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मोहन भागवत बोले, अग्निहोत्र की सुरक्षा के लिए हिंदू समाज को खड़ा करना हमारा काम है

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Published : Aug 6, 2023, 10:50 PM IST

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वाराणसी में आयोजित चतुर्मास्य महोत्सव में संघ प्रमुख मोहन भागवत पहुंचे. यहां उन्होंने अग्निहोत्रियों का सम्मान किया. इसी के साथ संघ प्रमुख ने उनकी सुरक्षा की भी बात कही.

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में कांची काम कोठी के तत्वावधान में जिले के चेत सिंह किला में चतुर्मास्य महोत्सव का आयोजन किया गया. यह 5 जुलाई से शुरू होकर 23 सितंबर तक चलेगा. शंकराचार्य शंकरविजेद्र सरस्वती के मार्गदर्शन में कार्यक्रम किया जा रहा है. रविवार को राष्ट्रीय स्वयं संघ के प्रमुख मोहन भागवत इस धार्मिक कार्यक्रम में पहुंचे. जहां पर वेद पाठी ब्राह्मणों ने वैदिक मन्त्रों से मोहन भागवत का स्वागत किया. उसके बाद संघ प्रमुख विभिन्न धार्मिक आयोजन में शामिल हुए. उन्होंने बनाए गए वेद शालाओं का दर्शन किया और कुछ देर तक धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा लिए.

यह बोले मोहन भागवत.
धार्मिक आयोजन में देशभर के अग्निहोत्र पहुंचे थे. इन लोगों का काम आदिकाल से चारों वेदों का अध्ययन धर्म में किस तरह पूजन पाठ किया जाता है. भगवान से किस प्रकार एक अध्यात्मिक संबंध स्थापित किया जाता है. यह लोग कालांतर से करते आए हैं. यह एक प्रकार की ब्राम्हण पद्धति है, कर्मकांड की पद्धति है. जो चेन्नई तमिलनाडु से चलकर आज पूरे देश में धर्म का प्रचार कर रही है.

मोहन भागवत ने वहां पहुंचे सैकड़ों की संख्या में अग्निहोत्र विद्वानों को सम्मानित करते हुए अंगवस्त्रम दिया. जिसके बाद एक दर्जन से ज्यादा धार्मिक पुस्तकों का विमोचन किया. यह धार्मिक पुस्तके विभिन्न भाषाओं और अंग्रेजी, संस्कृत में लिखी गई थी. जिसमें वेद और विज्ञान के संबंधों में जानकारी दी गई है.


वहीं, शंकराचार्य शंकरविजयेंद्र सरस्वती ने मंच से कहा, काशी में आज हमारे बीच मोहन भागवत पधारे. कुछ देर में अग्निहोत्री का सम्मान किया जाएगा. अग्निहोत्रियों की संख्या पूरे देश में काफी कम हो गई है. यहां पर जितने भी अग्निहोत्री आए हैं, उनका सम्मान किया जाएगा.मंच से मोहन भागवत ने कहा, मैं वेद का ज्ञानी नहीं हूं बस आज्ञा का पालन कर रहा हूं. क्योंकि वेद विद्या के अधिकारी को आप सब हैं. समाज और विश्व का कल्याण करने वाले लोगों को क्या लगता है, यह मैं आपके सामने बताता हूं.

आज विज्ञान अनुसंधान की एक पद्धति है लेकिन उसके मूल में कि जो भौतिक अनुभवों से जाना जा सकता है. उसी को सत्य मानकर उसी के पीछे हो जाना है, वैज्ञानिकों का कार्य क्षेत्र है प्रयोग करना निरीक्षण करना वह निरीक्षण सर्वत्र एक जैसा मिलेगा. यह विदेशियों का कार्य रहा, लेकिन भारत वर्षों की वेद में श्रद्धा पहले भी थी आज भी है और हमेशा रहेगी. वह क्यों रहेगी यह नहीं बता सकते, लेकिन उनकी श्रद्धा रहेगी.

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आगे कहा कि मैं भी कामना करता हूं कि आपकी संख्या व गुण बढ़ते जाए. ज्ञान, कर्म व भक्ति तीनों की त्रिवेणी का जतन करने वाले आप लोग हो और आप ऐसे ही रहे. आपको बाकी किसी की भी चिंता न करनी पड़े. इसलिए जितना भी सार्म्थय है उतना आपके साथ है. आपको केवल स्थान के साथ संबंध रखना होगा.

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