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दिल्ली, बंगाल समेत चार राज्यों में लागू नहीं हुई 'वन नेशन-वन राशन कार्ड' स्कीम

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Published : Apr 9, 2021, 5:13 PM IST

वन नेशन-वन राशन कार्ड स्कीम
वन नेशन-वन राशन कार्ड स्कीम

देश में अब तक 32 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में 'एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड' योजना लागू हो गई है, लेकिन पश्चिम बंगाल, असम, दिल्ली और छत्तीसगढ़ में योजना अब तक लागू नहीं हो पाई हैं.

नई दिल्लीः 'एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड' योजना अभी पूरे देश में लागू नहीं हो पाई है. पश्चिम बंगाल, असम, दिल्ली और छत्तीसगढ़ में योजना अभी लागू नहीं हो पाई है.

यह जानकारी केंद्रीय उपभोक्ता मामले खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय (CAPFD) से मिली है. मंत्रालय के मुताबिक देश में अब तक 32 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में यह योजना लागू हुई है.

केंद्र सरकार दावा कर रही है कि बाकी के राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में इस योजना को लागू करने की पूरी तैयारी है. यहां सवाल उठता है कि बाकी राज्य कब इस योजना को लागू कराने के लिए तैयार होंगे.

प्रवासी आबादी को फायदा

प्रवासी आबादी को इस योजना का ज्यादा लाभ मिलेगा. जैसे मजदूर, कूड़ा हटाने वाले, संगठित और असंगठित क्षेत्रों में अस्थायी कामगार, दैनिक भत्ता लेने वाले श्रमिकों के लिए ये योजना फायदेमंद साबित होगी. ये लोग कामकाज के लिए अन्य राज्यों में जाते हैं. इस योजना के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के 81 करोड़ लाभार्थी देशभर में कहीं भी सरकारी राशन की दुकान से राशन प्राप्त कर सकते हैं.

डिजिटल होगा राशन कार्ड

एक ही राशन कार्ड देश भर में मान्य होगा. इस योजना का लाभ देने के लिए लाभार्थियों का राशन कार्ड आधार कार्ड से लिंक किया जाता है. इसके बाद बायोमेट्रिक के जरिये लाभार्थियों को उनके कोटे का अनाज मिलता है. इस योजना के 70 करोड़ लाभार्थी हैं. जो कवर किये गए कुल लाभार्थी का 86 फीसदी है.

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E-POS मशीनें करेंगी लाभार्थियों की पहचान

राशनकार्ड धारकों को पांच किलो चावल तीन रुपये किलो की दर से मिलेगा. गेहूं दो रुपये किलो दिया जाएगा. जिन राज्यों में योजना लागू हुई है वहां PDS दुकानों पर E-POS मशीनें लगाई गई हैं. 'एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड' योजना के तहत PDS लाभार्थियों की पहचान उनके आधार कार्ड पर इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (E- POS) से की जाएगी.

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अतिरिक्त उधार लेने के हकदार

अपने सभी लाभार्थियों के आधार कार्ड, राशन कार्ड से लिंक करने के बाद राज्य अपने सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) का 0.25 प्रतिशत अतिरिक्त उधार लेने के हकदार बन जाएंगे.

केंद्र सरकार की ओर से पहले 17 राज्यों को अतिरिक्त उधार की अनुमति दी है इनमें आंध्र प्रदेश (2,525 करोड़), गोवा (223 करोड़), गुजरात (4,352 करोड़), हरियाणा (2,146 करोड़), हिमाचल प्रदेश (438 करोड़), कर्नाटक (4,509 करोड़) शामिल हैं.

इसी तरह केरल (2,261 करोड़), मध्य प्रदेश (2,373 करोड़), मणिपुर (75 करोड़), ओडिशा (1,429 करोड़), पंजाब (1,516 करोड़), राजस्थान (2,731 करोड़), तमिलनाडु (4,813 करोड़), तेलंगाना (2,508 करोड़), त्रिपुरा (148 करोड़), उत्तराखंड (702 करोड़), उत्तर प्रदेश (4,851 करोड़) को भी शामिल किया गया है. इन 17 राज्यों को व्यय विभाग द्वारा 37,600 करोड़ रुपये की अतिरिक्त उधार लेने की अनुमति मिली है.

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