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'नो मेंस लैंड' पर नेपालियों ने किया अतिक्रमण, भारतीय सीमा पर बैरिकेडिंग कर लगाए धार्मिक झंडे-बैनर

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Published : May 1, 2022, 10:01 PM IST

Updated : May 1, 2022, 10:18 PM IST

बिहार के पश्चिमी चंपारण के नरकटियागंज के भिखनाठोरी में नो मेंस लैंड पर नेपालियों ने जमीन पर कब्जा किया (Nepal did encroachment at Bihar Border in Bettiah) है. बैरिकेडिंग कर वहां धार्मिक झंडे लगा दिए. जिसके बाद नरकटियागंज एसडीएम ने नेपाली अधिकारियों से बातचीत कर अतिक्रमण हटवाया. पढ़ें पूरी खबर..

नो मेंस लैंड पर नेपालियों ने जमीन पर कब्जा किया
नो मेंस लैंड पर नेपालियों ने जमीन पर कब्जा किया

बेतिया: भारत के पड़ोसी देश नेपाल ने फिर से दुस्साहस किया है. दरअसल, बिहार के बेतिया में इंडो नेपाल बॉर्डर के भिखनाठोरी में नेपाल ने नो मेंस लैंड पर अतिक्रमण (Nepal encroachment on No Men Land in Bettiah) कर लिया था. नेपालियों ने बैरिकेडिंग कर धार्मिक झंडे-बैनर लगा दिए थे. नेपाली क्षेत्र के सीताखोला के पास नो मेंस लैंड पर बैरिकेडिंग कर झंडे लगा दिये जाने से दोनों देशों के बीच तनाव होने की आशंका को देखते प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची. नरकटियागंज एसडीएम ने नेपाली अधिकारियों से बातचीत कर अतिक्रमण हटवाया.

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ओली के बयान से उपजा था विवाद: बता दें कि नेपाल के पूर्व पीएम केपी ओली ने जुलाई 2020 में बयान दिया था कि भगवान राम का जन्म नेपाल में हुआ था. उन्होंने दावा किया था कि जिस अयोध्या में राम का जन्म हुआ था वह वीरगंज के पश्चिम में स्थित गांव ठोरी है. उन्होंने यहां मंदिर बनवाने की घोषणा भी की थी. इससे ठोरी का सीताखोला सुर्खियों में आ गया था. लोग यहां पूजा-पाठ करने लगे. माना जा रहा है कि स्थानीय लोग पिलर संख्या-436 के समीप सीताखोला के पास मंदिर बनाने की तैयारी कर रहे हैं.

एसडीएम ने हटवाया अतिक्रमण: नो मेंस लैंड पर अतिक्रमण की खुफिया सूचना के बाद पश्चिमी चंपारण के नरकटियागंज एसडीएम धनंजय कुमार अधिकारियों की टीम के साथ मौके पर पहुंचे. उन्होंने नेपाली अधिकारियों के साथ बैठक कर अतिक्रमण हटवाया. एसडीएम ने बताया कि जानवरों की सुरक्षा के लिए वो बांस बल्ला वहां के नेपाली पुजारी के द्वारा लगाया गया था. अभी उसको हटा लिया गया है और स्थिति सामान्य है.

इंडो-नेपाल बॉर्डर पर बार-बार विवाद: भिखनाठोरी बॉर्डर पर कई बार विवाद की स्थिति बन चुकी है. दोनों देशों के लोगों के बीच कई बार मामला मारपीट तक पहुंच चुका है. साल 2005-06 में भी यहां विवाद हुआ था. पिलर संख्या-483 के बगल में नेपालियों ने एसएसबी का कैंप नहीं बनने दिया था. कैंप वाले स्थल पर माओवादियों ने रातोंरात नेपाली झंडे लगा दिए थे. पैमाइश के लिए दोनों देशों की सर्वे टीम बुलानी पड़ी थी. पानी को लेकर भी यहां कई बार विवाद हो चुका है. एसएसबी और पुलिस बॉर्डर की निगरानी में लगी है.

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Last Updated :May 1, 2022, 10:18 PM IST
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