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मीडिया समूह पर छापा : एक हजार करोड़ रुपये से अधिक के 'बेहिसाबी लेनदेन' का पता लगा : सीबीडीटी

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Published : Sep 10, 2021, 8:20 PM IST

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने दावा किया कि उसने अहमदाबाद आधारित एक मीडिया और रियल एस्टेट समूह पर छापेमारी कर 1000 करोड़ रुपये से अधिक के बिना हिसाब के लेनदेन का पता लगाया है. अधिकारियों ने समूह की पहचान संभाव ग्रुप के रूप में की है.

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नई दिल्ली : सीबीडीटी ने एक बयान में कहा कि आठ सितंबर को संभाव समूह के 20 परिसरों की तलाशी शुरू की गई, जो गुजरात के प्रमुख व्यापारिक घरानों में से एक है. इसने कहा कि छापेमारी जारी है.

अधिकारियों ने कहा कि संभाव समूह की मीडिया इकाई में इलेक्ट्रॉनिक्स, डिजिटल और प्रिंट मीडिया शामिल हैं, जबकि इसकी रियल एस्टेट शाखा में किफायती आवास परियोजनाएं और शहरी नागरिक बुनियादी ढांचा शामिल हैं.

सीबीडीटी ने बयान में दावा किया कि कुल मिलाकर, तलाशी और जब्ती अभियान के परिणामस्वरूप अब तक विभिन्न मूल्यांकन वर्षों में 1000 करोड़ रुपये से अधिक के बिना हिसाब के लेनदेन का पता चला है.

इसमें कहा गया है कि एक करोड़ रुपये नकद और 2.70 करोड़ रुपये के आभूषण भी जब्त किए गए हैं, जबकि 14 लॉकरों को नियंत्रण में रखा गया है. संभाव समूह की मीडिया इकाई में गुजराती समाचार चैनल वीटीवी न्यूज, अभियान पत्रिका, सांध्य अखबार संभाव मेट्रो और रेडियो स्टेशन टॉप एफएम शामिल हैं.

इसके चैनल प्रमुख हेमंत गोलानी ने बुधवार को कहा था कि वीटीवी न्यूज के परिसरों पर छापेमारी की जा रही है. सीबीडीटी ने कहा कि छापेमारी करने वाली टीमों ने विभिन्न दस्तावेज बरामद किए हैं और इनमें से अधिकतर साक्ष्य हस्तांतरणीय विकास अधिकार प्रमाणपत्रों की बिक्री पर 500 करोड़ रुपये से अधिक की बड़ी बिना हिसाब नकद की प्राप्तियों का संकेत देते हैं.

इसने कहा कि रियल एस्टेट परियोजनाओं और भूमि सौदों में 350 करोड़ रुपये से अधिक के लेनदेन के साक्ष्य भी मिले हैं. बयान में कहा गया है कि 150 करोड़ रुपये से अधिक के बेहिसाबी नकदी आधारित ऋण और ब्याज भुगतान/पुनर्भुगतान के साक्ष्य भी मिले हैं.

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सीबीडीटी ने दावा किया कि बिना हिसाब के नकदी खर्च, अग्रिम नकदी प्राप्ति और नकद ब्याज भुगतान के पर्याप्त सबूत भी मिले हैं. कर विभाग के लिए नीति तैयार करनेवाले सीबीडीटी ने कहा कि विगत वर्षों में बड़ी संख्या में अर्जित संपत्तियों के मूल दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं, जिन्हें विभिन्न छद्म व्यक्तियों और सहकारी आवास समितियों के नाम पर रखा गया था.

(पीटीआई-भाषा)

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