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Muslim Couple In Kerala To Remarry : बेटियों को संपत्ति में मिले पूरा हक इसलिए ये एक्टर करेंगे पत्नी से दोबारा शादी, जानें क्या है पूरा मामला

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Published : Mar 7, 2023, 10:35 AM IST

मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट के कारण बेटियों को पूरी संपत्ति वसियत करने में परेशानी आ रही थी. जिससे छूटकारा पाने के लिए अभिनेता सी शुक्कुर और उनकी पत्नी शीना ने फिर से विशेष विवाह अधिनियम (एसएमए) के तहत फिर से शादी करने का फैसला लिया है.

Muslim Couple In Kerala To Remarry
अभिनेता सी शुक्कुर और उनकी पत्नी शीना

कासरगोड (केरल) : केरल के कासरगोड जिले में एक मुस्लिम जोड़ा अपनी तीन बेटियों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष विवाह अधिनियम (एसएमए) के तहत फिर से शादी करने जा रहा है. एडवोकेट और अभिनेता सी शुक्कुर, जिन्हें कुंचाको बोबन स्टारर 'नना थान केस कोडू' (फिर मुझ पर मुकदमा करो) में एक वकील की भूमिका के लिए जाना जाता है, अपनी पत्नी शीना से दोबारा शादी करने जा रहे हैं.

पश्चिमी देशों में और कुछ हिंदू जातियों में, जोड़े अक्सर अपनी प्रतिज्ञा को नवीनीकृत करते हैं या वैवाहिक जीवन में एक साथ कई वर्षों के बाद अपने जीवनसाथी से पुनर्विवाह करते हैं, लेकिन यह युगल कुछ शर्तों के कारण अपनी शादी को फिर से पंजीकृत कराने जा रहा है. और वह शर्तें हैं मुस्लिम विरासत कानूनों की. जिसमें कहा गया है कि बेटियों को अपने पिता की संपत्ति का केवल दो-तिहाई हिस्सा मिलेगा और बाकी पुरुष उत्तराधिकारी की अनुपस्थिति में उसके भाइयों के पास जाएगा.

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सी शुक्कुर और शीना की शादी को अब 29 साल हो चुके हैं. विशेष विवाह अधिनियम के तहत अपनी शादी को फिर से पंजीकृत कराकर वह मुस्लिम विरासत कानून की शर्तों से आजाद होना चाहते हैं. एक फेसबुक पोस्ट में शुक्कुर ने कहा कि अतीत में उनके पास मृत्यु के करीब के दो अनुभव थे जिन्होंने उन्हें यह सोचने के लिए प्रेरित किया कि वह अपनी बेटियों के लिए क्या छोड़ रहे हैं और क्या वे उनकी सारी बचत और संपत्ति को प्राप्त कर सकेंगी.

उनकी चिंता यह थी कि 1937 के मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट और अदालतों द्वारा लिए गए स्टैंड के अनुसार, पिता की संपत्ति का केवल दो-तिहाई हिस्सा बेटियों के पास जाता है और कोई पुरुष संतान नहीं होने की स्थिति में शेष संपत्ति पिता के भाइयों की हो जायेगी. उन्होंने कहा कि शरिया कानून के तहत वह अपनी वसीयत नहीं बना सकते हैं. उन्होंने अपने पोस्ट में कहा कि उनकी बेटियों को सिर्फ इसलिए भेदभाव का सामना करना पड़ेगा क्योंकि वो लड़कियां हैं.

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शुक्कुर के अनुसार, इससे बाहर निकलने का एकमात्र तरीका है कि वह विशेष विवाह अधिनियम के तहत अपनी शादी को दोबारा पंजीकृत करा लें. उन्हें उम्मीद है कि उनका फैसला मुस्लिम परिवारों में बेटियों के साथ होने वाले लैंगिक भेदभाव को समाप्त करने का रास्ता दिखाएगा. इससे लड़कियों के आत्मविश्वास और सम्मान को बढ़ाने में मदद मिलेगी. उन्होंने अपने पोस्ट में कहा कि अल्लाह हमारी बेटियों के आत्मविश्वास और सम्मान को बढ़ाए.

उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि अल्लाह और हमारे संविधान के सामने सभी समान हैं. उन्होंने अपने पोस्ट में आगे कहा, कि पुनर्विवाह करने का उनका यह निर्णय किसी को या वर्तमान में मौजूद शरिया कानून की अवहेलना की उद्देश्य से नहीं लिया गया है. उन्होंने कहा कि हम केवल इस संभावना की तलाश कर रहे हैं कि मुस्लिम पर्सनल लॉ विशेष विवाह अधिनियम के माध्यम से शादी करने वालों को प्रभावित नहीं करेगा. शीना और मैं अपने बच्चों के लिए पुनर्विवाह कर रहे हैं.

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एक टीवी चैनल से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम सिर्फ अपनी बेटियों का भविष्य सुरक्षित करना चाहते हैं. उनकी पत्नी ने भी चैनल से कहा कि उनका परिवार जिस कठिनाई से गुजरा है. उसका सामना ऐसे कई मुस्लिम परिवारों को करना पड़ता है, जिनकी केवल बेटियां हैं. कॉलेज में पढ़ाते समय या किसी सार्वजनिक मंच पर बोलते समय कई माता-पिता मेरे पास आते हैं और पूछते हैं कि क्या यह 'विरासत का मुद्दा' सही है. शीना ने कहा कि हम इसे वर्षों से सुनते आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमें वह करना चाहिए जो हम कर सकते हैं.

शुक्कुर के फेसबुक पोस्ट के अनुसार, सी शुक्कुर और शीना का निकाह 6 अक्टूबर, 1994 को हुआ था. 8 मार्च को कसारगोड जिले के होसदुर्ग तालुक के कान्हागढ़ में एक सब-रजिस्ट्रार के कार्यालय में यह जोड़ा फिर से अपनी बेटियों की मौजूदगी में शादी करेंगे.

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