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मुंबई को मिली पहली जीनोम अनुक्रमण प्रयोगशाला

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Published : Aug 4, 2021, 5:24 PM IST

आर्थिक राजधानी मुंबई को अपनी पहली जीनोम अनुक्रमण प्रयोगशाला मिल गई है. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने डिजिटल माध्यम से प्रयोगशाला का उद्घाटन किया. इस दौरान ठाकरे ने कहा कि 100 साल पहले स्पेनिश फ्लू महामारी के दौरान स्थापित किया गया नायर अस्पताल एक दूसरी सदी के लिए जनता के स्वास्थ्य के देखभाल की तैयारी कर रहा है.

कॉन्सेप्ट इमेज
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मुंबई : आर्थिक राजधानी मुंबई को अपनी पहली जीनोम अनुक्रमण प्रयोगशाला मिल गई है. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने डिजिटल माध्यम से प्रयोगशाला का उद्घाटन किया.

नगर निगम द्वारा संचालित नायर अस्पताल में मुंबई की पहली जीनोम अनुक्रमण प्रयोगशाला शहर को कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में एक अतिरिक्त लाभ प्रदान करेगी क्योंकि नई सुविधा कम समय में बड़ी संख्या में नमूनों का विश्लेषण कर सकती है और उत्परिवर्ती (म्यूटेंट) की पहचान भी कर सकती है. यह हॉटस्पॉट क्षेत्रों में विशेष रूप से उपयोगी साबित होगी. अस्पताल ने बुधवार को यह बात कही.

वहीं, बच्चों में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) के लिए स्पिनरजा थेरेपी भी टीएन मेडिकल कॉलेज ऐंड बीवाईएल नायर चैरिटेबल अस्पताल में शुरू की गई है.

ठाकरे ने डिजिटल माध्यम से आयोजित उद्घाटन कार्यक्रम में कहा कि 100 साल पहले स्पेनिश फ्लू महामारी के दौरान स्थापित किया गया नायर अस्पताल एक दूसरी सदी के लिए जनता के स्वास्थ्य के देखभाल की तैयारी कर रहा है.

उन्होंने राज्य सरकार या मुंबई नगर निगम की मदद के बिना नयी सुविधाओं की स्थापना के लिए अस्पताल की सराहना की.

मुख्यमंत्री ने कहा, 'अस्पताल 100 साल पहले समाजसेवियों के सहयोग से स्थापित किया गया था और आज भी दानदाता आगे आए हैं. यह परंपरा है.' चार सितंबर, 1921 को स्थापित नायर अस्पताल सुपर-स्पेशियलिटी पाठ्यक्रमों सहित विभिन्न चिकित्सा व संबद्ध शाखाओं में व्यापक प्रशिक्षण प्रदान करता है.

अस्पताल की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, 'इस संस्थान ने समाज को ऐसे चिकित्सा दिग्गज प्रदान किए हैं, जिन्होंने दशकों से निस्वार्थ स्वास्थ्य सेवाएं दी हैं और हम इस गौरवशाली संस्कृति व परंपरा को अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए जारी रखने को लेकर तत्पर हैं.'

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अगली पीढ़ी के जीनोम अनुक्रमण (एनजीएस) रोगजनकों के लक्षणों के वर्णन की एक विधि है. इस तकनीक का उपयोग आरएनए या डीएनए के पूरे जीनोम या लक्षित क्षेत्रों में न्यूक्लियोटाइड के क्रम को निर्धारित करने के लिए किया जाता है, जो वायरस के दो उपभेदों के बीच अंतर को समझने में मदद करता है, जिससे म्यूटेंट की पहचान होती है.

(पीटीआई- भाषा)

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