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Manipur Violence : बेटे को लेकर मां जा रही थी हॉस्पिटल, प्रदर्शनकारियों ने एंबुलेंस में लगा दी आग, दोनों की हुई मौत

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Published : Jun 7, 2023, 1:42 PM IST

Updated : Jun 7, 2023, 3:51 PM IST

मणिपुर में हिंसा का दौर थम नहीं रहा है. हिंसा के बीच एक भीड़ ने एक एंबुलेंस में आग लगा दी. इस एंबुलेंस में मां, बेटे और एक रिश्तेदार की मौत हो गई. मां अपने आठ साल के बच्चे को इलाज के लिए लेकर जा रही थी.

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मणिपुर हिंसा

इंफाल : मणिपुर में कुकी और मैती समुदायों के बीच हिंसा और तनाव का दौर जारी है. हिंसक प्रदर्शनकारियों ने ऐसी घटना को अंजाम दिया, जिसे जानकर हर किसी का कलेजा बैठ जाएगा. प्रदर्शनकारियों ने एक एंबुलेंस में आग लगा दी. उस एंबुलेंस में एक मां अपने आठ साल के बच्चे का इलाज कराने के लिए अस्पताल जा रही थी. उसके रिश्तेदार भी एंबुलेंस में बैठे हुए थे. आग की वजह से तीनों की मौत हो गई.

घटना इरोइसेम्बा में हुई. जानकारी के मुताबिक गोलीबारी की एक घटना के दौरान बच्चे के सिर में गोली लग गई थी. जिनकी मौत हो गई, उनकी पहचान तोसिंग हैंगिंग, मीना हैंगिंग और लिदिया लोरेंबम के रूप में हुई है. तोसिंग आठ साल का था, मीना 45 साल की थी. लिदिया 37 साल की थी. यह परिवार मैती समुदाय का था. वे एक कैंप में रह रहे थे. घटना रविवार की है, लेकिन इसकी सूचना आज सामने आई है.

जिस क्षेत्र में यह घटना हुई, वह काकचिंग क्षेत्र है. यहां पर कुकी समुदाय के गांव हैं. यह कांगपोकपी जिले में आता है. इसके समीप मैती समुदाय का गांव फायेंग है. आपको बता दें कि मणिपुर में मुख्य विवाद कुकी और नगा तथा मैती समुदायों के बीच है. मैती समुदाय घाटी में रहते हैं. 53 प्रतिशत आबादी मैती समुदाय की है. नगा और कुकी समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत है. विरोध की तात्कालिक वजह हाईकोर्ट का एक ऑर्डर है. इस आदेश में कोर्ट ने मैती समुदाय को जनजातीय दर्जा देने का आदेश दिया था. इस आदेश के बाद नगा और कुकी समुदाय ने खुलकर इसका विरोध किया. कुकी और नगा नहीं चाहते हैं कि मैती को जनजातीय दर्जा दिया जाए. वे यह मानते हैं कि ऐसा करने से उनके संसाधन बंट जाएंगे और जो भी उन्हें सुविधा दी जा रही है, उसका बंटवारा हो जाएगा.

इस हिंसा पर रोक लगाने के लिए मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने कई कदम उठाए. खुद गृह मंत्री अमित शाह तीन दिनों तक मणिपुर में डटे रहे. वहां पर उन्होंने समाज के सभी हिस्सों से मुलाकात की. कुकी, नगा और मैती समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात की. सेना प्रमुख भी मणिपुर में गए थे. सुरक्षा बलों की संख्या भी बढ़ाई गई. इसके बावजूद हिंसक गतिविधियां जारी हैं. सैकड़ों लोग शिविर में रहने पर मजबूर हैं.

कहा ये भी जा रहा है कि क्योंकि बीरेन सरकार ने अफीम की खेती के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं, और कुकी समुदाय या फिर पहाड़ पर रहने वाले लोग इसकी खेती करते हैं, उनको नुकसान पहुंच रहा है. इसलिए भी विरोध हो रहा है. कुकी समुदाय को म्यामांर की सीमा पर सटी आबादी का भी साथ मिल रहा है. वे दोनों एक ही समुदाय के हैं.

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Last Updated :Jun 7, 2023, 3:51 PM IST
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