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नाहरगढ़ पार्क बना 'शिवा' का बसेरा, पिलाया जा रहा 20 हजार रुपए प्रति किलो अमेरिकन दूध

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Published : Jul 1, 2021, 6:42 PM IST

राजधानी जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क (Nahargarh Biological Park) में इन दिनों नन्हा शिवा सबकी आंखों का तारा बना हुआ है. करीब एक सप्ताह पहले जमवारामगढ़ की रायसर रेंज में नन्हा पैंथर शावक अपनी मां से बिछड़ गया था, जिसे नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में लाया गया. शावक को शिवा नाम दिया गया है.

नाहरगढ़ पार्क
नाहरगढ़ पार्क

जयपुर : शावक 24 जून को जमवारामगढ़ की रायसर रेंज में अपनी मां से बिछड़ गया था. वन विभाग की टीम गश्त के दौरान वन क्षेत्र में पहुंची, तो शावक नजर आया. करीब एक रात शावक को उसकी मां से मिलाने का प्रयास किया गया, लेकिन शिवा की मां उसको लेने वापस नहीं आई. इसके बाद 25 जून को वन विभाग की टीम ने शावक को रेस्क्यू कर नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क पहुंचाया.

वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी के नेतृत्व में 24 घंटे निगरानी...

नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बने न्यूनेटल केयर यूनिट में शावक की देखभाल की जा रही है. वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अरविंद माथुर की मॉनिटरिंग में शावक की 24 घंटे अच्छे से देखभाल हो रही है. शावक को मेडिसिन भी दी जा रही है और उसके स्वास्थ्य का ख्याल भी रखा जा रहा है. मां से बिछड़े शावक का इतनी कम उम्र में पालन-पोषण चुनौतीपूर्ण है. हालांकि, वन विभाग के स्टाफ, केयरटेकर सुरेश और माधव शावक की देखभाल कर रहे हैं. हर 2 से 3 घंटे में शावक को दूध पिलाया जा रहा है.

मां से बिछड़ा 'शिवा'...

शिवा को 20 हजार रुपये किलो का अमेरिकन दूध पिलाया जा रहा...

शावक को नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में लाया गया था, तब उसकी आंखें भी नहीं खुल पाई थी. ऐसे में अचानक मां का दूध नहीं मिलने से कुपोषित होने का भी डर था. इसी को ध्यान में रखते हुए वन विभाग के वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी की सलाह पर अमेरिका से आने दूध मंगवाया गया. करीब 20 हजार रुपये प्रति किलो वाला पेटलेक किटन मिल्क सप्लीमेंट शावक को पिलाया जा रहा है. इससे पहले भी अमेरिका से आने वाला यह दूध जयपुर और जोधपुर में लॉयन और टाइगर के शावकों को भी पिलाया गया था.

ये भी पढ़ें- कर्नाटक में ट्री हाउस, जहां मनोरंजन के साथ बच्चे करते हैं होमवर्क

शावक शिवा को रास आने लगा नाहरगढ़ पार्क का माहौल...

अब नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में लाए गए नन्हें शावक शिवा को बाइसिकल पार्क का माहौल रास आने लगा है. बिना मां के ही शावक अब अठखेलियां कर रहा है. करीब 1 सप्ताह में शावक का वजन भी करीब 300 ग्राम बढ़ गया है. शावक को जब लाया गया था, तो उसका वजन 500 ग्राम था जो कि बढ़कर 800 ग्राम तक पहुंच गया है.

शिवा बड़ा होकर बनेगा नाहरगढ़ पार्क की शान...

बड़े होने तक शावक को नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में ही रखा जाएगा. मनुष्य के साथ रहने के बाद शावक जंगल से बिल्कुल अनजान होता है. इसलिए उसे नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में ही रखा जाएगा. करीब 3 महीने बाद शावक का भोजन शुरू किया जाएगा.

वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अरविंद माथुर ने बताया कि पैंथर शावक जमवारामगढ़ की रायसर रेंज में वन विभाग की टीम को मिला था. 24 जून को वन विभाग की टीम को गश्त के दौरान शावक रायसेन रेंज के वन क्षेत्र में मिला था. शावक 10 से 12 दिन का था और अपनी मां से बिछड़ गया था. शावक काफी छोटा होने के कारण क्षेत्रीय वन अधिकारी ने ट्राई किया कि उसकी मां उसे लेकर चली जाए, लेकिन रात को भी शावक की मां नहीं आई. अगले दिन 25 जून को शावक नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क लाया गया. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में शावक की बहुत अच्छे से देखभाल की जा रही है. नवजात शावक का पालन पोषण करने के लिए तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं.

नाहरगढ़ पार्क बना आसरा...
नाहरगढ़ पार्क बना आसरा...

शावक का वजन 500 से हुआ 800 ग्राम...

डॉक्टर अरविंद माथुर ने बताया कि अपनी मां से बिछड़ा शावक भूखा प्यासा था. शावक को जब लाया गया तो उस समय इसका वजन केवल 500 ग्राम था जो कि काफी कमजोर था. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में लाने के बाद शावक को मेडिसिन देना स्टार्ट किया गया. ट्रीटमेंट के साथ ही शावक की फ्रिडिंग पर भी ध्यान दिया गया. शावक के लिए पेटलेक मिल्क मंगवाया गया.

धीरे-धीरे शावक की एक्टिविटी बढ़ती गई. शावक की आंखें भी अब पूरी तरह खुल गई है. गुरुवार को शावक का वजन 800 ग्राम से ज्यादा हो गया है. शावक को 150 से 200 ग्राम दूध दिया जा रहा है. जुगल पार्क के न्यूनेटल केयर यूनिट में शावक की अच्छे से देखभाल की जा रही है. 24 घंटे मॉनिटरिंग भी की जा रही है. शावक को मॉर्निंग में कच्चे में भी निकाला जाता है, ताकि शावक को नेचुरल एनवायरमेंट मिल सके. इसे शावक जल्दी स्ट्रेस और शोक कंडीशन में आता है.

ये भी पढ़ें- महाराष्ट्र : बिल्लियों का किया गया स्वाब टेस्ट, जानें क्या कहती है रिपोर्ट

शावक को दिया गया 'शिवा' नाम...

मां से बिछड़े शावक को शिवा नाम दिया गया है. शावक की देखभाल कर रहे केयर टेकर भी शिवा के नाम से पुकार रहे हैं. नन्ना शिवा नाहरगढ़ पार्क में आने के बाद काफी खुश है. शावक अठखेलियां भी कर रहा है. शावक को छोटे से पिंजरे में रखा गया है और पिंजरे में जाली के सहारे से ऊपर चढ़कर बाहर निकलने की कोशिश करता है, लेकिन 20 दिन का शावक बार-बार कोशिश करने के बावजूद गिर जाता है और फिर उठकर चढ़ने की कोशिश करता है.

वर्ष 2016 में भी मां से बिछड़ा कृष्णा आया था नाहरगढ़ पार्क

वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अरविंद माथुर ने बताया कि इससे पहले झालाना जंगल से निकलकर एक लेपर्ड शावक गलता वन क्षेत्र में नाके पर आ गया था. मामला 25 मार्च 2016 का है. वह शावक भी करीब 10 दिन का था. उस समय भी प्रयास किया गया था कि शावक अपनी मां से मिल जाए, लेकिन शावक की मां उसको लेने नहीं आई. उसके बाद शावक को जयपुर चिड़ियाघर लाया गया था. शावक की फ्रिडिंग और स्वास्थ्य का ख्याल रखा गया. अब शावक की 5 वर्ष से ज्यादा उम्र हो गई है. शावक का नाम कृष्णा रखा गया था, जो कि आज नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

जयपुर : शावक 24 जून को जमवारामगढ़ की रायसर रेंज में अपनी मां से बिछड़ गया था. वन विभाग की टीम गश्त के दौरान वन क्षेत्र में पहुंची, तो शावक नजर आया. करीब एक रात शावक को उसकी मां से मिलाने का प्रयास किया गया, लेकिन शिवा की मां उसको लेने वापस नहीं आई. इसके बाद 25 जून को वन विभाग की टीम ने शावक को रेस्क्यू कर नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क पहुंचाया.

वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी के नेतृत्व में 24 घंटे निगरानी...

नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बने न्यूनेटल केयर यूनिट में शावक की देखभाल की जा रही है. वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अरविंद माथुर की मॉनिटरिंग में शावक की 24 घंटे अच्छे से देखभाल हो रही है. शावक को मेडिसिन भी दी जा रही है और उसके स्वास्थ्य का ख्याल भी रखा जा रहा है. मां से बिछड़े शावक का इतनी कम उम्र में पालन-पोषण चुनौतीपूर्ण है. हालांकि, वन विभाग के स्टाफ, केयरटेकर सुरेश और माधव शावक की देखभाल कर रहे हैं. हर 2 से 3 घंटे में शावक को दूध पिलाया जा रहा है.

मां से बिछड़ा 'शिवा'...

शिवा को 20 हजार रुपये किलो का अमेरिकन दूध पिलाया जा रहा...

शावक को नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में लाया गया था, तब उसकी आंखें भी नहीं खुल पाई थी. ऐसे में अचानक मां का दूध नहीं मिलने से कुपोषित होने का भी डर था. इसी को ध्यान में रखते हुए वन विभाग के वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी की सलाह पर अमेरिका से आने दूध मंगवाया गया. करीब 20 हजार रुपये प्रति किलो वाला पेटलेक किटन मिल्क सप्लीमेंट शावक को पिलाया जा रहा है. इससे पहले भी अमेरिका से आने वाला यह दूध जयपुर और जोधपुर में लॉयन और टाइगर के शावकों को भी पिलाया गया था.

ये भी पढ़ें- कर्नाटक में ट्री हाउस, जहां मनोरंजन के साथ बच्चे करते हैं होमवर्क

शावक शिवा को रास आने लगा नाहरगढ़ पार्क का माहौल...

अब नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में लाए गए नन्हें शावक शिवा को बाइसिकल पार्क का माहौल रास आने लगा है. बिना मां के ही शावक अब अठखेलियां कर रहा है. करीब 1 सप्ताह में शावक का वजन भी करीब 300 ग्राम बढ़ गया है. शावक को जब लाया गया था, तो उसका वजन 500 ग्राम था जो कि बढ़कर 800 ग्राम तक पहुंच गया है.

शिवा बड़ा होकर बनेगा नाहरगढ़ पार्क की शान...

बड़े होने तक शावक को नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में ही रखा जाएगा. मनुष्य के साथ रहने के बाद शावक जंगल से बिल्कुल अनजान होता है. इसलिए उसे नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में ही रखा जाएगा. करीब 3 महीने बाद शावक का भोजन शुरू किया जाएगा.

वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अरविंद माथुर ने बताया कि पैंथर शावक जमवारामगढ़ की रायसर रेंज में वन विभाग की टीम को मिला था. 24 जून को वन विभाग की टीम को गश्त के दौरान शावक रायसेन रेंज के वन क्षेत्र में मिला था. शावक 10 से 12 दिन का था और अपनी मां से बिछड़ गया था. शावक काफी छोटा होने के कारण क्षेत्रीय वन अधिकारी ने ट्राई किया कि उसकी मां उसे लेकर चली जाए, लेकिन रात को भी शावक की मां नहीं आई. अगले दिन 25 जून को शावक नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क लाया गया. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में शावक की बहुत अच्छे से देखभाल की जा रही है. नवजात शावक का पालन पोषण करने के लिए तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं.

नाहरगढ़ पार्क बना आसरा...
नाहरगढ़ पार्क बना आसरा...

शावक का वजन 500 से हुआ 800 ग्राम...

डॉक्टर अरविंद माथुर ने बताया कि अपनी मां से बिछड़ा शावक भूखा प्यासा था. शावक को जब लाया गया तो उस समय इसका वजन केवल 500 ग्राम था जो कि काफी कमजोर था. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में लाने के बाद शावक को मेडिसिन देना स्टार्ट किया गया. ट्रीटमेंट के साथ ही शावक की फ्रिडिंग पर भी ध्यान दिया गया. शावक के लिए पेटलेक मिल्क मंगवाया गया.

धीरे-धीरे शावक की एक्टिविटी बढ़ती गई. शावक की आंखें भी अब पूरी तरह खुल गई है. गुरुवार को शावक का वजन 800 ग्राम से ज्यादा हो गया है. शावक को 150 से 200 ग्राम दूध दिया जा रहा है. जुगल पार्क के न्यूनेटल केयर यूनिट में शावक की अच्छे से देखभाल की जा रही है. 24 घंटे मॉनिटरिंग भी की जा रही है. शावक को मॉर्निंग में कच्चे में भी निकाला जाता है, ताकि शावक को नेचुरल एनवायरमेंट मिल सके. इसे शावक जल्दी स्ट्रेस और शोक कंडीशन में आता है.

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शावक को दिया गया 'शिवा' नाम...

मां से बिछड़े शावक को शिवा नाम दिया गया है. शावक की देखभाल कर रहे केयर टेकर भी शिवा के नाम से पुकार रहे हैं. नन्ना शिवा नाहरगढ़ पार्क में आने के बाद काफी खुश है. शावक अठखेलियां भी कर रहा है. शावक को छोटे से पिंजरे में रखा गया है और पिंजरे में जाली के सहारे से ऊपर चढ़कर बाहर निकलने की कोशिश करता है, लेकिन 20 दिन का शावक बार-बार कोशिश करने के बावजूद गिर जाता है और फिर उठकर चढ़ने की कोशिश करता है.

वर्ष 2016 में भी मां से बिछड़ा कृष्णा आया था नाहरगढ़ पार्क

वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अरविंद माथुर ने बताया कि इससे पहले झालाना जंगल से निकलकर एक लेपर्ड शावक गलता वन क्षेत्र में नाके पर आ गया था. मामला 25 मार्च 2016 का है. वह शावक भी करीब 10 दिन का था. उस समय भी प्रयास किया गया था कि शावक अपनी मां से मिल जाए, लेकिन शावक की मां उसको लेने नहीं आई. उसके बाद शावक को जयपुर चिड़ियाघर लाया गया था. शावक की फ्रिडिंग और स्वास्थ्य का ख्याल रखा गया. अब शावक की 5 वर्ष से ज्यादा उम्र हो गई है. शावक का नाम कृष्णा रखा गया था, जो कि आज नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

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