ETV Bharat / bharat

विपक्ष ने राजद्रोह कानून पर SC के आदेश का किया स्वागत, पूरी तरह खत्म करने की मांग

author img

By

Published : May 11, 2022, 6:21 PM IST

Updated : May 11, 2022, 7:47 PM IST

औपनिवेशिक काल के राजद्रोह कानून पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की सराहना करते हुए कहा कि न्यायालय ने संदेश दिया है कि सत्ता को आईना दिखाना राजद्रोह नहीं हो सकता.

Congress sedition law order
रणदीप सिंह सुरजेवाला

नई दिल्ली : कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के राजद्रोह के मामलों में सभी कार्यवाहियों पर रोक लगाने के आदेश का स्वागत किया है. कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि देश की शीर्ष अदालत ने यह संदेश दिया है कि सत्ता को आईना दिखाना राजद्रोह नहीं हो सकता. पार्टी ने यह भी कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश से यह भी साबित हो गया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजद्रोह कानून को खत्म करने का जो वादा किया था वह सही रास्ता था. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'सच बोलना देशभक्ति है, देशद्रोह नहीं. सच कहना देश प्रेम है, देशद्रोह नहीं. सच सुनना राजधर्म है, सच कुचलना राजहठ है. डरो मत!'

राहुल गांधी का ट्वीट
राहुल गांधी का ट्वीट

वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, 'सत्ता को आईना दिखाना राष्ट्रधर्म है. यह देश विरोधी नहीं हो सकता. सुप्रीम कोर्ट ने आज यही स्पष्ट संदेश दिया है.' उन्होंने कहा, 'सत्ता के सिंहासन पर बैठे निरंकुश शासक, लोगों की आवाज कुचलने वाले निरंकुश राजा, जनविरोधी नीतियों की आलोचना करने पर लोगों को जेल में डालने वाले राजा अब जान लें कि जनता खड़ी हो चुकी है, अब जनता को दबाया नहीं जा सकता है.' सुरजेवाला के अनुसार, कांग्रेस 2019 में यह कानून खत्म करना चाहती थी, आज उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था से यह साबित हो गया कि हमारा रास्ता सही है.

विपक्ष ने राजद्रोह कानून पर SC के आदेश का किया स्वागत

वहीं, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार को सर्वोच्च न्यायालय को यह सूचित करने के लिए मजबूर होना पड़ा कि वह राजद्रोह कानून के प्रावधानों पर पुनर्विचार और पुन: जांच करेगी. यह अच्छी बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने औपनिवेशिक काल इस कानून को स्थगित रखने का आदेश देकर कुछ राहत प्रदान की है, और केंद्र और राज्य सरकारों को देशद्रोह कानून के तहत नए मामले दर्ज नहीं करने का निर्देश दिया है.

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को सरकार की समीक्षा का इंतजार नहीं करनी चाहिए और जुलाई 2022 में सुनवाई फिर से शुरू होने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (राजद्रोह कानून) को खत्म करने के लिए आगे बढ़ना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि यह कानून ब्रिटिश शासन के दौरान लाया गया था और इसे स्वतंत्रता आंदोलन को दबाने के लिए बनाया गया था. महात्मा गांधी, तिलक और कई अन्य नेताओं पर तब इस कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था, लेकिन स्वतंत्र धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक भारत में इस कानून के लिए कोई जगह नहीं है.

यह भी पढ़ें- Sedition Law: राजद्रोह मामलों की कार्यवाही पर SC ने लगाई रोक, नई FIR दर्ज नहीं होंगी

येचुरी ने कहा कि सरकार कह रही है कि वह इस कानून की समीक्षा करेगी, लेकिन देश के लोग जान गए हैं कि जब भी यह सरकार कुछ नहीं करना चाहती है तो वो इसे समीक्षा के लिए भेज देती हैं. इस कानून के तहत 400 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से केवल छह को दोषी ठहराया गया था. उनमें से बाकी जेल में हैं और जमानत के लिए आवेदन भी नहीं कर सकते थे. लेकिन अब इस आदेश के बाद वे जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं और इससे इस कानून का दुरुपयोग भी रुकेगा.

बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राजद्रोह के मामलों में सभी कार्यवाहियों पर रोक लगा दी और केंद्र एवं राज्यों को निर्देश दिया कि जब तक सरकार औपनिवेशिक युग के कानून पर फिर से गौर नहीं कर लेती, तब तक राजद्रोह के आरोप में कोई नई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाए. प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की एक पीठ ने कहा कि राजद्रोह के आरोप से संबंधित सभी लंबित मामले, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाना चाहिए.

Last Updated : May 11, 2022, 7:47 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.