नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी को प्रभावी बनाने, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और किसानों से संबंधित अन्य मुद्दों पर विमर्श करने के लिये गठित कमिटी की पहली बैठक आज दिल्ली के पूसा में शुरू हो गई है. इसमें भाग लेने के लिये किसान प्रतिनिधियों, पदाधिकारियों समेत सभी सदस्य पूसा के एनएएससी काम्प्लेक्स पहुंच चुके हैं. चूँकि यह कमिटी की पहली बैठक है इसलिये मुख्य रूप से सदस्यों का परिचय और कमिटी के एजेंडा पर ही चर्चा होने की बात कही जा रही है.
बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा के कोई भी किसान प्रतिनिधि इस कमिटी में भाग नहीं ले रहे हैं जबकि सरकार की तरफ से तीन सदस्यों की जगह उनके लिये आरक्षित रखी गई थी. संयुक्त किसान मोर्चा के दोनों ही गुटों ने कमिटी के बहिष्कार की घोषणा की थी और आज संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) दिल्ली के जंतर मंतर पर किसान महापंचायत का आयोजन भी कर रहा है.
कमिटी की बैठक शुरू होने से पहले भारतीय किसान संघ के नेता और कमिटी में सदस्य प्रमोद कुमार चौधरी ने ईटीवी से बातचीत में बताया कि एमएसपी तो कमिटी का मुख्य मुद्दा है लेकिन, इसके अलावा प्राकृतिक खेती, जैविक खेती और अन्य मुद्दे भी कमिटी के एजेंडा में हैं. आज पहली बैठक में जाने के बाद पता लगेगा कि किन-किन विषयों पर चर्चा होगी और किस तरीके से इस पर आगे बढ़ा जाएगा.
किसान मोर्चा द्वारा कमिटी के विरोध पर प्रमोद कुमार ने कहा कि किसी प्रदेश के आधार पर यह तय नहीं किया गया है लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा से तीन नाम मांगे गए थे और उन्होंने मना कर दिया. किसानों की बहुत सारी समस्याएं हैं और उन्हें ले कर उनका विरोध अपनी जगह है. कृषि विपणन, लागत मूल्य निकालने का तरीका, भी महत्वपूर्ण विषय हैं.
सकारात्मक पक्ष बताते हुए प्रमोद कुमार ने कहा है कि इतने वर्षों के बाद भी ग्रामीण क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर की समस्या है जिस पर सरकार ध्यान दे रही है. पहली बार गांवों को सड़कों से जोड़ा गया है और संचार की सुविधाओं से चीजें बेहतर भी हुई है. कमिटी के अन्य सदस्य भारत भूषण जैन ने कहा कि आज पहली बैठक में कमिटी के विषयों पर चर्चा होगी.
किसानों द्वारा विरोध पर उन्होंने कहा कि जब तक किसी चीज की सही समीक्षा नहीं होती है और उसे सही तरीके से योजना के रूप में नहीं लाते हैं तब तक विरोध कहीं न कहीं रहते हैं. कमिटी बनाने का मतलब यही है कि इस पर गहरा संवाद हो और किन किन पहलुओं से किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सकती है उन सभी मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिये. यह विरोध का विषय नहीं है, ये हल खोजने का विषय है.
एक अन्य सदस्य ने कहा कि कुछ किसान इसका विरोध कर रहे हैं और ये उनका अधिकार है. लेकिन कमिटी में हम क्या रखेंगे और सरकार क्या निर्णय लेगी उसके ऊपर विरोध जायज है लेकिन अभी से विरोध करना ठीक नहीं है. यदि किसानों के हित में कुछ निकलता है तो विरोध नहीं करना चाहिये. पूरे देश से पांच किसान नेताओं को चुना गया है जिसमें तीन सीट संयुक्त किसान मोर्चा के लिये रखी गई है. उन्हें अपनी जगह आना चाहिये.