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नेताजी सुभाष के बॉडीगार्ड के गांव में पहली बार बजी मोबाइल की घंटी

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Published : Apr 8, 2022, 1:13 PM IST

चमोली जिले के देवाल विकासखंड का पिनाऊं गांव पहली बार संचार सेवा से जुड़ने पर ग्रामीणों में खुशी व्याप्त है. अभी तक संचार से वंचित गांव में पहली बार फोन की घंटी बजी. पिनाऊं गांव नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अंगरक्षक रहे और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे देव सिंह दानू का पैतृक गांव है.

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चमोली: डिजिटल इंडिया का सपना सीमांत जनपद चमोली में भी साकार होता नजर आ रहा है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अंगरक्षक रहे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देव सिंह दानू का गांव संचार सेवा से जुड़ चुका है. अभी तक संचार से वंचित गांव में पहली बार फोन की घंटी बजी. देश में भले ही संचार क्रांति आए दशकों बीत चुके हैं, लेकिन चमोली जिले के देवाल विकास खंड के पिनाऊं गांव में पहली बार संचार सेवा शुरू होने से ग्रामीणों में खुशी व्याप्त है.

सड़क सुविधा से महरूम: गौर हो कि 80 के दशक में बदरी-केदार विधानसभा क्षेत्र से जनसंघ के विधायक रहे शेर सिंह दानू के गांव पिनाऊं के ग्रामीणों की लम्बी मांग के बाद अब गांव अब संचार सुविधा से जुड़ गया है. लेकिन सड़क सुविधा से यह गांव आज भी महरूम हैं. रिलायंस जीओ नेटवर्क ने यहां सुविधा देनी शुरू कर दी है. गांव को मोबाईल नेटवर्क से जोड़ने पर ग्रामीणों ने देवाल ब्लॉक प्रमुख दर्शन दानू का धन्यवाद किया है.

नेताजी के बॉडीगार्ड के गांव में पहली बार बजी मोबाइल की घंटी (वीडियो)

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ग्रामीणों ने नहीं किया पलायन: देवाल ब्लॉक मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर घेस घाटी में स्थित है पिनाऊं गांव. आज भी 20 परिवारों के 80 लोग इस गांव में मूलभूत सुख-सुविधाओं के अभाव में निवास कर रहे हैं. उनको उम्मीद हैं कि एक न एक दिन जरूर उनका यह गांव सुख-सुविधाओं से जुड़ेगा. स्थानीय लोगों का कहना है कि विकास की आस में उन्होंने अन्य लोगों की तरह पलायन नहीं किया, क्योंकि उन्हें पूरी उम्मीद थी कि एक न एक दिन जरूर यह गांव मूलभूत सुविधाओं से जुड़ेगा.

ग्रामीणों में रोड की कसक: पिनाऊं गांव के लोग आज भी बलाण गांव के पास से 6 किलोमीटर की पैदल दूरी तय कर अपने गांव पहुंचते हैं. ब्लॉक प्रमुख दर्शन दानू कहते हैं कि बलाण और पिनाऊं गांव को जल्द सड़क मार्ग से जोड़ा जाएगा. जिसको लेकर लोक निर्माण विभाग के मंत्री सतपाल महाराज से वार्ता हो चुकी हैं. उन्होंने जल्द इस क्षेत्र को सड़क मार्ग से जोड़े जाने को लेकर आश्वस्त किया है.

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नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के सबसे भरोसेमंद: जनरल मोहन सिंह के सेनापतित्व में गठित आजाद हिंद फौज की गढ़वाली अफसरों और सैनिकों की दो बटालियनें बनाई गईं थीं. आजाद हिंद फौज में गढ़वाल रायफल्स के गढ़वाली सैनिकों का नेतृत्व करने के लिए तीन जांबाज कमांडरों ने कर्नल चन्द्र सिंह नेगी, कर्नल बुद्धि सिंह रावत और कर्नल पितृशरण रतूड़ी को जिम्मेदारी सौंपी थी, जो उत्तराखंड के ही थे. देव सिंह दानू को नेताजी सुभाष चंद्र बोस का बॉडीगार्ड बनाया गया था.

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस उत्तराखंड के सैनिकों पर बहुत भरोसा करते थे. इसलिए नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने मेजर बुद्धि सिंह रावत को अपने व्यक्तिगत स्टाफ का एडजुटेंट और रतूड़ी को गढ़वाली यूनिट का कमाडेंट बना दिया था. इसी तरह मेजर देव सिंह दानू पर्सनल गार्ड बटालियन के कमांडर के तौर पर तैनात थे. तीन जांबाज कमांडरों के साथ ही आजाद हिंद फौज में लेफ्टिनेंट ज्ञानसिंह बिष्ट, कैप्टन महेन्द्र सिंह बागड़ी, मेजर पद्मसिंह गुसाईं और मेजर देव सिंह दानू की भी बड़ी भूमिका रही थी.

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