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महाशिवरात्रि 2022 : 'बम-बम भोले' से गूंज उठा देश, शिव मंदिरों में लगा भक्तों का तांता

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Published : Mar 1, 2022, 7:49 AM IST

Updated : Mar 1, 2022, 1:44 PM IST

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का विवाह माता पार्वती के साथ हुआ था. इस दिन भगवान शिव के करोड़ों भक्त उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. आज के दिन देश के सभी शिव मंदिरों में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ को जल और पुष्प चढ़ाकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

महाशिवरात्रि 2022
महाशिवरात्रि 2022

हैदराबाद/उज्जैन : आज महाशिवरात्रि का महापर्व देशभर में धूमधाम के साथ मनाई जा रही है. शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है. भगवान शिव की उपासना में इस दिन व्रत करने की मान्यता होती है. वर्ष भर में 12 शिवरात्रियां आती हैं . हालांकि, फाल्गुन माह की शिवरात्रि को सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण माना जाता है।.आज देश के अधिकांश शिव मंदिरों से बम-बम भोले की गूंज सुनाई दे रही है. आईए इस पावन मौके पर देश के अलग-अलग हिस्सों में चलते हैं और जानते हैं कि कैसे भोले के भक्त शिव भक्ति मे डूबे हुए हैं....

महाकाल मंदिर में शिव की पूजा

पूरे देश में महाशिवरात्रि का पर्व पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ धूम-धाम से मनाया जा रहा है. भगवान शिव के भक्तों के लिए महाशिवरात्रि का दिन किसी महापर्व से कम नहीं होता. महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में विशेष अभिषेक और श्रृंगार हुआ है. भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन शिव मय दिखाई दे रही है. महाशिवरात्रि पर्व पर महाकाल मंदिर में सबसे पहले अल सुबह 3 बजे मंदिर की पट खोले गए. इसके बाद सबसे पहले भस्म आरती की गयी, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए.

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दूध, दही, घी से बाबा का हुआ जलाअभिषेक
महाशिवरात्रि के दिन बाबा महाकाल के दर्शन और उनका मंत्र जाप करने से विशेष फल मिलता है. इसी परंपरा के तहत आज मंदिर में विशेष तैयारियों के साथ पूजा-पाठ और आरती हो रही है. महाकाल की भस्म आरती में सबसे पहले भगवान महाकाल को पण्डे पुजारियों ने जल चढ़ाया, इसके बाद पंचामृत अभिषेक पूजन में दूध, दही, घी, शक्कर, फलों के रस से अभिषेक किया गया. इस दौरान महाकाल का भांग से अद्भुत श्रृंगार किया गया. भगवान महाकाल को भस्म चढ़ायी गयी. महाशिवरात्रि पर्व पर विधि विधान के साथ धार्मिक परंपराओं का निर्वहन किया जा रहा है.

महाशिवरात्रि पर उज्जैन में आज बाबा महाकाल हुआ भांग से विशेष श्रृंगार, करिए बाबा के भव्य रूप के दर्शन

महाकाल को 'कालों का काल' कहा जाता है
बारह ज्योतर्लिंगों में से एक महाकाल मंदिर दक्षिण मुखी होने के साथ-साथ यहां की भस्म आरती की परम्परा ने मंदिर का पूरे विश्व में महत्व बढ़ा दिया है. इसके साथ ही यह भी मान्यता है की महाकाल को कालों का काल कहा जाता है. महाशिवरात्रि का पर्व उज्जैन में अलग महत्व रखता है. देशभर से श्रद्धालु आज उज्जैन पंहुच रहे हैं. देर रात 2 बजे से मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं की लाइन लगनी शुरू हो गयी थी. आज रात 3 बजे से खोले गए पट अब करीब 43 घंटे बाद 2 फरवरी की रात्रि को शयन आरती के बाद बंद होंगे. आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और कई नेताओं के आने की संभावना है.

देवघर

देवघर

महाशिवरात्रि पर बाबा बैद्यनाथधाम मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. भक्तों में काफी उत्साह नजर आ रहा है. श्रद्धालु अहले सुबह से ही मंदिर पहुंचकर अपने आराध्य भगवान शिव की पूजा अर्चना कर रहे हैं. शाम में शिव-पार्वती के विवाह का आयोजन है. कल से ही दूर-दराज के भक्त देवघर पहुंच चुके थें. भक्तों की भीड़ को देखते हुए जिले के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री (Deoghar DC Manjunath Bhajantri) खुद मंदिर से लेकर रूट लाइन की मॉनिटरिंग कर रहे हैं और व्यवस्था की कमान संभाले हुए हैं. सुगमता पूर्वक जलार्पण हो सके इसके लिए क्यू कॉम्प्लेक्स से लेकर संस्कार मंडप होते हुए भक्तों को मंदिर तक लाया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें: शिव आराधना का पर्व महाशिवरात्रि पर बन रहा पंचग्रही योग, जानें पूजा का मुहूर्त


क्या कहते हैं जिला के उपायुक्त: देवघर डीसी मंजूनाथ भजंत्री ने कहा कि भक्तों को आसानी से मंदिर तक पहुंचाया जा रहा है. कहीं से कोई परेशानी नहीं है. लोग आसानी से पूजा अर्चना कर सके इसकी पुख्ता व्यवस्था की गई थी और सब कुछ व्यवस्थित ढंग से चल रहा है.

चार साल बाद बन रहा महाशिवरात्रि पर पंचग्रही योग: भगवान शिव की आराधना का सबसे बड़ा दिन महाशिवरात्रि होता है. ना सिर्फ झारखंड में बल्कि देशभर में यह महपर्व धूमधाम से मनाई जा रही है. शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है. हर साल फाल्गुन माह में मनाए जाने वाला शिवरात्रि को सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण माना जाता है. हालांकि, महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) पर पंचग्रही योग से इस बार पर्व का महत्व बढ़ गया है. 4 साल बाद शुभ मुहूर्त और संयोग के साथ ही पंचग्रही योग भी बन रहा है. इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से उनका आशीर्वाद मिलेगा.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाबा गोरखनाथ मंदिर में पूजा अर्चना की

गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाबा गोरखनाथ मंदिर में पूजा अर्चना की

महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को बाबा गोरखनाथ मंदिर में रुद्राभिषेक और पूजा अर्चना की. इस दौरान उन्होंने जग के कल्याण और यूपी चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की बड़ी जीत की कामना भी की. योगी प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर स्थित शिवलिंग पर जहां रुद्राभिषेक और जलाभिषेक करते हैं वहीं भरोहियां स्थित पीतेश्वर महादेव का दर्शन पूजन भी उनके द्वारा किया जाता है. चुनावी व्यस्तता और छठे चरण के आज अंतिम दिन प्रचार पर इसके बाद योगी आदित्यनाथ निकलेंगे.

गोरखपुर में सहजनवा, चौरी-चौरा विधानसभा क्षेत्र में उनकी दो जनसभाएं लगी हैं. इसके अलावा सिद्धार्थनगर के डुमरियागंज, इटवा, संत कबीर नगर की हैसर समेत कई विधानसभाओं पर योगी आज तूफानी प्रचार करेंगे. जहां आज शाम गोरखपुर-बस्ती मंडल क्षेत्र में प्रचार अभियान थम जाएगा. इसलिए अपने चुनावी जनसभा पर निकलने से पहले योगी आदित्यनाथ ने देवाधिदेव महादेव का जलाभिषेक-रुद्राभिषेक किया.

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भोलेनाथ को करें प्रसन्न

क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि महाशिवरात्रि हिंदुओं का एक धार्मिक त्योहार है, जिसे हिंदू धर्म के प्रमुख देवता महादेव अर्थात शिव जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है. इस दिन शिवभक्त एवं शिव में श्रद्धा रखने वाले लोग व्रत-उपवास रखते हैं और विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना करते हैं. महाशिवरात्रि को लेकर भगवान शिव से जुड़ी कुछ मान्यताएं प्रचलित हैं. ऐसा माना जाता है कि इस विशेष दिन ही ब्रम्हा के रूद्र रूप में मध्यरात्रि को भगवान शंकर का अवतरण हुआ था.

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वहीं यह भी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने तांडव कर अपना तीसरा नेत्र खोला था और ब्रम्हांड को इस नेत्र की ज्वाला से समाप्त किया था. इसके अलावा कई स्थानों पर इस दिन को भगवान शिव के विवाह से भी जोड़ा जाता है और यह माना जाता है कि इसी पावन दिन भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था.

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वैसे तो प्रत्येक माह में एक शिवरात्रि होती है, परंतु फाल्गुन माह की कृष्ण चतुर्दशी को आने वाली इस शिवरात्रि का अत्यंत महत्व है, इसलिए इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है. वास्तव में महाशिवरात्रि भगवान भोलेनाथ की आराधना का ही पर्व है, जब धर्मप्रेमी लोग महादेव का विधि-विधान के साथ पूजन अर्चन करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इस दिन शिव मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो शिव के दर्शन-पूजन कर खुद को सौभाग्यशाली मानती है.

महाशिवरात्रि के दिन शिव जी का विभिन्न पवित्र वस्तुओं से पूजन एवं अभिषेक किया जाता है और बेलपत्र, धतूरा, अबीर, गुलाल, बेर, उम्बी आदि अर्पित किया जाता है. भगवान शिव को भांग बेहद प्रिय है अत: कई लोग उन्हें भांग भी चढ़ाते हैं. दिनभर उपवास रखकर पूजन करने के बाद शाम के समय फलाहार किया जाता है. शिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा करने का सबसे बड़ा दिन माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन भोले को खुश कर लिया तो आपके सारे काम सफल होते हैं और सुख समृद्धि आती है. भोले के भक्त शिवरात्रि के दिन कई तरह से भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं. शिव को खुश करने के लिए शिवालयों में भक्तों का तांता लगा होता है, जो बेल पत्र और जल चढ़ाकर शिव की महिमा गाते हैं.

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हर साल यह पर्व फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. इस साल महाशिवरात्रि पर्व 1 मार्च यानी आज है. इस बार महाशिवरात्रि पर दो शुभ संयोग बनने के साथ पंचग्रही योग भी बन रहा है. ऐसे में शुभ संयोग में महाशिवरात्रि पर शिव आराधना करने पर सभी भक्तों की मनोकामनाएं अवश्य ही पूरी होंगी. दरअसल महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन की रात का पर्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि की रात आध्यात्मिक शक्तियां जागृत होती हैं.

शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन ज्योतिष उपाय करने से आपकी सभी परेशानियां खत्म हो सकती हैं. महाशिवरात्रि के दिन शुभ काल के दौरान ही महादेव और पार्वती की पूजा की जानी चाहिए तभी इसका फल मिलता है. इस दिन का प्रत्येक घड़ी-पहर परम शुभ रहता है. कुवांरी कन्याओं को इस दिन व्रत करने से मनोनुकूल पति की प्राप्ति होती है और विवाहित स्त्रियों का वैधव्य दोष भी नष्ट हो जाता है. महाशिवरात्रि में शिवलिंग की पूजा करने से जन्मकुंडली के नवग्रह दोष तो शांत होते हैं, विशेष करके चंद्रजनित दोष जैसे मानसिक अशान्ति, मां के सुख और स्वास्थ्य में कमी, मित्रों से संबंध, मकान-वाहन के सुख में विलम्ब, हृदय रोग, नेत्र विकार, चर्म-कुष्ट रोग, नजला-जुकाम, स्वांस रोग, कफ-निमोनिया संबंधी रोगों से मुक्ति मिलती है और समाज में मान प्रतिष्ठा बढ़ती है. शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से व्यापार में उन्नति और सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ती है. भांग अर्पण से घर की अशांति, प्रेत बाधा तथा चिंता दूर होती है. मंदार पुष्प से नेत्र और ह्रदय विकार दूर रहते हैं. शिवलिंग पर धतूर के पुष्प-फल चढ़ाने से दवाओं के रिएक्शन तथा विषैले जीवों से खतरा समाप्त हो जाता है. शमीपत्र चढ़ाने से शनि की शाढ़ेसाती, मारकेश तथा अशुभ ग्रह-गोचर से हानि नहीं होती. इसलिए श्रीमहाशिवरात्रि के एक-एक क्षण का सदुपयोग करें और शिवकृपा प्रसाद से त्रिबिध तापों से मुक्ति पायें.

महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 3:16 बजे से शुरू होकर 2 मार्च को सुबह 10 बजे तक रहेगी. शिवरात्रि की रात को पूजा 4 पहर में की जाती है. पहले पहर की पूजा शाम 6:23 बजे से रात्रि 9:31 बजे के बीच की जाएगी. दूसरे पहर की पूजा रात 9:32 बजे से 12:39 बजे के बीच, तीसरे पहर की पूजा रात 12:40 बजे से सुबह 3:47 बजे के बीच और चौथे पहर की पूजा 3:48 बजे से 6:54 बजे के बीच की जाएगी. महाशिवरात्रि के दिन सुबह 11.47 बजे से दोपहर 12.34 बजे तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा. इसके बाद दोपहर 02.07 बजे से लेकर 02.53 बजे तक विजय मुहूर्त रहेगा. पूजा या कोई शुभ कार्य करने के लिए ये दोनों ही मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ हैं. शाम के वक्त 05.48 से 06.12 तक गोधूलि मुहूर्त रहने वाला है.

शुभ मुहूर्त-

अगर किसी को अपना सूर्य मजबूत करना है सरकारी कामों में सफलता प्राप्त करनी है तो तांबे के लोटे में जल मिश्रित गुण से शिवलिंग का अभिषेक करें. वैवाहिक जीवन मधुर बनाने के लिए जोड़े से पति पत्नी शिवलिंग का अभिषेक करें. अगर आपकी कुंडली में मंगल पीड़ित है तो शिवलिंग का अभिषेक हल्दी मिश्रित जल से करें. अगर आपकी कुंडली में बुध की स्थिति खराब है तो शिव पार्वती की पूजा करें. पूजन के बाद 7 कन्याओं को भोजन कराएं एवं जल और तुलसी पत्र चढ़ाएं. कुंडली में शुक्र को मजबूत करने के लिए दूध-दही से अभिषेक करें. कुंडली में शनि ग्रह पीड़ित है तो सरसों के तेल से अभिषेक करें. राहु ग्रह को मजबूत करने के लिए जल में 7 दाना जौ मिलाकर अभिषेक करें. केतु को मजबूत करने के लिए जल में शहद मिलाएं. केतु ग्रह को मजबूत करने के लिए जल में शहद मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें. कुंडली में चंद्रमा को मजबूत करने के लिए कच्चे दूध से अभिषेक करें. गुरु ग्रह को मजबूत करने के लिए अपने माथे पर और नाभि पर केसर का तिलक लगाएं. केसर मिश्रित जल चढ़ाएं शिवलिंग में सबसे ज्यादा एनर्जी पाई जाती है. इसके साथ 108 बार ॐ नमः शिवाय मंत्र मंत्र का जाप करें. महाशिवरात्रि पर करें ये विषेश उपाय.

शिव पूजा का महत्व: भगवान शिव की पूजा करते समय बिल्वपत्र, शहद, दूध, दही, शक्कर और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति की सभी समस्याएं दूर होकर उसकी इच्छाएं पूरी होती हैं.

शिवरात्रि का पौराणिक महत्व: पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी पावन रात्रि को भगवान शिव ने संरक्षण और विनाश का सृजन किया था. मान्यता यह भी है कि इसी पावन दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का शुभ विवाह संपन्न हुआ था.

महाशिवरात्रि पूजा विधि: शिवपुराण के अनुसार व्रती को प्रातः काल उठकर स्नान संध्या कर्म से निवृत्त होकर मस्तक पर भस्म का तिलक और गले में रुद्राक्षमाला धारण कर शिवालय में जाकर शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन एवं शिव को नमस्कार करना चाहिए. तत्पश्चात उसे श्रद्धापूर्वक व्रत का इस प्रकार संकल्प करना चाहिए.

हल्दी का टीका: शिवरात्री पर भगत मंदिर में हल्दी के जरिए भगवान शिव को टीका लगाते हैं. वैसे भी लगभग हर धार्मिक कार्य में हल्दी का प्रयेाग किया जाता है. लेकिन भगवान शिव को हल्दी अर्पित नहीं की जाती. इसका कारण है कि कि ऐसा हल्दी एक स्त्री सौंदर्य प्रसाधन में प्रयोग की जाते वाली वस्त है और शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है.

लाल रंग के फूल: आपने देखा होगा कि शिवरात्रि पर मंदिरों के बाहर खूब फूल बिकते हैं. पर क्या आप ध्यान दिया कि इन फूलों में लाल रंग के फूल नहीं होते. ज्यादातर गेंदा ही नजर आता है. ऐसा इसलिए कि शिवजी को लाल रंग के फूल नहीं चढ़ाते. कहते हैं कि सफेद रंग के फूल चढ़ाने से भगवान शिव को जल्दी प्रसन्न होते हैं.

सिंदूर या कुमकुम: महिलाएं सिंदूर या कुमकुम अपने पति की लंबी उम्र के लिए लगाती हैं. कहते हैं भगवान शिव विध्वंसक के रूप में जाने गए हैं इसलिए शिवलिंग पर सिंदूर या कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिए. इसकी बजाए आप चंदन का इसतेमाल कर सकते हैं.

तांबे का लोटा: शिवजी पर इस बार जब आप जल चढ़ाने जाएं तो केवल तांबे या पीतल के लोटे का ही इस्तेमाल करें, स्टील या लोहे के लोटे का नहीं.

शंख बजाना शुभ: हिंदू धर्म में शंख को बहुत पवित्र माना गया है हर पूजा-पाठ के काम में इसे बजाना और इसके जरिए लोगों को जल देना काफी शुभ माना जाता है. लेकिन कहते हैं कि शिवलिंग पर शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए. ऐसा करना वर्जित माना गया है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिवजी पहली बार प्रकट हुए थे. शिव का प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था. ऐसा शिवलिंग जिसका ना तो आदि था और न अंत. बताया जाता है कि शिवलिंग का पता लगाने के लिए ब्रह्माजी हंस के रूप में शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग को देखने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वह सफल नहीं हो पाए. वह शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग तक पहुंच ही नहीं पाए. दूसरी ओर भगवान विष्णु भी वराह का रूप लेकर शिवलिंग का आधार ढूंढ रहे थे लेकिन उन्हें भी आधार नहीं मिल पाया.

शिवरात्रि को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. जिनमें से एक के अनुसार, मां पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए घनघोर तपस्या की थी. पौराणिक कथाओं के अनुसार इसके फलस्वरूप फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. यही कारण है कि महाशिवरात्रि को बेहद महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है.

उज्जैन- महाकाल मंदिर (मध्य प्रदेश)

विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में आज महाशिवरात्रि पर खास आयोजन हो रहा है. महाकाल मंदिर समिति ने इस बार एक घंटे में श्रद्धालुओं को दर्शन कराने की व्यवस्था की है. इसे लेकर मंदिर प्रबंधन और जिला प्रशासन ने तमाम तरह की तैयारियां की हैं. महाशिवरात्रि पर जहां उज्जैन में दिग्गजों का जमावड़ा होगा, वहीं भक्तों की भी भीरी भीड़ उमड़ेगी. इसे मैनेज करने के लिए प्रशासन ने खास व्यवस्था की है. ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट में जानें व्यवस्था से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बातें.

ऐसे होगी मंदिर में एंट्री
आम श्रद्धालुओं की गाड़ी कर्क राज मंदिर के पास पार्क की जा सकेगी. इंदौर,देवास नागदा और बडनगर से आने वाले श्रद्धालु अपनी गाड़ी कर्क राजा मंदिर के पास पार्क कर पैदल गंगा गार्डन तक पहुंचेंगे. यहां पर श्रद्धालुओं को जूता स्टेंड और लॉकर की सुविधा मिलेगी. इसके बाद श्रद्धालु पास के एक रास्ते से सीधे चारधाम मंदिर तक पहुंच सकेंगे. वहां से हरसिद्धि चौराहा, रुद्रसागर के पास से बड़े गणेश मंदिर से महाकाल प्रवचन हाल से होते हुए शंख द्वार से फेसिलिटी सेंटर से गेट नंबर 6 से बाहर होते हुए कार्तिक मंडपम से होते हुए गणेश मंडपम से दर्शन का लाभ भक्त ले पाएंगे.

महाशिवरात्रि पर करें 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन, पाएं भगवान शिव की कृपा

तीन लेयर में दर्शन
श्रद्धालुओं को तीन बेरिकेटिंग से प्रवेश मिलेगा. जिसमें दो आम श्रद्धालु के लिए और एक बेरिकेडिंग 250 रुपए की रसीद लेने वालों के लिए होगी. श्रद्धालुओं को एक घंटे तक लाइन में रहना होगा, जिसके चलते मंदिर समिति ने इन्हें पानी की बोतल देने की व्यवस्था की है साथ ही दर्शन के बाद सभी श्रद्धालुओं को खिचड़ी का प्रसाद भी मिलेगा. पहली लेयर आम भक्तों की होगी, दूसरा प्रोटोकॉल मार्ग और तीसरा हरि फाटक से एंट्री दी जाएगी. दर्शन करने के बाद श्रद्धालुओं को चार धाम मंदिर की ओर निकाला जाएगा.

चार जगह पार्किंग की सुविधा
महाकाल के दर्शन को उज्जैन आने वाले श्रद्धालु के लिए पहली पार्किंग कर्क राजा मंदिर के पास बनी है. इसके भरने के बाद त्रिवेणी संग्रहालय के पास बनी नई पार्किंग और कार्तिक मेला ग्राउंड की पार्किंग सहित हरी फाटक ब्रिज के पास बनी पार्किंग का उपयोग किया जा सकेगा. रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर उतरने वाले श्रद्धालु मैजिक वाहन और ई-रिक्शा से चारधाम के पास तक जा सकेंगे.

सुरक्षा में 1200 जवान तैनात

उज्जैन महाकाल मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व पर डेढ़ लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन करने आएंगे. महाशिवरात्रि पर सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए गए हैं. इसमें चार एडिशनल एसपी, डीएसपी, सीएसपी, लागला थानों के टीआई सहित अन्य पुलिसकर्मी शामिल हैं. 1200 पुलिस कर्मी सुरक्षा में तैनात हैं. एसपी सत्येंद्र शुक्ल ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए हमने पुलिस मुख्यालय से अतिरिक्त पुलिसकर्मी बुलाये गये हैं. साथ ही सीसीटीवी कैमरो की मदद से चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जा रही है.

निःशुल्क ई-रिक्शा की सुविधा

उज्जैन महाकाल मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं को ज्यादा पैदल न चलना पड़े इसे लेकर ई-रिक्शा की सुविधा मुहैया कराई गई है. पार्किंग से लेकर गंगा गार्डन तक ई रिक्शा की सुविधा श्रद्धालुओं को निःशुल्क मिलेगी. महाकाल मंदिर के सहायक प्रशासक ने बताया कि दिव्यांग और बुजुर्गो के लिए ई-रिक्शा को प्राथमिकता दी जायगी. इसके साथ ही सरफेस पार्किंग और हरी फाटक ब्रिज के पास से भी निःशुल्क ई रिक्शा श्रद्धालुओं को मिलेगी.

वीआईपी के लिए अलग पार्किंग- महाशिवरात्रि पर्व पर कई वीआईपी दर्शन करने के लिए उज्जैन आते हैं, जिसमें सीएम शिवराज सिंह चौहान उनकी पत्नी साधन सिंह, पूर्व सीएम उमा भारती सहित प्रदेश के बड़े नेता शामिल हैं. इन सभी की गाड़ी प्रशासक कार्यालय के पास बने वीआईपी पार्किंग में पार्क होगी. इसके बाद वीआईपी कंट्रोल रूम होते हुए मीडिया सेंटर, शहनाई द्वार होते हुए विश्राम भवन के झिगझेग से सभा मंडप से नंदी मंडपम तक पहुंचेंगे. प्रोटोकॉल और पुजारियों के लिए हरसिद्धि पाल के पास निगम की पार्किंग में अपनी गाड़ी पार्क कर बड़े गणेश की गली से होते हुए गेट नंबर 4 पर पहुंचेंगे. विश्राम भवन के झिगझेग से सभा मंडप और गणेश मंडपम के पहली बेरिकेटिंग से दर्शन कर सकेंगे.

शीघ्र दर्शन की भी सुविधा- उज्जैन महाकाल मंदिर समिति द्वारा 250 रुपए का टिकट लेकर श्रद्धालु शीघ्र दर्शन का लाभ ले सकेंगे. चारधाम मंदिर से बड़े गणेश मंदिर तक शीघ्र दर्शन की व्यवस्था को लेकर 250 रुपए की मिलने वाली रसीद के लिए अलग-अलग जगह काउंटर बनाये गये हैं. शीघ्र दर्शन की लाइन भी चारधाम मंदिर से शुरू होगी. इसका टिकट भी वहां से ही मिलेगा, जिसके बाद बेरिकेडिंग होते हुए श्रद्धालु मंदिर के अंदर पहुंचेंगे.

महाशिवरात्रि के लिए खास लड्डू : उज्जैन के महाकाल मंदिर का सबसे ज्यादा बिकने वाला शुद्ध लड्डू प्रसादी की डिमांड साल भर रहती है, लेकिन शिवरात्रि के लिए 100 क्विंटल लड्डू बनाये गए हैं. जिसकी तैयारी चार दिन पहले से शुरू कर दी गयी थी. आज श्रद्धालु चारों पार्किंग स्थल के साथ-साथ गंगा गार्डन और चार धाम मंदिर के पास बने स्टॉल से भी लड्डू खरीद सकेंगे. वैसे तो चिंतामन मन मंदिर के पास बने लड्डू यूनिट से रोजाना 25 क्विंटल लड्डू तैयार होकर महाकाल मंदिर पहुंचता है. शिवरात्रि को देखते हुए करीब 100 क्विंटल लड्डू तैयार किए गये हैं.

महाशिवरात्रि पर शिवयोग का अद्भुत संयोग, शुभ मुहूर्त में करें जलाभिषेक

होटलों की भी विशेष तैयारी : महाकाल मंदिर के आसपास करीब 400 छोटे-बड़े होटल व्यवसायियों ने भी महाशिवरात्रि की खास तैयारी कर रखी है. 700 से अधिक होटल तैयार रखे गए हैं. डबल बेड कमरों का किराया 700 से लेकर 1000 के बीच है. महाशिवरात्रि पर्व पर होटल्स का किराया 900 से 1200 तक के बीच में है. इधर, कई बड़े थ्री स्टार होटल में डबल बेड का किराया 2500 से 5000 के बीच है, जो की महाकाल मंदिर से करीब 8 किमी के दायरे में स्थित है. इनमें से कई होटलों में बुकिंग हो भी चुकी है.

खंडवा में ओंकारेश्वर :

महाशिवरात्रि पर्व पर आज ओंकारेश्वर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. तड़के संत समाज के भगवान शिव के दर्शन और अभिषेक करने के बाद आम श्रद्धालुओं के दर्शन का सिलसिला प्रारंभ हो गया है. इस महापर्व पर एक दिन पहले से ही श्रद्धालुओं का ओंकारेश्वर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है. महापर्व पर सुबह करीब चार बजे से श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचे. (Omkareshwar Temple on Mahashivratri)

गर्भगृह में एक मिनट से ज्यादा श्रद्धालु नहीं रुक सकेंगे
महाशिवरात्रि पर ओंकोरश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए मंदिर में आवश्यक व्यवस्थाएं की गई हैं. नए झूला पुल से आने वाले श्रद्धालुओं को सुखदेव मुनि द्वार से गर्भगृह में प्रवेश करना पड़ रहा है. इसी तरह से पुराने पुल से आने वाले श्रद्धालुओं को मुख्य चांदी द्वार से अंदर भेजा जा रहा है. दर्शन उपरांत श्रद्धालुओं को इसी मार्ग से लौटाया जा रहा है. इसके लिए मंदिर परिसर में एकांगी व्यवस्था की गई है. एसडीएम सीएस सोलंकी ने बताया कि गर्भगृह में एक मिनट से ज्यादा श्रद्धालु नहीं रुक सकेंगे, इसके लिए आवश्यक कर्मचारियों और पंडितों को निर्देशित कर व्यवस्था बनाई गई है. मंदिर परिसर में आने के बाद लगभग एक घंटे में दर्शन कर श्रद्धालु बाहर हो जा रहे हैं. महापर्व पर भीड़ को देखते हुए सुबह छह बजे के बाद भगवान के मूलस्वरूप पर सीधे जल, पुष्प और बेलपत्र श्रद्धालु नहीं चढ़ा सकेंगे. इसके लिए गर्भगृह के बाहर ही एक पात्र रखकर एकत्र किया गया है.(Mahashivratri 2022)

मंदिर में मनाया जाएगा दीपोत्सव :महाशिवरात्रि पर भगवान ओंकारेश्वर का आंगन दीपों की रोशनी से जगमगाएगा. मंदिर परिसर में शाम को 11 हजार दीपक मंदिर ट्रस्ट की ओर से लगाए जाएंगे. महाशिवरात्रि पर मंदिर ट्रस्ट की ओर से भगवान का विशेष श्रृंगार और 151 किलो पेड़े का महाभोग लगाया जा रहा है. वैसे दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं के पहुुंचने का सिलसिला तीन दिन पहले से ही शुरू हो गया है. रविवार और सोमवार को भी मंदिर परिसर में काफी भीड़ देखने को मिली. आज शिवरात्रि और दो मार्च यानी की बुधवार को अमावस्या होने से बुधवार तक तीर्थनगरी में भीड़ रहेगी. दो दिनों में दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं के यहां आने की संभावना है. मंदिरों के अलावा आश्रम, मठ और सामाजिक संगठनों द्वारा भी विभिन्न आयोजन और प्रसादी वितरण किया जाएगा. (Omkareshwar Temple on Mahashivratri 2022 devotees gathered)

बैंडबाजे के साथ पहुंचे साधु, संत और महंत : मां नर्मदा में आस्था की डूबकी लगाने के बाद ओंकारेश्वर मंदिर के साथ ममलेश्वर मंदिर में भी दर्शन के लिए श्रद्धालु पहुंचे. संत मंडल के महामंडलेश्वर, महंत, साधू और पंडित तड़के पांच बजे नर्मदाजी में स्नान के बाद ढोल और बैंड-बाजों के साथ नगर में शोभायात्रा के रूप में मंदिर पहुंचकर भूतभावन भगवान शिव का दर्शन और पूजन किया. मंदिर के प्रमुख पुजारी पंडित आशीष दीक्षित ने बताया कि मंदिर परिसर और गर्भगृह का फूलों से विशेष श्रृंगार किया गया है. यह फूल रतलाम से आए हैं. दो साल बाद कोरोना प्रतिबंध हटने से महापर्व उत्साह से मनाया जा रहा है.

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भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जगह-जगह लगाई गई बैरिकेडिंग :मंदिर ट्रस्ट के सहायक कार्यपालन अधिकारी अशोक महाजन ने बताया कि महाशिवरात्रि पर्व के लिए मंदिर के कर्मचारियों को परिसर में तैनात किया गया है. भीड़ नियंत्रण के लिए जगह-जगह बैरिकेडिंग लगाई गई है. मंगलवार सुबह चार बजे से लेकर बुधवार सुबह तक पट दर्शनार्थियों के लिए खुले रहेंगे. महाशिवरात्रि पर दीपों से मंदिर परिसर सजाया जाएगा. शाम में पुराना बस स्टैंड पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और भजनों का आयोजन होगा. इस कड़ी में 28 फरवरी यानी की सोमवार को गणगौर नृत्य की प्रस्तुति कलाकारों ने दी. आज के सांस्कृति कार्यक्रमों में भगवान शंकर की महिमा पर आधारित नृत्य और भजन होंगे.

Last Updated : Mar 1, 2022, 1:44 PM IST
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