ETV Bharat / bharat

दारुल उलूम के सम्मेलन में मौलाना अरशद मदनी बोले, मदरसा चलाने के लिए नहीं चाहिए सरकारी मदद

author img

By

Published : Oct 30, 2022, 4:49 PM IST

सहारनपुर के दारुल उलूम देवबंद की मस्जिद में मदरसा संचालको का सम्मेलन आयोजित किया गया. इस दौरान जमीयत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने मदरसों के संचालन को लेकर बड़ा बयान दिया.

Etv bharat
दारुल उलूम के सम्मेलन में मौलाना अरशद मदनी बोले, मदरसा चलाने के लिए नहीं चाहिए सरकारी मदद

सहारनपुर: विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद में रविवार को मदरसा संचालकों का सम्मेलन आयोजित किया गया. राब्ता मदारिस के इस सम्मेलन में मदरसों को किसी भी बोर्ड से संबद्ध किए जाने का विरोध किया गया. इस दौरान जमीयत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि दुनिया का कोई भी बोर्ड मदरसों की स्थापना के मकसद को नहीं समझ सकता इसलिए किसी बोर्ड से जुड़ने का कोई मतलब नहीं बनता. उन्होंने ये साफ कर दिया कि मदरसों को किसी भी सरकारी मदद की जरूरत नहीं है.

बता दें कि पिछले दिनों उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में चल रहे मदरसों का सर्वे करने के निर्देश दिए थे. सर्वे के बाद दारुल उलूम देवबंद सहित गैर सरकारी मदरसों को गैर मान्यता प्राप्त बताए जाने के बाद दारुल उलूम देवबंद का यह बड़ा निर्णय सामने आया है. दारूल उलूम देवबंद की मस्जिद में आयोजित देश भर के साढ़े चार हजार मदरसा संचालकों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए जमीयत उलेमा हिंद के प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि दारुल उलूम देवबंद और उलेमा ने देश की आजादी में मुख्य भूमिका निभाई है और मदरसों के स्थापना का मकसद ही देश की आजादी थी.

मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि मदरसों के लोगों ने ही देश को अंग्रेजी हुकूमत से आजाद कराया था. आज भी मदरसा संचालक अपने देश से बेपनाह मोहब्बत करते हैं, लेकिन दुख की बात ये है कि आज मदरसों के ऊपर ही प्रश्नचिन्ह लग रहा है. मदरसा संचालको को आतंकवाद से जोड़ने के निंदनीय प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हर मजहब के लोग अपने मजहब के लिए काम करते हैं तो हम अपने मजहब की हिफाजत क्यों न करें, समाज के साथ-साथ देश को भी धार्मिक लोगों की जरूरत है.

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि 'मदरसों और जमीयत का राजनीति से रत्ती भर वास्ता नहीं है. हमने देश की आजादी के बाद से खुद को अलग कर लिया था. अगर हम उस समय देश की राजनीति में हिस्सा लेते तो आज सत्ता के बड़े हिस्सेदार होते'. उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि 'दीनी मदारिस का बोझ मुसलमान कौम उठा रही है और उठाती रहेगी इसलिए हमें मदरसा चलाने के लिए किसी भी प्रकार की सरकारी मदद की जरूरत नहीं है. मौलाना मदनी ने कहा कि बहुत से लोग देश के करोड़ों रुपये लेकर दूसरे देशों में भाग गए हैं, लेकिन हम अपने देश के साथ खड़े हैं. कौन किसे वोट देता है या नहीं देता, इससे हमारा कोई लेना देना नहीं है'.

पढ़ेंः मदरसों को लेकर देवबंद में उलेमा सम्मेलन, सर्वे में सहयोग के लिए की अपील

सहारनपुर: विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद में रविवार को मदरसा संचालकों का सम्मेलन आयोजित किया गया. राब्ता मदारिस के इस सम्मेलन में मदरसों को किसी भी बोर्ड से संबद्ध किए जाने का विरोध किया गया. इस दौरान जमीयत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि दुनिया का कोई भी बोर्ड मदरसों की स्थापना के मकसद को नहीं समझ सकता इसलिए किसी बोर्ड से जुड़ने का कोई मतलब नहीं बनता. उन्होंने ये साफ कर दिया कि मदरसों को किसी भी सरकारी मदद की जरूरत नहीं है.

बता दें कि पिछले दिनों उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में चल रहे मदरसों का सर्वे करने के निर्देश दिए थे. सर्वे के बाद दारुल उलूम देवबंद सहित गैर सरकारी मदरसों को गैर मान्यता प्राप्त बताए जाने के बाद दारुल उलूम देवबंद का यह बड़ा निर्णय सामने आया है. दारूल उलूम देवबंद की मस्जिद में आयोजित देश भर के साढ़े चार हजार मदरसा संचालकों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए जमीयत उलेमा हिंद के प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि दारुल उलूम देवबंद और उलेमा ने देश की आजादी में मुख्य भूमिका निभाई है और मदरसों के स्थापना का मकसद ही देश की आजादी थी.

मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि मदरसों के लोगों ने ही देश को अंग्रेजी हुकूमत से आजाद कराया था. आज भी मदरसा संचालक अपने देश से बेपनाह मोहब्बत करते हैं, लेकिन दुख की बात ये है कि आज मदरसों के ऊपर ही प्रश्नचिन्ह लग रहा है. मदरसा संचालको को आतंकवाद से जोड़ने के निंदनीय प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हर मजहब के लोग अपने मजहब के लिए काम करते हैं तो हम अपने मजहब की हिफाजत क्यों न करें, समाज के साथ-साथ देश को भी धार्मिक लोगों की जरूरत है.

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि 'मदरसों और जमीयत का राजनीति से रत्ती भर वास्ता नहीं है. हमने देश की आजादी के बाद से खुद को अलग कर लिया था. अगर हम उस समय देश की राजनीति में हिस्सा लेते तो आज सत्ता के बड़े हिस्सेदार होते'. उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि 'दीनी मदारिस का बोझ मुसलमान कौम उठा रही है और उठाती रहेगी इसलिए हमें मदरसा चलाने के लिए किसी भी प्रकार की सरकारी मदद की जरूरत नहीं है. मौलाना मदनी ने कहा कि बहुत से लोग देश के करोड़ों रुपये लेकर दूसरे देशों में भाग गए हैं, लेकिन हम अपने देश के साथ खड़े हैं. कौन किसे वोट देता है या नहीं देता, इससे हमारा कोई लेना देना नहीं है'.

पढ़ेंः मदरसों को लेकर देवबंद में उलेमा सम्मेलन, सर्वे में सहयोग के लिए की अपील

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.