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Chhattisgarh Ramayan Mahotsav: रायगढ़ में ही क्यों हो रहा है राष्ट्रीय रामायण महोत्सव, जानिए ये है वजह

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Published : Jun 1, 2023, 10:11 PM IST

Updated : Jun 1, 2023, 10:46 PM IST

Chhattisgarh Ramayan Mahotsav
राष्ट्रीय रामायण महोत्सव

छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक राजधानी रायगढ़ है. यहां कला संगीत के कार्यक्रम होते रहे है. अब राष्ट्रीय रामायण महोत्सव के रूप में एक नया अध्याय भी इससे जुड़ गया है. आयोजन के पहले से ही भाजपा कांग्रेस पर हमलावर रही है. अब राजनीतिक लाभ लेने के भी आरोप लगाए जा रहे हैं. ऐसे में जानने की कोशिश करते हैं कि धर्म और साहित्य की नगरी रायगढ़ में सियासत को लेकर क्या है उठापटक.

रायगढ़ में ही क्यों हो रहा है राष्ट्रीय रामायण महोत्सव

रायपुर: राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का गुरुवार को रायगढ़ में आगाज हो गया. इसका शुभारंभ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया. इस बीच एक सवाल सभी के जेहन में उठ रहा है कि राष्ट्रीय रामायण महोत्सव के लिए रायगढ़ को ही क्यों चुना गया. इसी साल विधानसभा चुनाव और अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में रायगढ़ में कांग्रेस और बीजेपी की विधानसभा और लोकसभा सीट पर क्या है स्थिति, कौन सी है पार्टी मजबूत और हिंदुत्व के मुद्दे पर रायगढ़ में क्या हैं राजनीतिक समीकरण.

रामायण से नहीं मिटेगा घोटालों का दाग-भाजपा: भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता श्रीचंद सुंदरानी कहना है कि "रामायण महोत्सव के जरिए कांग्रेस राजनीतिक लाभ लेना चाहती है, लेकिन लाभ ले नहीं पाएंगे. राम को यह लोग हमेशा काल्पनिक बताते रहे हैं, रामसेतु काल्पनिक बताते रहे हैं. यह हलफनामा देकर सुप्रीम कोर्ट में बात करते हैं, प्रभु राम काल्पनिक हैं. इनको आज प्रभु राम की शरण में जाना पड़ा है, क्योंकि इन्होंने देश का बंटाधार कर दिया. शराब घोटाला और रेत घोटाला, कोयला घोटाला पूरी सरकार घोटालों की सरकार है. उनका यह दाग मिट नहीं पाएगा, चाहे कितना भी कुछ कर ले.

"भारतीय जनता पार्टी और संघ परिवार शुरू से प्रभु राम के जुड़ा हुआ है. इन्होंने अयोध्या के मंदिर का विरोध किया था. आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन रहा है. पूरे देश की जनता जानती कि भाजपा के कारण यह मंदिर बन रहा है. इन्हें माता कौशल्या याद आ रही हैं, प्रभु राम भांजा याद आ रहा है. 55 साल कांग्रेस ने राज किया, लेकिन कभी इनको राम याद नहीं आए थे." -श्रीचंद सुंदरानी, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा

संस्कारधानी है इसलिए रायगढ़ में रामायण महोत्सव-कांग्रेस: रायगढ़ में राष्ट्रीय रामायण महोत्सव के आयोजन पर कांग्रेस का कहना है कि कोरिया से लेकर सुकमा तक भगवान राम वन गमन पथ बनाया जा रहा है. इसके अलावा मैदानी इलाके में भी राम वनगमन पथ को लेकर काम हो रहा है. रायगढ़ सांस्कृतिक नगरी रही है. छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक राजधानी भी है. रायगढ़ में रामायण महोत्सव का आयोजन करने से जसपुर और सरगुजा अंचल के लोग उसमें शामिल हो सकते हैं. इसमें कोरिया से लेकर बस्तर तक के लोग शामिल होंगे.

"छत्तीसगढ़ के संस्कृति उत्थान, भगवान राम से जो हमसे भावनात्मक नाता है और छत्तीसगढ़ का रामायण में जो स्थान है उसके लिए यह कथा कराई जा रही है. इसका कोई राजनीतिक कोई उद्देश्य नहीं है. यदि बात की जाए तो बस्तर में 12 सीटें हैं. वहां हम जाकर रामायण करते, सरगुजा में रामायण करते लेकिन इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं." -सुशील आनंद शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष, मीडिया विभाग कांग्रेस

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राम और धर्म विधानसभा में होगा प्रमुख मुद्दा: राजनीति के जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा के मुताबिक रायगढ़ ट्राइबल क्षेत्र है. यहां ट्राइबल वोट बैंक ज्यादा है और यह जो रायगढ़ में राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन किया गया है यह आने वाले समय में बस्तर और कवर्धा में भी होगा. आगामी विधानसभा चुनाव में धर्म और राम एक मुद्दे होगें. भाजपा के मुख्य एजेंडा राष्ट्रवाद को राज्यवाद से जोड़ने के लिए आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार का अपना एक तरीका होगा.

"यह राजनीतिक मुद्दा, राजनीतिक विषय है. इसे समझने की जरूरत है. यदि रायगढ़ लोकसभा की पॉलिटिकल स्थिति की बात की जाए तो वहां की 8 सीटों में से 5 सीटें ट्राइबल की हैं. दो सामान्य और एक सीट एससी सीट है. ट्राइबल बेल्ट को राम से जोड़ने का कांग्रेस का यह एक अपना तरीका है. जिस राम के नाम पर अब तक भाजपा राजनीति करती आई है, उसे भूपेश सरकार ने एक शाफ्ट एजेंडे के रूप में ले लिया है." -उचित शर्मा, राजनीति के जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार


रायगढ़ में कई पीढ़ियों से रामायण का चला आ रहा वाचन: माना जाता है कि रायगढ़ अंचल के कण कण में कला और साहित्य समाया हुआ है. शताब्दियों से जब से रामायण जैसे ग्रंथ लोगों के सामने आए, तब से इसका वाचन वचन होता रहा है. यही वजह है कि इस अंचल के गांव-गांव में रामायण का पाठन पाठन और रामलीला का मंचन पीढ़ी दर पीढ़ी जारी है. रायगढ़ के आसपास की प्राचीन गुफाओं में शैल चित्र के तहत रामलीला और रामायण काल का उल्लेख होना अपने आप में महत्वपूर्ण है. प्राचीनतम हिंदू वेदों, पुराणों, उप निषदों में लिखे प्रसंग चट्टानों गुफाओं में मिलते हैं.

Last Updated :Jun 1, 2023, 10:46 PM IST
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