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लोकसभा में दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक 2022 पारित

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Published : Mar 30, 2022, 8:25 PM IST

Updated : Mar 30, 2022, 9:03 PM IST

लोकसभा में दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक 2022 पारित (Lok Sabha passes Delhi Municipal Corporation Amendment Bill 2022) हुआ.

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नई दिल्ली : लोकसभा में दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक 2022 पारित (Lok Sabha passes Delhi Municipal Corporation Amendment Bill 2022) हुआ. यह विधेयक दिल्ली के तीन नगर निगमों को एकजुट करने का प्रयास करेगा है. लोकसभा में चर्चा के उपरांत बुधवार शाम दिल्ली नगर निगम एकीकरण बिल पारित कर दिया गया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश और लोकसभा द्वारा पारित किए गए इस बिल के मुताबिक दिल्ली में तीन नगर निगमों का एकीकरण करके एक ही नगर निगम बनाया जाएगा.

इस बिल में पार्षदों की संख्या ज्यादा से ज्यादा 250 तक रखने का प्रस्ताव है. तीनों नगर निगमों के एकीकरण के लिए डीलिमिटेशन की प्रक्रिया की जाएगी. डीलिमिटेशन की प्रक्रिया पूरी होने के उपरांत दिल्ली नगर निगम के चुनाव होंगे. बिल पर चर्चा के दौरान विपक्षी पार्टियों ने भारतीय जनता पार्टी पर चुनाव से भागने का आरोप लगाया. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सरकार को यह बताना चाहिए कि डीलिमिटेशन की प्रक्रिया कब तक पूरी होगी और चुनाव कब आयोजित किए जाएंगे.

इसके जवाब में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि चुनाव से हम नहीं डर रहे हैं, बल्कि चुनाव से वह लोग डर रहे हैं जो अभी तुरंत चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं. इन लोगों को लगता है कि अभी आनन-फानन में चुनाव जीत जाएंगे लेकिन छह महीने बाद चुनाव हुए तो जीतना मुश्किल है. गृह मंत्री ने कहा, 'मैं जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूं दिल्ली एक सौतेली मां जैसा व्यवहार दिल्ली की तीनों नगर निगमों के साथ कर रही है. इसलिए मैं बिल लेकर आया हूं कि दिल्ली में तीनों नगर निगमों को फिर से एक करके एक ही नगर निगम बनाया जाए. एक ही नगर निगम पूरी दिल्ली की सिविक सेवाओं का ध्यान रखेगा जो कि उचित होगा. नगर निगम पारदर्शिता के साथ चलाया जाए इसके भी प्रावधान इस बिल में किए गए हैं. पार्षदों की संख्या ज्यादा से ज्यादा 250 तक करने का भी इसमें प्रस्ताव है.'

गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं आम आदमी पार्टी के अन्य नेता लगातार इस मुद्दे पर हमलावर हैं. आप आदमी पार्टी का कहना है कि एमसीडी चुनाव के डर से भाजपा चुनाव टालने का प्रयास कर रही है. इसके जवाब में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमें चुनाव से कोई डर नहीं है. अमित शाह ने कहा कि यूपी चुनाव में आम आदमी पार्टी 349 सीटों पर चुनाव लड़ी और सभी पर उसकी जमानत जब्त हो गई। उत्तराखंड चुनाव में 70 में से 68 सीटों पर आम आदमी पार्टी की जमानत जब्त हुई. वहीं गोवा में 39 में से 35 सीटों पर आम आदमी पार्टी की जमानत जब्त हुई है. केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि दरअसल सच्चाई यह है कि चुनाव से यह लोग स्वयं डर रहे हैं.

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि तीनों नगर निगमों को मिलाकर एक बनाने से सिविक कार्य में बेहतरी होगी और सुधार आएगा. इसके अलावा सरकार का तीनों नगर निगमों को एक करने का कोई और उद्देश्य नहीं है. वहीं, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि नगर निगम का विलय अथवा इस संबंध में कोई और निर्णय लेने का अधिकार के केवल दिल्ली विधानसभा के पास है. केंद्र सरकार इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती.

मनीष तिवारी ने सरकार से पूछा कि कि वह दिल्ली नगर निगम के चुनाव कब तक टालना चाहती है. क्या यह चुनाव अगले दो-तीन वर्षों तक डाले जाएंगे. दरअसल मनीष तिवारी ने नगर निगम डीलिमिटेशन के विषय पर यह सवाल सरकार के समक्ष रखा. मनीष तिवारी ने कहा कि हमारी जानकारी में यह बात आई है कि सरकार निगम चुनाव से पहले डीलिमिटेशन पूरा कर लेना चाहती है, लेकिन 2021 का जो डीलिमिटेशन दिल्ली में होना था वह कोरोना के कारण स्थगित करना पड़ा है. अब अगला डीलिमिटेशन 2023 तक होने की उम्मीद नहीं है तो ऐसे में क्या 2023 तक दिल्ली में नगर निगम चुनाव नहीं करवाए जाएंगे.

पढ़ें : MCD Bill 2022 : लोक सभा में बोले गृह मंत्री शाह, निगमों के साथ सौतेली मां जैसा व्यवहार कर रही दिल्ली सरकार

मनीष तिवारी ने कहा कि केंद्र सरकार नगर निगम के संचालन हेतु एक स्पेशल ऑफिसर की नियुक्ति करने जा रही है, ऐसे में लगता है कि सरकार बिना चुनाव के नगर निगम को चलाएगी. वहीं, अमित शाह ने अंत में उत्तर देते हुए कहा कि संघीय ढांचे को तोड़ने के आरोप लगाए जा रहे हैं, लेकिन यह ढांचा हम नहीं तोड़ रहे बल्कि दिल्ली सरकार दिल्ली नगर निगम के साथ ऐसा कर रही है. दिल्ली के पांचवें वित्त आयोग ने नगर निगम को 40561 करोड़ रुपए देने की अनुशंसा की थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने 7000 करोड से भी कम की राशि दी. अमित शाह ने बताया कि नगर निगम को 11000 करोड रुपये का घाटा है. शाह के मुताबिक यदि दिल्ली सरकार ने पूरी राशि दी होती तो यह घाटा नहीं होता और नगर निगम 20000 करोड रुपये के सरप्लस में होती जिससे लोगों के काम सुगमता से हो पाते.

जानिए क्या हैं विधेयक के प्रावधान : इससे पहले सरकार ने शुक्रवार को लोक सभा में 'दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022' पेश किया था. तब विपक्षी दलों ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि इस विधेयक को पेश करना इस सदन के विधायी दायरे में नहीं आता है. विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि वर्ष 2011 में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र की विधानसभा द्वारा दिल्ली नगर निगम संशोधन अधिनियम 2011 द्वारा उक्त अधिनियम को संशोधित किया गया था जिससे उक्त निगम का तीन पृथक निगमों में विभाजन हो गया.

तीन नगर निगमों की वित्तीय परेशानी : इसमें कहा गया कि तत्काल दिल्ली नगर निगम के तीन भागों में विभाजन करने का मुख्य उद्देश्य जनता को अधिक प्रभावी नागरिक सेवाएं उपलब्ध कराने के लिये दिल्ली में विभिन्न केंद्रों में सुसंबद्ध नगर पालिकाओं का सृजन करना था, फिर भी दिल्ली नगर निगम का तीन भागों में विभाजन राज्य क्षेत्रीय प्रभागों और राजस्व सृजन की संभाव्यता के अर्थ में असमान था. एमसीडी (संशोधन) विधेयक 2022 में कहा गया है कि समय के साथ दिल्ली के तीन नगर निगमों की वित्तीय कठिनाइयों में वृद्धि हुई जिससे वे अपने कर्मचारियां को वेतन और सेवानिवृत्ति फायदे प्रदान करने में अक्षम हो गए. वेतन और सेवानिवृत्ति फायदे प्रदान करने में विलंब का परिणाम नगर निगम कर्मचारियों द्वारा निरंतर हड़ताल के रूप में सामने आया जिसने न केवल नागरिक सेवाओं को प्रभावित किया बल्कि इससे सफाई और स्वच्छता से संबंधित समस्याएं भी उत्पन्न हुईं.

(आईएएनएस-इनपुट)

Last Updated :Mar 30, 2022, 9:03 PM IST

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