ETV Bharat / bharat

कांग्रेस से जुड़ाव के लिए मुझे कोई पछतावा नहीं : उर्मिला मातोंडकर

author img

By

Published : Dec 25, 2020, 5:31 PM IST

अभिनेत्री से नेता बनीं उर्मिला मातोंडकर 2019 के लोक सभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरी थीं, लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली. इसके एक साल बाद वह शिवसेना में शामिल हो गईं. कांग्रेस से जुड़ाव पर अभिनेत्री का कहना है कि कांग्रेस के साथ कुछ समय तक जुड़ने के लिए उन्हें कोई पछतावा नहीं है. पढ़ें पूरी खबर...

उर्मिला मातोंडकर
उर्मिला मातोंडकर

मुंबई : अदाकारा से नेता बनीं उर्मिला मातोंडकर ने कहा कि कांग्रेस के साथ कुछ समय तक जुड़ने के लिए उन्हें कोई पछतावा नहीं है और पार्टी के नेतृत्व के लिए उनके मन में काफी सम्मान की भावना है.

मातोंडकर हाल में शिवसेना में शामिल हो गई थीं. मातोंडकर ने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महा विकास आघाड़़ी (एमवीए) सरकार ने एक साल में शानदार काम किया है और कोविड-19 महामारी और प्राकृतिक आपदा के समय लोगों की अच्छी देखभाल की.

मातोंडकर (46) ने कहा कि वह 'जनता की अदाकारा' हैं और 'जनता की नेता' बनने के लिए कठिन मेहनत करेंगी. उन्होंने कहा, 'मैं ऐसी नेता नहीं बनना चाहती, जो एसी रूम में बैठकर ट्वीट करे. मुझे पता है क्या करना है और कैसे काम करना है. मैं अनुभवों से सीख लूंगी.'

मातोंडकर 2019 के लोक सभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरी थीं, लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली. एक साल बाद वह शिवसेना में शामिल हो गईं. वह पिछले साल मार्च में कांग्रेस में शामिल हुई थीं और सितंबर में उन्होंने पार्टी छोड़ दी.

कांग्रेस से कुछ समय के लिए अपने जुड़ाव पर उन्होंने कहा, 'मैं छह महीने से भी कम पार्टी में रही और लोक सभा चुनाव के लिए 28 दिनों तक प्रचार की अच्छी यादें मेरे साथ हैं.'

मातोंडकर ने कहा कि वह ऐसी शख्स नहीं हैं कि उन्हें कोई अफसोस हो. उन्होंने कहा, 'कांग्रेस छोड़ने के बाद भी पार्टी के बारे में मैंने कुछ नहीं कहा. मुझे कोई कारण नजर नहीं आता, अब क्यों ऐसा करना चाहूंगी.'

कांग्रेस से इस्तीफा देने के अपने फैसले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'मेरे लिए अंतरात्मा की आवाज ज्यादा मायने रखती है.'

यह भी पढ़ें- उर्मिला ने शिवसेना को क्यों चुना और कंगना पर क्या बोलीं, देखें वीडियो

मातोंडकर को मुंबई-उत्तरी लोक सभा सीट पर भाजपा के गोपाल शेट्टी से हार का सामना करना पड़ा था. मातोंडकर ने कहा कि चुनाव में हार के कारण उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने राज्यपाल के कोटे से राज्य विधानसभा में मनोनीत किए जाने की भी पेशकश की थी. मातोंडकर ने कहा, 'मैंने सोचा कि पार्टी से अलग हो चुकी हूं, इसलिए कोई पद लेना ठीक नहीं रहेगा.'

शिवसेना से जुड़ने के बारे में उन्होंने कहा, 'मुझे मुख्यमंत्री कार्यालय से फोन आया था. मुझसे कहा गया कि विधान परिषद में संस्कृति मामलों के मानकों को बढ़ाने में मैं मदद कर सकती हूं. मुझे लगा कि राज्य में एमवीए सरकार ने अच्छा काम किया है. कोविड-19 और प्राकृतिक आपदाओं के समय सरकार ने जनकल्याणकारी काम किए हैं.'

उन्होंने कहा, 'धर्मनिरपेक्ष होने का मतलब यह नहीं है कि आप धर्म में यकीन नहीं रखते, वहीं हिंदू होने का यह मतलब नहीं है कि आप दूसरे धर्म से नफरत करते हैं. शिवसेना हिंदुत्ववादी पार्टी है. हिंदू धर्म समावेशी धर्म है.'

राज्य सरकार ने महाराष्ट्र विधान परिषद में एक सीट के लिए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मातोंडकर के नाम की सिफारिश की है. राज्यपाल कोटे से ऊपरी सदन में मनोनीत किए जाने के लिए सरकार द्वारा भेजे गए 12 लोगों के नामों पर कोश्यारी ने अभी कोई फैसला नहीं किया है.

मातोंडकर ने कहा कि राज्यपाल कोटे के तहत विधान परिषद के लिए उनका नामांकन स्वीकार नहीं होता है तो भी वह शिवसेना के मंच के जरिए लोगों के लिए काम करती रहेंगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.