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Nandkumar sai joins Congress : नंदकुमार साय के कांग्रेस प्रवेश से बीजेपी को कितना होगा नुकसान ?

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Published : May 1, 2023, 5:47 PM IST

Updated : May 1, 2023, 7:26 PM IST

Effect of Nand Kumar Sai leaving BJP
नंद कुमार साय के बीजेपी छोड़ने का असर

छत्तीसगढ़ बीजेपी को चुनाव से पहले एक बड़ा झटका लगा है. पार्टी के दिग्गज आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली है. चुनाव से पहले नंद कुमार साय जैसे नेता का पार्टी छोड़ना एक बड़ा संदेश है.वहीं कांग्रेस नंद कुमार साय को अपनी पार्टी में शामिल करके बीजेपी के सामने चुनौती खड़ी कर दी है. Nand Kumar Sai in Chhattisgarh politics

नंद कुमार साय के बीजेपी छोड़ने का असर

रायपुर: आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने बीजेपी से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस ज्वाइन कर ली है. सीएम भूपेश बघेल ने राजीव भवन में हुए कार्यक्रम में नंदकुमार साय को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई. चुनाव के ठीक पहले नंदकुमार साय का कांग्रेस में प्रवेश करना बीजेपी के लिए कितना नुकसानदायक होगा. ईटीवी भारत की टीम ने ये जानने की कोशिश की है.


कौन हैं नंदकुमार साय : सबसे पहले आपको बताते हैं कि कौन हैं नंदकुमार साय. बीजेपी में आदिवासी नेता के चेहरे के तौर पर नंदकुमार साय जाने जाते हैं. छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद विधानसभा में पहले नेता प्रतिपक्ष बनाए गए थे. समय-समय पर संगठन ने उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी. कई बड़े पदों पर भी रखा. लेकिन 2023 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नंदकुमार ने बीजेपी को अलविदा कह दिया.ऐसे में उनका पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होना आदिवासी वोट बैंक पर बड़ा असर डाल सकता है.


कितना पड़ेगा बीजेपी को फर्क : नंदकुमार साय के कांग्रेस प्रवेश को लेकर वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा का कहना है कि " नंद कुमार साय के कांग्रेस प्रवेश करने से भारतीय जनता पार्टी को ज्यादा नुकसान नहीं होगा. नंदकुमार साय की राजनीतिक पहचान, उम्र की अवस्था और सक्रियता को देखे तो वह शून्य हो गई है. नंदकुमार साय के बाद की पीढ़ी ने रायगढ़ से सरगुजा तक टेकओवर कर लिया है. बीजेपी के संगठन में नंद कुमार साय की भूमिका नहीं थी. वे बीजेपी के कद्दावर नेता रहे. बीजेपी में यह नियम है कि 75 वर्ष के बाद लोग रिटायर्ड हो जाते हैं.उनकी उम्र 77 वर्ष की हो चुकी है.ऐसे में बीजेपी के लिए नंदकुमार साय का ज्यादा महत्व नहीं रह गया था. इसलिए बीजेपी को ज्यादा नुकसान नहीं होगा.''

उपेक्षा की बात का नहीं होगा असर : शशांक शर्मा के मुताबिक ''बीजेपी ने मरवाही चुनाव हारने के बाद भी उन्हें लोकसभा और राज्यसभा भेजा.छत्तीसगढ़ के पहले नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संगठन ने उन्हें सौंपी,जबकि बृजमोहन अग्रवाल उस समय के प्रबल दावेदार थे. जनजाति आयोग के अध्यक्ष भी बनाए गए. इसलिए उपेक्षा वाली बात ज्यादा नहीं टिकेगी.वहीं मैदानी क्षेत्रों में नंदकुमार साय का खासा प्रभाव नहीं है. जनजातीय क्षेत्र जैसे सरगुजा से लेकर रायगढ़ में उनकी पहचान है.लेकिन इन बातों का ज्यादा असर नहीं दिखेगा.''

क्या हो सकती है वजह : नंदकुमार साय के कांग्रेस में प्रवेश को लेकर राजनीति के विशेषज्ञ का कहना है कि ''इन सब के पीछे टीएस सिंहदेव का फैक्टर हो सकता है. क्योंकि सरगुजा से लेकर रायगढ़ तक टीएस सिंहदेव का दबदबा है.यदि चुनाव के वक्त टीएस सिंहदेव के गुट ने असंतोष पैदा करने की कोशिश की तो नंदकुमार साय से एक वर्ग को साधा जा सकता है. लेकिन यदि ऐसा है तो रणनीति सही नहीं है. क्योंकि टीएस सिंहदेव एक सक्रिय नेता हैं.यदि वो अंसतुष्ट होंगे तो कांग्रेस को आगे नुकसान ही होगा.''

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बीजेपी पर पड़ेगा साइकोलॉजिकल असर : वहीं राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा हो रही है कि भारतीय जनता पार्टी छोड़कर कांग्रेस में नंदकुमार साय के जाने से भारतीय जनता पार्टी को साइकोलॉजिकल असर पड़ेगा. जिस तरह से लंबे समय तक नंदकुमार बीजेपी में रहे ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच में भी इसका एक बड़ा संदेश गया है. कांग्रेस पार्टी एक ओर जहां आगामी विधानसभा चुनाव में 75 सीट जीतने का दावा कर रही है. वहीं नंदकुमार साय को कांग्रेस प्रवेश करवाकर कांग्रेस ने मास्टरस्ट्रोक खेला है.

Last Updated :May 1, 2023, 7:26 PM IST
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