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उत्तर प्रदेश में मदरसा सर्वे : होंगे कई खुलासे, कहीं लोकसभा चुनाव के पहले एक बड़ा एजेंडा तो नहीं..!

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Published : Sep 19, 2022, 2:46 PM IST

Updated : Sep 19, 2022, 2:54 PM IST

Madrasa Survey in Uttar Pradesh Connection Lok Sabha Elections 2024
उत्तर प्रदेश में मदरसा सर्वे (डिजाइन फोटो)

लोकसभा चुनाव के पहले एक बड़ा एजेंडा (Madrasa Survey Connection Lok Sabha Elections 2024) बताकर कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं तो सरकार ने अपनी मंशा साफ कर दी है.

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे करने की जानकारी जब से लोगों के संज्ञान में आयी है, तब से इसको लेकर धार्मिक संगठनों व राजनीतिक दलों में खलबली मची हुयी है. कुछ लोग इसे सरकार की जिम्मेदारी व अधिकार बताकर जायज ठहरा रहे हैं तो कुछ लोग इसे सरकार का धार्मिक शिक्षा देने वाली संस्थाओं में दखलंदाजी करार दे रहे हैं. फिलहाल योगी सरकार ने हर जिले में टीमों का गठन करके 11 बिंदुओं पर जानकारी के साथ साथ सर्वे करने वाली टीम का रिमार्क लेना शुरू कर दिया है. इसके लिए सभी जिलों में 10 सितंबर से ही सर्वे शुरू करने के निर्देश था, लेकिन अब भी कई जिले ऐसे हैं, जहां अभी तक टीमों का गठन नहीं हो पाया है. इस सर्वे पूरा करने के लिए 15 अक्तूबर तक का समय दिया गया है, जबकि 25 अक्तूबर तक जिलाधिकारियों को इसकी रिपोर्ट शासन को भेजनी है. ऐसे में जानने की कोशिश करते हैं कि कहीं इस सर्वे के पीछे कोई और एजेंडा तो नहीं है, या सरकार सिर्फ मदरसों के हालात को बदलने की पहल शुरू करने के लिए यह कर रही है. जबकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह लोकसभा चुनाव 2024 के पहले एक बड़ा राजनीतिक मसाला तैयार किया जा रहा है.

Madrasa Survey in Uttar Pradesh Connection Lok Sabha Elections 2024
उत्तर प्रदेश में मदरसा सर्वे (डिजाइन फोटो)

यह है सरकार की मंशा (UP Government on Madrasa Survey)
उल्लेखनीय है कि इस समय उत्तर प्रदेश में कुल 16,461 मदरसे हैं, जिनमें से 560 को सरकारी अनुदान दिया जाता है. प्रदेश में पिछले छह साल से नए मदरसों को अनुदान सूची में शामिल नहीं किया गया है. सरकार ने गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का 5 अक्टूबर तक सर्वे कराने का आदेश दिया है, जिसमें उपजिलाधिकारी (एसडीएम), बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) के अधिकारी और जिला अल्पसंख्यक अधिकारी टीमें गठित करेंगे. एक बार सर्वेक्षण किए जाने के बाद अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) को रिपोर्ट सौंपेंगे. इसके बाद एडीएम सारी रिपोर्ट को संकलित करके जिलाधिकारी के सामने पेश करेंगे. उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में 225 से अधिक सदस्यों ने 13 सितंबर (मंगलवार) को गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण करने की प्रक्रिया शुरू की थी. उनकी विस्तृत रिपोर्ट 25 अक्टूबर को राज्य सरकार को सौंपी जाएगी.

आंकड़ों के अनुसार इन सभी मदरसों में कुल 19 लाख से ज्यादा मुस्लिम समुदाय के बच्चों के पढ़ाई करने का अनुमान है. यहां के सर्वे के बाद ही इनकी हकीकत का पता चलेगा व आंकड़ों के बहुत सारी आशंकाओं का भी समाधान हो जाएगा. सरकार द्वारा कराए जा रहे सर्वे को लेकर सरकार से जुड़े लोगों व संस्थाओं का अपना दावा है तो वहीं मुस्लिम संगठनों व कई विरोधी पार्टियों का अपना अलग एजेंडा है. सरकार का मानना है कि जो भी आंकड़े व जानकारियां आएंगी उनका उपयोग करके सरकार उचित कदम उठाएगी और जहां जरूरत होगी वहां सख्ती भी करेगी.

क्या कहते हैं रजिस्ट्रार
मदरसों के रजिस्ट्रार जगमोहन सिंह का कहना है कि सभी बच्चों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ने की कवायद की जी रही है. इसके लिए वहां पर नए नए विषयों को पढ़ाया जाना है. इसके लिए अनुदानित मदरसों की जांच चल रही है तो वहीं दूसरी ओर पूरे प्रदेश में ऐसे मदरसों का भी सर्वे कराया जा रहा है जो गैर मान्यता प्राप्त हैं और कहीं और से अनुदान लेकर चलाए जा रहे हैं. 15 अक्तूबर तक सर्वे करके इसी बात को जानने की कोशिश की जा रही है कि मदरसे का संचालन करने वाली संस्था का नाम व उसकी आय का मुख्य स्रोत क्या है और उसमें शिक्षा का स्तर क्या है और उसमें सुधार की क्या संभावनाएं हैं. इसको लेकर नकारात्मक माहौल बनाने की जरुरत नहीं है.

Madrasa Survey in Uttar Pradesh Connection Lok Sabha Elections 2024
उत्तर प्रदेश में मदरसा सर्वे (डिजाइन फोटो)

सर्वे में पूछे जा रहे हैं ये सवाल (Questions For Madrasa Survey)

  1. गैर मान्यता प्राप्त मदरसे का नाम क्या है ?
  2. गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का संचालन करने वाली संस्था कौन सी है ?
  3. मदरसे की स्थापना की तारीख क्या है ?
  4. उसका स्टेटस क्या है..अर्थात्.. निजी घर में चल रहा है या किराए के मकान में ?
  5. मदरसे में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की सुरक्षा कैसी है ?
  6. भवन, पानी, फर्नीचर, बिजली, शौचालय के क्या इंतजाम कैसे हैं ?
  7. छात्र-छात्राओं की कुल संख्या, शिक्षकों की संख्या कितनी है ?
  8. वहां पढ़ाया जाने वाला पाठ्यक्रम क्या है ?
  9. मदरसे की आय का स्रोत क्या है ?
  10. अगर छात्र अन्य जगह भी नामांकित हैं, तो उसकी जानकारी भी ली दें .
  11. अगर सरकारी समूह या संस्था से मदरसों की संबद्धता है, तो उसका विवरण प्रस्तुत करें.
  12. अंत में सर्वे करने वाली टीम को अपनी टिप्पणी लिखनी है.

इसे भी देखें : शिक्षा को लेकर यूपी सरकार का बड़ा एलान, अब होंगे मदरसों के सर्वे

पहले खुद जानकारी देंगे मदरसा संचालक (Informations in Madrasa Survey)

गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के चल रहे सर्वे में गैर मान्यता प्राप्त मदरसा संचालकों को भी एक मौका दिया जा रहा है कि वह खुद सरकार के द्वारा बनाए गए फारमेट में ऐसे मदरसों के संचालक खुद ही सारी जानकारी का विवरण उपलब्ध करा सकेंगे. इसे वह अपने स्तर से ही जमा करेंगे, जिसका भौतिक सत्यापन सर्वे कर रही टीमें बाद में कर सकेंगी और अपनी टिप्पणी लिखकर जिलाधिकारी को सौंपेंगी.

कहा जा रहा है कि इन सवालों के अगर सही सही जवाब मिले और जांच टीमों ने इमानदारी से काम करते हुए मदरसों के आय व व्यय का ब्यौरा इकट्ठा करने में सफलता पायी तो इससे कई तरह के खुलासे हो सकते हैं और राज्य में बाहर से आने वाले धन का खुलासा हो सकता है. विदेशों से आने वाले धन पर भी सरकार को बड़ी जानकारी हाथ लग सकती है. इसी के आधार पर सरकार प्रदेश भर के मदरसों के लिए एक ठोस नीति बनाएगी और बाहर से आने वाले अवैध चंदों पर भी रोक लगाने की पहल करेगी.

Madrasa Survey in Uttar Pradesh Connection Lok Sabha Elections 2024
उत्तर प्रदेश में मदरसा सर्वे (डिजाइन फोटो)

अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह का दावा (Minority Welfare Minister Dharampal Singh)

सरकार के मंत्री का दावा है कि हम मुस्लिम बच्चों के विरोधी नहीं है. सरकार की मंशा यह कतई नहीं है कि ये बच्चे अरबी, फारसी, उर्दू न पढ़ें. लेकिन यह जरूरी है कि उनके साथ ऐसे विषय भी पढ़ें जिनमें वे अपना कॅरिअर बना सकें. यही कारण है कि सरकार मदरसों की शिक्षा पद्घति का ढांचा पूरी तरह से बदलने जा रही है. तैयारी है कि मदरसे में दीनी तालीम का बस एक ही शिक्षक रहे, बाकी सभी शिक्षक बच्चों को अन्य महत्वपूर्ण विषयों की शिक्षा दें. सरकार चाहती है कि वे दीनी तालीम तो लें हीं, पर साथ साथ ऐसे विषय भी पढें, जो उनका कॅरियर संवार सकें.

राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी (Danish Azad Ansari, Minister of State)
इस मामले में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि यह एक मौका है, जिसमें मदरसा संचालक पूरी सूचनाएं दें सकते हैं. यदि वे शर्तें पूरी करेंगे, तो उनके लिए मान्यता देना आसान होगा. सरकार की मंशा पर सवाल उठाना ठीक नहीं है. सरकार सबकी है और सबका ख्याल भी रखेगी.

डा. इफ्तिखार अहमद जावेद बोले
गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे के बीच मदरसों को वैध और अवैध बताने की चर्चाओं पर विराम लगाते हुये मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डा. इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा कि मदरसों के साधारण सर्वे को वैध-अवैध का अखाड़ा न बनाया जाए. उन्होंने मदरसों के सर्वे पर सही शब्दों का चयन करने की अपील की. गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की संख्या बढ़ने पर डा. जावेद ने कहा कि बीते सात सालों से नए मदरसों की मान्यता बंद है, ऐसे में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की गिनती बढ़ना स्वभाविक है.

समय-समय पर गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों, कालेजों और विश्वविद्यालयों के भी सर्वे होते रहते हैं लेकिन उसकी कोई चर्चा नहीं होती. मदरसों के सर्वे की बेतहाशा चर्चा ने अजीब सा माहौल बना दिया है. उन्होंने कहा कि धार्मिक व आधुनिक शिक्षा देने वाले सभी मदरसे वैध हैं. चेयरमैन ने कहा कि तमाम मदरसे मदरसा बोर्ड से मान्यता प्रप्त हैं, जो बोर्ड का पाठयक्रम चलाते हैं, तो कुछ मदरसे दारुल उलूम नदवतुल उलमा लखनऊ, दारुल उलूम देवबंद और जामिया सल्फिया वाराणसी जैसे शैक्षिक संस्थानों से संबद्घ होकर उनका पाठयक्रम चलाते हुये गरीब कमजोर परिवार के बच्चों को शिक्षित करते हैं. उन्होंने कहा कि मदरसा प्रबंधन से मेरी अपील है कि वो भयभीत न हों, सरकार सर्वे के माध्यम से मदरसों की सही संख्या, उनकी गुणवत्ता और संचालन का डाटा एकत्र करना चाहती है, ताकि उनके हित में काम किया जा सके. उन्होंने कहा कि बीते सात साल में मदरसा बोर्ड ने किसी भी नए मदरसे को मान्यता नहीं है. ऐसे में नए मदरसों की संख्या भी बढ़ना स्वभाविक है. उन्होंने कहा कि सर्वे के बाद गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को बोर्ड से मान्यता देकर धार्मिक के साथ आधुनिक शिक्षा दी जाएगी.

Madrasa Survey in Uttar Pradesh Connection Lok Sabha Elections 2024
उत्तर प्रदेश में मदरसा सर्वे (डिजाइन फोटो)

250 बड़े मदरसों के प्रमुखों का 24 सितंबर को सम्मेलन
देवबंद स्थित इस्लामिक मदरसा दारुल उलूम ने उत्तर प्रदेश में इससे जुड़े 250 बड़े मदरसों के प्रमुखों को 24 सितंबर को एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए कहा है, जिसमें दारुल उलूम के प्रवक्ता अशरफ उस्मानी ने कहा, "सम्मेलन का उद्देश्य राज्य में मदरसों के सर्वेक्षण पर सरकार के हालिया निर्देश पर चर्चा और अध्ययन करना और उसके अनुसार प्रतिक्रिया देना है."

बरेली के मौलवी तौकीर रजा खान ने कहा, "अगर सरकार मदरसों पर डेटा एकत्र करना चाहती है, तो किसी को समस्या क्यों होनी चाहिए ? हालांकि, राज्य सरकार को पहले अपनी मंशा स्पष्ट करनी चाहिए. उसे यह भी बताना चाहिए कि क्या वह मान्यता प्राप्त मदरसों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रही है ?" वहीं जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के देवबंद स्थित संरक्षक मौलाना इशाक गोरा ने कहा, "सरकार के निर्देश स्पष्ट हैं, सर्वेक्षण उन मदरसों से संबंधित है, जिनकी मान्यता नहीं है, नियमों का पालन करने वालों को डरने की कोई बात नहीं है."

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सर्वे से घबराने की जरूरत नहीं : मदनी
दारुल उलूम ने प्रदेश में मदरसों के सर्वे का समर्थन किया है. मदरसा संचालकों के सम्मेलन में जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं दारुल उलूम के सदर मुदर्रिस मौलाना सैय्यद अरशद मदनी (Maulana Syed Arshad Madani) ने कहा कि सर्वे से घबराने की जरूरत नहीं है. इसका विरोध न करें और सरकार का सहयोग करें. इस्लामी तालीम के प्रमुख केंद्र दारुल उलूम के आह्वान पर प्रदेश के 250 से अधिक मदरसा संचालक देवबंद में एकत्र हुए तो रशीदिया मस्जिद में हुए सम्मेलन में मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि हमें सरकार के सर्वे से किसी तरह की कोई आपत्ति नहीं है. अब तक सर्वे की, जो तस्वीर सामने आई है, वो सही है. इसलिए हम लोगों से कह रहे हैं कि वह मुकम्मल तौर पर सरकार की मदद करें. साथ ही उन्होंने मदरसा संचालकों को भी हिदायत दी और कहा कि उन्हें अपना निजाम और हिसाब-किताब दुरुस्त करना चाहिए.

सर्वे पर बेवजह राजनीति
जैसे ही मदरसों के सर्वे की खबर मीडिया में आयी. तत्काल इस पर राजनीति भी शुरू हो गई. सपा, बसपा, एआईएमआईएम जैसे राजनीतिक दलों को इसमें कई खामियां दिखने लगीं. इसके अलावा तमाम मुस्लिम संगठन चीखने लगे और कहने लगे कि मदरसों में पढ़ाई करना उनका सांविधानिक अधिकार है, इसकी जांच का कोई औचित्य नहीं है.

विरोध करने वाले भी हो रहे एकजुट
उत्तर प्रदेश में मुस्लिम केंद्रित पार्टियां अब एक अभियान शुरू करेंगी और मदरसों के सर्वेक्षण का विरोध करने के लिए लोगों को एकजुट करेंगी. इस पहल का हिस्सा बनने वाली पार्टियों में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम), पीस पार्टी और राष्ट्रीय उलेमा परिषद शामिल हैं. एआईएमआईएम की राज्य इकाई के अध्यक्ष शौकत अली पहले से ही इस मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय के लोगों को जुटाने और पार्टी कैडर को तैयार करने के लिए विभिन्न जिलों में बैठकें कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मदरसों के सर्वेक्षण को 'मिनी-एनआरसी' करार दिया है और आरोप लगाया है कि यूपी सरकार एक सर्वेक्षण के नाम पर मुस्लिम समुदाय को 'परेशान' कर रही है.

पीस पार्टी के प्रमुख मोहम्मद अयूब ने कहा कि पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मदरसा सर्वेक्षण पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के आदेश पर समुदाय को जागरूक करने के लिए पूर्वी यूपी के जिलों में जागरूकता अभियान शुरू किया है. उन्होंने कहा कि यह इस मुद्दे पर हिंदू और मुस्लिम समुदायों का 'ध्रुवीकरण' करने की योजना है.

राष्ट्रीय उलेमा परिषद (आरयूसी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना आमिर रशदी मदनी ने कहा कि राज्य भर के मदरसों के सर्वेक्षण को लेकर मुस्लिम समुदाय में बेचैनी है. उन्होंने कहा, "मदरसा चलाने वाले मुस्लिम निकायों और संगठनों को राज्य सरकार के आदेश का विरोध करने के लिए हाथ मिलाना चाहिए. यह मुस्लिम समुदाय के खिलाफ एक साजिश है और हमें मदरसों को बंद करने की सरकारी योजना को चुनौती देने के लिए एक कार्य योजना तैयार करनी होगी."

समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मनोज सिंह काका का कहना है कि योगी सरकार पूरी तरह से धार्मिक ध्रुवीकरण करने वाली सरकार है. सर्वे के पीछे इसकी मंशा कुछ और है. केवल दिखाने के लिए मदरसों के सुधार का दावा किया जा रहा है. सरकार एक भी प्राथमिक स्कूल को आधुनिक बना नहीं पायी, बल्कि राज्य के 26 हजार स्कूलों को बंद कर दिया है. वह अल्पसंख्यकों की संस्थाओं व मदरसों को सर्वे के नाम पर डराने की कोशिश कर रही है. सरकारी की नीयत सही नहीं है. वह प्रोपोगंडा फैलाकर हिन्दू वोट बटोरने की फिराक में रहती है, लेकिन अब मतदाता जागरूक हो रहा है.

काशी विद्यापीठ के पूर्व छात्र नेता व वरिष्ठ अधिवक्ता नारायण मूर्ति ओझा का कहना है कि अगर भाजपा की नीयत साफ होती और केवल उसकी मंशा मदरसों में शिक्षा का उत्थान करने के साथ साथ उसकी हालत सुधारने का होता तो सरकार चुपचाप काम करती और सरकारी अधिकारियों की रिपोर्ट पर उसकी बेहतरी के लिए काम करती. लेकिन सरकार का एजेंडा तो हर मामले को हिन्दु-मुस्लिम की ओर ले जाने का रहता है, ताकि वोटों का ध्रुवीकरण किया जा सके और इसका लाभ चुनावों में लिया जा सके. यह 2024 के लोकसभा चुनाव को ही ध्यान में रखकर किया जा रहा है.

देश के राजनीतिक मामलों पर स्पष्ट रूप से बोलने वाले उत्तर प्रदेश पुलिस के सेवानिवृत्त डीआईजी लक्ष्मी नारायण का कहना है कि विश्व के कई देशों में मदरसों पर बैन लगा रखा है. चीन, फ्रांस व स्पेन जैसे देशों में तो मदरसे चल ही नहीं सकते, क्योंकि उन देशों में इसका बुरा अनुभव रहा है. जहां तक उत्तर प्रदेश में चलने वाले इन मदरसों के सर्वे की बात है. यह कहीं से गलत नहीं है. इन पर सरकार की नजर होनी चाहिए, क्योंकि लोगों की आम धारणा यही है कि मदरसों में बुनियादी शिक्षा नहीं दी जाती है, केवल दीनी तालीम देकर बच्चों को एक अलग तरीके की सोच दी जाती है, जो उसके लिए अच्छी नहीं होती है. मदरसों को समय के साथ बदलना चाहिए और सरकार को इस पर कड़ी नजर रखकर इसमें होने वाली हर एक गतिविधि का हिसाब रखना चाहिए, तभी इसका लाभ मुस्लिम समुदाय व देश को मिलेगा.

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Last Updated :Sep 19, 2022, 2:54 PM IST
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