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जोशीमठ संकट को लेकर सेना-एनडीआरएफ तैयार, पल-पल की खबर ली जा रही: रक्षा राज्यमंत्री

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Published : Jan 9, 2023, 9:54 PM IST

बाबा केदारनाथ की शीतकालीन गद्दी जोशीमठ में आ रही दरारों ने वहां के लोगों को भयभीत कर दिया है (Joshimath sinking case). लगभग 600 परिवारों को विस्थापित किया जा रहा है. प्रधानमंत्री खुद इस घटना पर नजर रख रहे हैं. इस संबंध में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट जो खुद भी उत्तराखंड से आते हैं उनसे बात की ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना ने. जानिए अजय भट्ट ने क्या कहा.

Minister of State for Defence Ajay Bhatt
रक्षा राज्यमंत्री

रक्षा राज्यमंत्री से खास बातचीत

नई दिल्ली : आपदा की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है. यहां कभी भूकंप से तबाही मचती है, तो कभी जलप्रलय से, इस बार भगवान बदरीनाथ धाम के प्रवेशद्वार जोशीमठ से आपदा की आहट आ रही है. जोशीमठ में आई इतनी दरारें और ये हालात क्या सरकारों की लापरवाही की वजह से हैं? इस सवाल पर रक्षा राज्य मंत्री जय भट्ट (Minister of State for Defence Ajay Bhatt ) ने कहा कि ये आपदा हैं और आपदा बताकर नही आतीं (Joshimath sinking case).

उन्होंने कहा कि हमने देखा है की उत्तराखंड, हिमाचल, देवभूमि या फिर पहाड़ी इलाके चाहे वो नॉर्थ ईस्ट हों, वहां ऐसी आपदाएं आती रहती हैं, यही हालात कमोबेश तटीय इलाकों में भी देखने को मिलते हैं जहां अचानक से तूफान या साइक्लोन आता है. भट्ट ने कहा की जोशीमठ की घटना भी बेहद दुखदाई है लेकिन हम इसे लेकर किसी पर दोष नही मढ़ सकते, जहां तक बात परिवारों की है तो हम कुछ दिन एक मकान में किराए पर भी रह जाते हैं तो उससे लगाव हो जाता है. ऐसे में उन परिवारों को जिन्हें अपना घर छोड़ना पड़ रहा उनके लिए दुखदाई तो है ही लेकिन खुद प्रधानमंत्री इस बात का ध्यान रख रहे हैं कि किसी भी परिवार को कोई मुश्किल ना हो, खाने-पीने और रहने की दिक्कत ना आए.

उन्होंने कहा की जहां तक दोषारोपण की बात है उसके लिए ये समय उचित नहीं है. इस सवाल पर कि अलकनंदा में सालों पहले लगभग 70 के दशक में जब बाढ़ आई थी तब भी लोगों के घरों में दरारें आ गईं थी. क्या पूर्व की सरकारों को कोई बड़ा कदम नहीं उठाना चाहिए था ताकि इतने लोग विस्थापित ना होते?. रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा की इसे ऐसे नहीं देखा जाना चाहिए सभी सरकारें लोगों की रक्षा का काम पहले करती हैं लेकिन विकास कार्य भी साथ-साथ चलते रहते हैं. टनल बन रहे, कई पहाड़ों के बीच से टनल निकाली जाती हैं, कुल मिलाकर परिस्थियों को देखते हुए ही कदम उठाना पड़ता है.

अजय भट्ट का कहना है कि 'मैं विपक्ष से भी अपील करता हूं की वो मिलकर समस्या का हल निकालें, लोगों का मनोबल बढ़ाएं, पैनिक ना करें, अब ये समस्या आई है तो इसका समाधान तो निकालना ही है, जहां तक बात विपक्ष के सवालों की है तो फिर ये बात भी निकलेगी कि केदारनाथ में क्या हुआ था. उस समय किसकी सरकार थी, इसलिए ये समय दोषारोपण का नही है.

रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि सेना को भी स्टैंडबाई में रखा गया है और एनडीआरएफ भी घटना पर नजर रख रही है. जरूरत पड़ने पर सबसे मदद ली जाएगी. उन्होंने कहा कि इस समय जान की सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री खुद निगरानी कर रहे हैं. मुख्य सचिव खुद वहां पहुंचे हैं और भूगर्भशास्त्री रात-दिन एक कर इस समय कारण और निवारण भी ढूंढ़ रहे हैं, जरूरत है मनोबल बनाए रखने की न कि राजनीति की.

अजय भट्ट का कहना है कि उत्तर काशी में भी बड़े-बड़े पहाड़ गिर रहे थे, हमने खुद देखा जिसे टनल बनाकर रोका गया. खुद अटल जी ने बड़ा पेकेज दिया था इसलिए मैं जोशीमठ के लोगों से भी यही कहना चाहता हूं की जहां तक निर्माण कार्यों की बात है वो पहले से ही रोक दिया गया है और इसे आपदा क्षेत्र घोषित किया जा चुका है. मगर इस समय सिर्फ लोगों को अपनी जान की चिंता करनी है घर मकान दुकान सबकुछ दोबारा मिल जाएगा मगर जिंदगी बचानी सबसे जरूरी है.

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