा 16 लाख रुपए में मिलेगा. इसमें पशुओं की खैल (जहां पानी पीते हैं), टीनशेड, किचन और भूसा रखने के लिए भी मकान बनाया गया है. यह मकान 2 बीएचके का है. यहां बिजली की कोई समस्या नहीं हो, इसके लिए जीएसएस स्थापित कर दिया गया है. यहां तक कि इन घरों में सप्लाई देने के लिए गोबर गैस व्यवस्था भी किचन तक की गई है. जिससे नेचुरल गैस लोगों को मिल सके.

ऐसे तैयार हुई कोटा की स्कीम
नगर विकास न्यास के अधिकारियों ने इस योजना को तैयार करवाने के पहले देश भर में पशु बाड़े बनाने की योजना का निरीक्षण किया. वहां की कमियों का अध्ययन किया. उन कमियों को इस योजना में दूर किया गया. इसमें उत्तर प्रदेश के लखनऊ और कानपुर के अलावा देश के कई राज्यों में भी यूआईटी की टीम गई थी. पशु जहां पर पानी में बैठ जाते हैं, ऐसे में पशुओं के लिए एक तालाब भी यहां पर तैयार करवाया गया है, ताकि दोपहर के समय जो पशु पानी में बैठ जाते हैं, वह इस तालाब का उपयोग कर सकें. यूआईटी का दावा है कि पशुपालकों को कोई कमी महसूस नहीं होगी. एक परिवार की तरह लोग वहां पर रह सकेंगे.

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