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शुरू से ही जन अधिकारों को खत्म करने की कोशिश करती आ रही मोदी सरकार : राहुल गांधी

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Published : Jan 22, 2022, 6:17 PM IST

राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि नरेंद्र मोदी सरकार शुरू से ही जन अधिकारों को खत्म (modi govt trying to destroy peoples rights) करने की कोशिश करती आ रही है. उन्होंने कहा कि भोजन का अधिकार- ताकि किसी को भूख का सामना ना करना पड़े, शिक्षा का अधिकार-आज बच्चा-बच्चा स्कूल जाता है,और अपने और अपने देश के लिए एक बेहतर कल बनाता है. रोज़गार का अधिकार- भाजपा के कट्टर विरोध के बावजूद संप्रग ने जनता को रोज़गार की सुरक्षा दी, जिससे कोविड के मुश्किल समय में भी देशवासियों को सहारा मिला.

modi government has been trying to destroy rights of the people from beginning
राहुल गांधी

नई दिल्ली : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने शनिवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार शुरू से ही जन अधिकारों को खत्म (modi govt trying to destroy peoples rights) करने की कोशिश करती आ रही है. राहुल गांधी ने यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक हालिया बयान की पृष्ठभूमि में की है, जिसमें उन्होंने कहा था कि आजादी के बाद के 75 वर्षों में हमारे समाज में, हमारे राष्ट्र में, एक बुराई सबके भीतर घर कर गई है. ये बुराई है अपने कर्तव्यों से विमुख होना, अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि ना रखना. हमने सिर्फ अधिकारों की बात की, अधिकारों के लिए झगड़ते, जूझते, समय खपाते रहे.

इसी की पृष्ठभूमि में राहुल गांधी ने शनिवार को ट्वीट किया, 'जन अधिकारों के बिना दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का क्या मतलब? मोदी सरकार शुरू से जन अधिकारों को ख़त्म करने की कोशिश करती आ रही है. मौलिक अधिकारों समेत क्या इन अधिकारों के बिना आप भारत की कल्पना तक कर सकते हैं. कांग्रेस नेता ने कहा-भोजन का अधिकार- ताकि किसी को भूख का सामना ना करना पड़े, शिक्षा का अधिकार- आज बच्चा-बच्चा स्कूल जाता है,और अपने और अपने देश के लिए एक बेहतर कल बनाता है. रोज़गार का अधिकार- भाजपा के कट्टर विरोध के बावजूद संप्रग ने जनता को रोज़गार की सुरक्षा दी, जिससे कोविड के मुश्किल समय में भी देशवासियों को सहारा मिला.'

राहुल गांधी ने कहा, 'सूचना का अधिकार- लोकतंत्र का दूसरा नाम पारदर्शिता है और जनता को सवाल करने और जवाब पाने का अधिकार है. इसे भी भी संप्रग ने दिया. उन्होंने सवाल किया, 'इनमें से किस अधिकार से प्रधानमंत्री को आपत्ति है, और क्यों?'

पीएम मोदी ने गत 20 जनवरी को राजस्थान के माउंट आबू स्थित ब्रह्मकुमारी संस्थान द्वारा आयोजित 'आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर' कार्यक्रम को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए कहा था कि हमें ये मानना होगा कि आजादी के बाद के 75 वर्षों में, हमारे समाज में, हमारे राष्ट्र में, एक बुराई सबके भीतर घर कर गई है. ये बुराई है, अपने कर्तव्यों से विमुख होना, अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि ना रखना...बीते 75 वर्षों में हमने सिर्फ अधिकारों की बात की, अधिकारों के लिए झगड़ते, जूझते, समय खपाते रहे.

उन्होंने यह भी कहा था, 'अधिकार की बात, कुछ हद तक, कुछ समय के लिए, किसी एक परिस्थिति में सही हो सकती है, लेकिन अपने कर्तव्यों को पूरी तरह भूल जाना, इस बात ने भारत को कमजोर रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है.' प्रधानमंत्री ने सभी का आह्वान किया था, 'हम सभी को, देश के हर नागरिक के हृदय में एक दीया जलाना है- कर्तव्य का दीया. हम सभी मिलकर, देश को कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ाएंगे, तो समाज में व्याप्त बुराइयां भी दूर होंगी और देश नई ऊंचाई पर भी पहुंचेगा.'

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