Story Of Operation Blue Star : इंदिरा की नजरों के सामने बड़ा होता गया था भिंडरांवाला, वजूद मिटाने को करना पड़ा ऑपरेशन ब्लू स्टार

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Published : Jan 31, 2023, 6:45 AM IST

Updated : Jan 31, 2023, 10:31 AM IST

Story Of Operation Blue Star
जनरल कुलदीप बराड़ की फाइल फोटो. ()

पंजाब के अमृतसर स्थित गोल्डन टेंपल में ऑपरेशन ब्लू स्टार को लीड करने वाले जनरल कुलदीप बराड़ ने 39 साल बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और जरनैल सिंह भिंडरांवाला के बारे में बयान दिया है. उन्होंने कहा कि भिंडरांवाला एक गांव से निकल कर पंजाब में एक बड़ी शक्ति बना गया था और यह सब इंदिरा गांधी के नजरों के सामने हो रहा था.

नई दिल्ली (भारत) : भारतीय सेना के ऑपरेशन ब्लू स्टार में अहम भूमिका निभाने वाले लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) कुलदीप सिंह बराड़ ने कहा है कि पंजाब में खालिस्तानी आंदोलन फिर से बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश पाकिस्तान इसको समर्थन दे रहा है.लेफ्टिनेंट जनरल बराड़ 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और बांग्लादेश की मुक्ति की लड़ाई में भी शामिल रहे हैं. वह ऑपरेशन ब्लू स्टार के कमांडिंग ऑफिसर भी रहे. माना जाता है कि वह खालिस्तानी आतंकियों की हिटलिस्ट में हैं. करीब दस साल पहले लंदन में उनपर एक जानलेवा हमला भी हुआ था.

स्मिता प्रकाश के साथ एएनआई पॉडकास्ट में लेफ्टिनेंट जनरल बराड़ ने पंजाब में खालिस्तानी आंदोलन के उदय के बारे में विस्तार से बात की. उन्होंने कहा कि 1980 के दशक में पंजाब में हालात बहुत खराब थे. कानून-व्यवस्था लचर हो गई थी. पुलिस एक निष्क्रिय शक्ति बन गई थी. उन्होंने कहा कि भिंडरांवाले एक संत थे जो एक गांव से निकलकर एक बड़ी धार्मिक शक्ति बन गई थी. भिंडरांवाला को केंद्र सरकार की पूरी शह मिल रही थी. साल भर में भिंडरांवाला अर्श तक पहुंच चुके थे.

उन्होंने कहा कि यह सब इंदिरा गांधी के सामने हो रहा था. 1980 तक सब ठीक था. 1981 से 84 तक पंजाब में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति काफी अधिक बिगड़ रही थी. हर जगह लूट मार, डकैतियां और कत्ल हो रहे थे. जब भिंडरांवाला ऊंचाइयों तक पहुंचा, तभी तत्कालीन PM इंदिरा गांधी ने हमला करने का आदेश दिया था. इतना ही नहीं, ब्लू स्टार ऑपरेशन के समय उन्हें चुना गया था. उन्हें यह सोच कर चुना गया था कि जनरल कुलदीप एक सैनिक हैं. एक बार भी यह नहीं देखा गया कि वह एक सिख हैं, हिंदू हैं या पारसी हैं. उन्हें इस ऑपरेशन का कोई दुख नहीं है.

उन्होंने कहा कि उस समय कानून और व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई थी और भिंडरावाले के पास सब कुछ था. बराड़ ने कहा कि एक डीआईजी को मार डाला गया और स्वर्ण मंदिर से बाहर फेंक दिया गया. पुलिस उसके खिलाफ कोई कार्रवाई करने से भी डर रही थी. क्योंकि भिंडरावाले फ्रेंकस्टीन की तरह हो गया था. 1984 की शुरुआत में लेफ्टिनेंट जनरल बराड़ ने कहा कि उस समय भावना इतनी प्रबल थी कि वे खालिस्तान को एक अलग देश घोषित करने जा रहे थे. उन्होंने आंदोलन के पीछे युवाओं में बेरोजगारी को भी एक प्रमुख कारण बताया.

उन्होंने कहा कि जब खालिस्तान को लेकर आंदोलन शुरू हुआ उस समय पंजाब में बेरोजगारी अधिक थी. युवा बिना नौकरी के थे. युवा अपनी मोटरसाइकिल में पिस्तौल लेकर घूमते थे. मिनी गैंगस्टर भी थे. भिंडरावाले का राज्य पर पूरा नियंत्रण था. खालिस्तानी आंदोलन के फिर से उभरने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह भयानक है. मैं यूके में या साउथहॉल में जाता हूं तो मुझे हर जगह भिंडरावाले की तस्वीर दिखाई देती है. पता नहीं क्यों हमारे प्रवासी भारतीयों का रुझान खलिस्तान की तरफ ज्यादा हो गया है.

पंजाब में खालिस्तानी आंदोलन के मौजूदा परिदृश्य पर उन्होंने कहा कि हां, पंजाब में आंदोलन का पुनरुत्थान हो रहा है. पाकिस्तान भी उनकी मदद कर रहा है. लंदन, कनाडा, अमेरिका और पाकिस्तान सभी मिलकर यहां आंदोलन को फिर से भड़काना चाहते हैं. भिंडरावाले सिख धार्मिक संप्रदाय दमदमी टकसाल के प्रमुख थे. स्वर्ण मंदिर परिसर में भारतीय सेना द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान वह अपने सशस्त्र अनुयायियों के साथ मारा गया था. भारतीय सेना ने 1 जून से 8 जून के बीच 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया था. भारत की तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने जरनैल सिंह भिंडरावाले सहित सिख आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए सैन्य अभियान का आदेश दिया था, जो स्वर्ण मंदिर परिसर के अंदर हथियार जमा कर रहे थे.

(एएनआई)

Last Updated :Jan 31, 2023, 10:31 AM IST
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