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लखीमपुर प्रकरण पर 'टेनी' के तीखे तेवर, कहा- आरोप साबित तो छोड़ दूंगा राजनीति

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Published : Mar 28, 2022, 7:46 PM IST

minster of home for state ajay mishra
संसद में गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा

संसद में गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा 'टेनी' ने लखीमपुर प्रकरण पर तीखे तेवर दिखाए हैं. उन्होंने कहा कि अगर विपक्षी दलों ने आरोप साबित कर दिए तो वे राजनीति छोड़ देंगे. उन्होंने कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी के टोकने पर यह टिप्पणी की.

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों की मौत के मामले में गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी विपक्ष के निशाने पर हैं. इस मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के बेटे आशीष मिश्रा आरोपी हैं. कई सांसदों ने अजय मिश्रा के इस्तीफे और पीएम मोदी से उन्हें बर्खास्त करने की मांग भी की, लेकिन उन्होंने पद नहीं छोड़ा. अब एक बार फिर लखीमपुर प्रकरण से अजय मिश्रा को जोड़ा गया. इस पर मिश्रा ने कहा कि विपक्ष के आरोप सही साबित होने पर वे राजनीति छोड़ देंगे.

दरअसल, संसद के बजट सत्र को नौवें दिन (दूसरे चरण में) लोक सभा में अपराधियों पर नकेल कसने की कवायद के मद्देनजर एक विधेयक पेश किया गया. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने विधेयक पेश किया. इसी बीच लोक सभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने जब लखीमपुर खीरी मामले को लेकर मिश्रा पर कुछ टिप्पणी की तो मिश्रा ने कहा, 'मैंने 2019 में नामांकन पत्र भरा था. अगर मैं एक भी मिनट के लिए जेल गया हूं, मेरे खिलाफ एक भी मामला हो तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा.'

लखीमपुर प्रकरण पर 'टेनी' के तीखे तेवर, कहा- छोड़ दूंगा राजनीति

बता दें कि लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा को गत शनिवार की रात गिरफ्तार किया था. आशीष पर आरोप है कि उप्र के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के कार्यक्रम का विरोध कर रहे किसानों को कुचलने वाले वाहनों में से एक में वह सवार था. इस हादसे में चार किसानों की मौत हो गयी थी.

गौरतलब है कि भाजपा सांसद वरुण गांधी ने भी लखीमपुर मामले में संलिप्त तमाम संदिग्धों को तत्काल चिह्नित कर आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत हत्या का मुकदमा कायम कर सख्त से सख्त कार्यवाही की मांग की थी. गांधी ने कहा था, इस घटना से एक दिन पहले ही देश ने अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी जी की जयंती मनाई थी. अगले ही दिन लखीमपुर खीरी में हमारे अन्नदाताओं की जिस घटनाक्रम में हत्या की गई वह किसी भी सभ्य समाज में अक्षम्य है.

इससे पहले गत 4 अक्टूबर को भी सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर प्रकरण को लेकर परोक्ष टिप्पणी की थी. दरअसल, किसान महापंचायत ने शीर्ष अदालत से मांग की थी कि उन्हें दिल्ली के जंतर-मंतर पर सत्याग्रह करने की परमिशन दी जाए. इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं होती हैं, तो कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता है. प्रदर्शनकारी दावा करते हैं कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण है, लेकिन जब वहां हिंसा होती है तो कोई जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं होता है.

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गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया क्षेत्र में रविवार को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पैतृक गांव के दौरे के विरोध को लेकर भड़की हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में मिश्रा के बेटे आशीष समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.

लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया थाने में बहराइच जिले के नानपारा क्षेत्र बंजारन टांडा निवासी जगजीत सिंह की ओर से दर्ज कराई गई प्राथमिकी में आशीष पर 15-20 अज्ञात लोगों के साथ मिलकर किसानों के ऊपर जीप चढ़ाने और गोली चलाकर हत्या करने का आरोप लगाया गया है.

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तिकुनिया थाने में आशीष तथा 15-20 अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 147 (उपद्रव), 148 (घातक अस्त्र का प्रयोग), 149 (भीड़ हिंसा), 279 (सार्वजनिक स्थल पर वाहन से मानव जीवन के लिए संकट पैदा करना), 338 (दूसरों के जीवन के लिए संकट पैदा करना), 304 ए (किसी की असावधानी से किसी की मौत होना), 302 (हत्या) और 120 बी (साजिश रचने) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

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