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माफिया मुख्तार अंसारी कानून व्यवस्था के लिए कलंक और चुनौती: इलाहाबाद हाईकोर्ट

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Published : Jun 14, 2022, 7:44 AM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को मुख्तार अंसारी की जमानत अर्जी को खारिज कर दी और उसे कानून व्यवस्था के लिए कलंक और चुनौती करार दिया. कोर्ट ने सरकार से कहा है कि सरकार विधानसभा अध्यक्ष और तीन नौकरशाहों की कमेटी से विधायक निधि के दुरुपयोग का ऑडिट कराए

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मुख्तार अंसारी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज: बाहुबली मुख्तार अंसारी को विधायक निधि गबन के मामले में सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से तगड़ा झटका लगा. हाईकोर्ट ने मुख्तार अंसारी की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए उसे कानून व्यवस्था के लिए कलंक और चुनौती करार दिया. कोर्ट ने सरकार से कहा है कि सरकार विधानसभा अध्यक्ष और तीन नौकरशाहों की कमेटी से विधायक निधि के दुरुपयोग का ऑडिट कराए. यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी की पीठ ने मुख्तार अंसारी की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है.

कोर्ट ने कहा कि याची की पहचान बताने की जरूरत नहीं है. वह कठोर और आदतन अपराधी है, जो 1986 से अपराध के क्षेत्र में है. यह वास्तव में आश्चर्यजनक है कि 1986 से अपराध की दुनिया से जुड़े एक व्यक्ति जिस पर विभिन्न प्रकार के 50 से अधिक आपराधिक मामले हैं, लेकिन उसने अपने बचाव के लिए ऐसा प्रबंध कर रखा है कि उसके खिलाफ एक भी दोष सिद्ध नहीं हुआ.

कोर्ट ने इसे न्याय प्रणाली के लिए कलंक और चुनौती बताया. कहा कि अपराध के क्षेत्र में ऐसा खूंखार और सफेद रंग का अपराधी अपराजित है. कहा कि जेल में बंद रहते विधायक चुना गया. विधायक निधि से 25 लाख रुपये स्कूल के लिए दिए, जिसका इस्तेमाल ही नहीं हुआ औऱ उसे भी हजम कर गया. कोर्ट ने इसे कर दाताओं के पैसे का दुरुपयोग करने वाला बताया. कहा कि ऐसे में याची जमानत पर रिहा होने का हकदार नहीं है.

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कोर्ट ने कहा कि अन्य आरोपी को मिली जमानत की पैरिटी याची के आपराधिक इतिहास को देखते हुए नहीं दी जा सकती. अर्जी पर अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय ने बहस की थी. कोर्ट ने 20 मई को फैसला सुरक्षित कर लिया था. मामले में मऊ जिले के सराय लखंसी थाने में मुख्तार अंसारी व चार अन्य के खिलाफ दर्ज एफआईआर में विधायक निधि के दुरुपयोग का आरोप है. स्कूल का निर्माण कार्य नहीं किया गया और पैसे का बंदरबांट कर लिया गया. याची का कहना था कि विधायक निधि का आवंटन करने वाले अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, जबकि फंड उन्हीं द्वारा जारी किया जाता है. विधायक होने के नाते उसे फंसाया गया है. सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी और रत्नेन्दु सिंह ने पक्ष रखा.

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