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देश के अन्य हिस्सों में SC की शाखाएं खोलने की कोई योजना नहीं : मंत्रालय

सुप्रीम कोर्ट की क्षेत्रीय शाखाएं स्थापित करने का मामला शीर्ष अदालत में विचाराधीन है. सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है. ये जानकारी विधि और न्याय मंत्रालय ने संसद (parliament) में दी है.

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विधि और न्याय मंत्रालय
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Published : Jul 22, 2022, 8:48 PM IST

नई दिल्ली : विधि और न्याय मंत्रालय ने शुक्रवार को संसद को जानकारी दी कि सर्वोच्च न्यायालय की क्षेत्रीय शाखाएं स्थापित करने का मामला शीर्ष अदालत में विचाराधीन है. सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है. मंत्रालय ने संसद में पूछे गए एक सवाल कि क्या शीर्ष अदालत की क्षेत्रीय शाखाएं स्थापित करने की सरकार की कोई योजना है? इसके जवाब में यह जानकारी दी गई. मंत्रालय ने कहा कि अनुच्छेद 130 के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट दिल्ली या भारत के किसी भी ऐसे स्थान पर बैठेगा जहां राष्ट्रपति की मंजूरी से समय-समय पर भारत के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त होते हैं.

मंत्रालय ने 1988 में प्रस्तुत 'सुप्रीम कोर्ट-ए फ्रेश लुक' शीर्षक से विधि आयोग की 125वीं रिपोर्ट का हवाला दिया. इसमें 10वें विधि आयोग की 95वीं रिपोर्ट की बात दोहराई गई जिसमें दिल्ली में संवैधानिक अदालत और उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम में अपील की अदालत की स्थापना का सुझाव देने वाली सिफारिशें की गई हैं. 18वें विधि आयोग ने अपनी 229वीं रिपोर्ट में संवैधानिक न्यायालय उत्तरी क्षेत्र में दिल्ली, दक्षिणी क्षेत्र में चेन्नई/हैदराबाद, पूर्वी क्षेत्र में कोलकाता और पश्चिमी क्षेत्र में मुंबई में स्थापित किया जाने की बात कही थी.

जवाब में कहा गया है कि' मामला भारत के मुख्य न्यायाधीश को भेजा गया था, जिन्हें सूचित किया गया था कि 18 फरवरी, 2010 को हुई बैठक में पूर्ण न्यायालय ने दिल्ली के बाहर सर्वोच्च न्यायालय की पीठों की स्थापना के लिए कोई औचित्य नहीं पाया.' मंत्रालय ने कहा कि 2016 में शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे को संवैधानिक पीठ को सौंपना उचित समझा और मामला विचाराधीन है.

500 संवैधानिक मामले लंबित : दिल्ली में संवैधानिक न्यायालय और अपील अदालत की स्थापना से बैकलॉग मामलों से निपटने में काफी मदद मिल सकती है. वर्तमान में शीर्ष अदालत सभी प्रकार के मामलों की सुनवाई करती है. संवैधानिक के साथ-साथ उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील भी सुनती है. इससे अदालत पर बोझ बढ़ता है क्योंकि वैवाहिक विवाद, संपत्ति विवाद, बच्चे की हिरासत, जमानत याचिका, आदि सभी के मामले वहीं आ जाते हैं. फिर ऐसे संवैधानिक मामले हैं जो विभिन्न कानूनों की कानूनी व्याख्या से संबंधित हैं और महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उनका बड़े पैमाने पर प्रभाव पड़ता है. शीर्ष अदालत के समक्ष लगभग 500 संवैधानिक मामले लंबित हैं और एससी के समक्ष कुल मिलाकर 70,000 से अधिक मामले लंबित हैं.

पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट में 70 हजार से भी ज्यादा केस लंबित

नई दिल्ली : विधि और न्याय मंत्रालय ने शुक्रवार को संसद को जानकारी दी कि सर्वोच्च न्यायालय की क्षेत्रीय शाखाएं स्थापित करने का मामला शीर्ष अदालत में विचाराधीन है. सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है. मंत्रालय ने संसद में पूछे गए एक सवाल कि क्या शीर्ष अदालत की क्षेत्रीय शाखाएं स्थापित करने की सरकार की कोई योजना है? इसके जवाब में यह जानकारी दी गई. मंत्रालय ने कहा कि अनुच्छेद 130 के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट दिल्ली या भारत के किसी भी ऐसे स्थान पर बैठेगा जहां राष्ट्रपति की मंजूरी से समय-समय पर भारत के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त होते हैं.

मंत्रालय ने 1988 में प्रस्तुत 'सुप्रीम कोर्ट-ए फ्रेश लुक' शीर्षक से विधि आयोग की 125वीं रिपोर्ट का हवाला दिया. इसमें 10वें विधि आयोग की 95वीं रिपोर्ट की बात दोहराई गई जिसमें दिल्ली में संवैधानिक अदालत और उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम में अपील की अदालत की स्थापना का सुझाव देने वाली सिफारिशें की गई हैं. 18वें विधि आयोग ने अपनी 229वीं रिपोर्ट में संवैधानिक न्यायालय उत्तरी क्षेत्र में दिल्ली, दक्षिणी क्षेत्र में चेन्नई/हैदराबाद, पूर्वी क्षेत्र में कोलकाता और पश्चिमी क्षेत्र में मुंबई में स्थापित किया जाने की बात कही थी.

जवाब में कहा गया है कि' मामला भारत के मुख्य न्यायाधीश को भेजा गया था, जिन्हें सूचित किया गया था कि 18 फरवरी, 2010 को हुई बैठक में पूर्ण न्यायालय ने दिल्ली के बाहर सर्वोच्च न्यायालय की पीठों की स्थापना के लिए कोई औचित्य नहीं पाया.' मंत्रालय ने कहा कि 2016 में शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे को संवैधानिक पीठ को सौंपना उचित समझा और मामला विचाराधीन है.

500 संवैधानिक मामले लंबित : दिल्ली में संवैधानिक न्यायालय और अपील अदालत की स्थापना से बैकलॉग मामलों से निपटने में काफी मदद मिल सकती है. वर्तमान में शीर्ष अदालत सभी प्रकार के मामलों की सुनवाई करती है. संवैधानिक के साथ-साथ उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील भी सुनती है. इससे अदालत पर बोझ बढ़ता है क्योंकि वैवाहिक विवाद, संपत्ति विवाद, बच्चे की हिरासत, जमानत याचिका, आदि सभी के मामले वहीं आ जाते हैं. फिर ऐसे संवैधानिक मामले हैं जो विभिन्न कानूनों की कानूनी व्याख्या से संबंधित हैं और महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उनका बड़े पैमाने पर प्रभाव पड़ता है. शीर्ष अदालत के समक्ष लगभग 500 संवैधानिक मामले लंबित हैं और एससी के समक्ष कुल मिलाकर 70,000 से अधिक मामले लंबित हैं.

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