देश में चार करोड़ से ज्यादा मामले लंबित, SC में 72 हजार केस

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Published : Jul 21, 2022, 7:49 PM IST

more than 4 crore cases pending in the country

देश में 15 जुलाई 2022 तक के आंकड़ों के अनुसार 4,19,79,353 मामले विभिन्न अदालतों में लंबित हैं (more than 4 crore court cases pending in country). सिर्फ 72 हजार केस सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग हैं. ये जानकारी राज्यसभा (Rajya Sabha) में एक सवाल के जवाब में दी गई.

नई दिल्ली : सरकार ने गुरुवार को संसद को सूचित किया कि उच्चतम न्यायालय में 72,062 और विभिन्न उच्च न्यायालयों में 59,45,709 मामले लंबित हैं. विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रीजीजू ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी. उन्होंने उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट और राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड (एनजेडीजी) के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि एक जुलाई 2022 की स्थिति के अनुसार उच्चतम न्यायालय में 72,062 मामले लंबित हैं.

रीजीजू ने बताया कि 15 जुलाई 2022 की स्थिति के अनुसार विभिन्न उच्च न्यायालयों में 59,45,709 मामले लंबित हैं. उन्होंने कहा कि देश की विभिन्न जिला एवं अधीनस्थ अदालतों में 15 जुलाई 2022 तक के आंकड़ों के अनुसार 4,19,79,353 मामले लंबित हैं.

उन्होंने कहा कि न्यायालयों में लंबित मामलों का निपटान न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में आता है और संबंधित न्यायालयों द्वारा विभिन्न प्रकार के मामलों के निपटान के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है. मंत्री ने कहा कि अदालतों में मामलों के निपटारे में सरकार की कोई भूमिका नहीं होती है और मामलों का समय पर निपटान कई कारकों पर निर्भर करता है.

गौरतलब है कि हाल ही में अखिल भारतीय कानूनी सेवा प्राधिकरण बैठक में भाग लेते हुए CJI एनवी रमना ने कहा था कि न्यायाधीश और अधिकारी अतिरिक्त घंटे काम करते हैं. उन्होंने कहा था कि सरकार को रिक्त पदों को भरने और लंबित मामलों से निपटने के लिए बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने पर कार्रवाई करने की जरूरत है. वर्तमान में जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायिक अधिकारियों की 5000 से अधिक रिक्तियां हैं. हाई कोर्ट में 381 और सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के 2 पद खाली हैं.

'सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाई जाए' : भारत के महान्यायवादी केके वेणुगोपाल ने भी सुझाव दिया है कि न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाई जाए ताकि मामलों से निपटने में उनकी विशेषज्ञता का बेहतर उपयोग किया जा सके. पूर्व एससी न्यायाधीश, न्यायमूर्ति एलएन राव ने इस साल की शुरुआत में अपने सेवानिवृत्ति भाषण में कहा था कि जब तक कोई न्यायाधीश शीर्ष अदालत के कामकाज को समझता है तब तक सेवानिवृत्त होने का समय आ जाता है. उन्होंने सुझाव दिया था कि शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के लिए न्यूनतम 7-8 साल का कार्यकाल तय किया जाना चाहिए ताकि वे बेहतर सेवा कर सकें.

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