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सड़क नहीं होने के कारण नहीं पहुंच पाई एंबुलेंस, जन्म से पहले ही हुई नवजात की मौत

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 16, 2023, 9:34 PM IST

newborn died before birth due to lack of road
newborn died before birth due to lack of road

बोकारो के बिरहोर डेरा गांव में सड़क नहीं होने के कारण एक नवजात की जन्म लेने से पहले ही मौत हो गई. गांव की महिलाओं ने पीड़ित महिला को किसी तरह खाट पर डालकर अस्पताल पहुंचाया, जिससे महिला की जान बच पाई.

खाट पर महिला को अस्पताल ले जाते परिजन

बोकारो: झारखंड में फिर एक बार स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खुली है. बोकारो जिले में सरकारी सुविधाएं खाट पर नजर आई है. इसके कारण एक नवजात की जन्म लेने के पहले ही मौत हो गई. स्थानीय महिलाओं ने जैसे-तैसे महिला की जान बचाई. नवजात की मौत के कारण कई थे, लेकिन गांव में सड़क का ना होना इसका मुख्य कारण बना. सड़क ना होने की वजह से एंबुलेंस गांव में नहीं पहुंच पाई. जिसके कारण यह घटना हुई. घटना शनिवार गोमिया प्रखंड के बिरहोर डेरा गांव की है.

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जानकारी के मुताबिक, चारों ओर से जंगल, नदी और पहाड़ से घिरे बिरहोर डेरा गांव में पक्की सड़क नहीं रहने के कारण गर्भवती आदिवासी महिला की जान पर बन आई. समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका. जिसके कारण दुनिया में आने से पहले ही नवजात की मौत हो गई. गांव की महिलाओं के कारण पीड़ित महिला की किसी तरह जान बच पाई.

महिलाओं ने अस्पताल पहुंचाने के लिए गर्भवती को खटिया में लादकर जंगल के रास्ते पहले रेलवे ब्रिज पार किया, फिर नदी की बहती धारा को पार किया. लेकिन जब तक वे अस्पताल पहुंचती नवजात ने जन्म से पहले ही दम तोड़ दिया. महिला की स्थिति भी गंभीर हो गई. जिसके बाद किसी तरह निजी अस्पताल के डॉक्टर ने महिला की जान बचाई. अभी भी महिला का इलाज अस्पताल में चल रहा है. महिला का पति प्रवासी मजदूर है और अभी कमाने के लिए मुंबई गया हुआ है.

सड़क नहीं होने के कारण नहीं पहुंच सकी एंबुलेंस: महिला की रिश्तेदार ने बताया कि गर्भावधि पूरी होने पर महिला को एकाएक लेबर पेन शुरू हो गया. जिसके बाद 108 एंबुलेंस को सूचना दी गई, लेकिन सड़क रोड़ा बन गया. जैसे-तैसे एक रिश्तेदार को सूचना दी गई, जो अपनी निजी कार लेकर नदी किनारे टूटी झरना गांव पहुंचे तब जाकर महिला को अस्पताल पहुंचाया जा सका. लेकिन जब प्रसव के लिए ले जाया गया तो बच्चा उल्टा जन्म ले रहा था, स्थिति काफी खराब थी और उसका आधा शरीर भी बाहर निकल चुका था. देखते ही देखते बच्चे की जान चली गई. जिसके बाद महिला की भी स्थिति काफी बिगड़ गई, उसे जैसे-तैसे बचाया गया.

कई बार अधिकारियों को समस्या से कराया जा चुका है अवगत: ग्रामीणों ने बताया कि कई बार बिरहोर डेरा गांव की समस्याओं को अधिकारियों के संज्ञान में दिया गया है. विकास से गांव को जोड़ने के लिए नदी पर पुल निर्माण का टेंडर भी हुआ. गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने दो वर्ष पहले ही पुल का शिलान्यास भी किया, लेकिन निर्माण कार्य की गति कछुआ से भी धीमी चल रही है. संवेदक की मनमानी और विभागीय अधिकारियों की उदासीनता गांव की समस्या को लगातार बढ़ा रही है. समय पर अगर पुल का निर्माण हो गया रहता तो शायद आज यह दिन नहीं देखना पड़ता.

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